यदि किसान न होते तो हिंदी निबंध: किसान हमारी धरती का अन्नदाता है। वह अपने परिश्रम और समर्पण से अनाज उत्पन्न करता है, जिससे संपूर्ण मानव जाति का जीवन च
यदि किसान न होते तो हिंदी निबंध - Yadi kisan na hote to nibandh in Hindi
यदि किसान न होते तो हिंदी निबंध: किसान हमारी धरती का अन्नदाता है। वह अपने परिश्रम और समर्पण से अनाज उत्पन्न करता है, जिससे संपूर्ण मानव जाति का जीवन चलता है। किसान न केवल हमारे भोजन का स्रोत है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि अगर किसान न होता तो क्या होता? अगर खेत सूने रह जाते, हल की जगह बंजर ज़मीन होती, और अनाज की फसलें उगने की बजाय धरती वीरान होती, तो दुनिया कैसी होती?
भोजन का संकट और भुखमरी
अगर किसान न होता तो सबसे पहला और सबसे बड़ा प्रभाव हमारे भोजन पर पड़ता। हम जो भी खाते हैं – गेहूं, चावल, दाल, सब्ज़ियाँ, फल – सब कुछ किसान ही उगाता है। यदि किसान न होता, तो न खेतों में हल चलता, न फसलें उगतीं और न ही हमारे घरों में रोटियाँ बनतीं। पूरी दुनिया में भुखमरी फैल जाती। अमीर हो या गरीब, हर कोई अन्न के एक-एक दाने के लिए तरसता।
भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारत एक कृषि प्रधान देश है। हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। यदि किसान न होता, तो कृषि उद्योग ही समाप्त हो जाता। इससे करोड़ों लोगों की रोज़ी-रोटी छिन जाती। खाद्य आधारित उद्योग, अनाज व्यापार, कृषि उपकरणों का निर्माण, डेयरी उद्योग – ये सभी क्षेत्र भी प्रभावित होते। बेरोज़गारी बढ़ जाती और देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती।
कपड़ों का संकट
सिर्फ अन्न ही नहीं, किसान हमें कपड़े भी देता है। कपास, जूट और रेशम जैसी फसलें किसान ही उगाता है, जिनसे कपड़े बनाए जाते हैं। यदि किसान न होता, तो न सूती कपड़े होते, न ऊनी वस्त्र, न रेशम की साड़ियाँ। हमें अपने तन को ढकने के लिए विकल्पों की तलाश करनी पड़ती, जिससे मानव जीवन बहुत कठिन हो जाता।
प्राकृतिक संतुलन पर असर
किसान केवल भोजन ही नहीं उगाता, बल्कि प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। वह धरती को उपजाऊ बनाए रखता है, पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को हरा-भरा रखता है और मिट्टी के कटाव को रोकता है। यदि किसान न होता, तो खेत बंजर हो जाते, जंगल कम होने लगते और पर्यावरणीय समस्याएँ बढ़ जातीं। प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्या और गंभीर हो जाती।
ग्रामीण जीवन का विनाश
किसान न केवल अन्नदाता है, बल्कि ग्रामीण जीवन का आधार भी है। अगर किसान न होता, तो गाँव उजड़ जाते, खेत सूने हो जाते, और ग्रामीण संस्कृति धीरे-धीरे समाप्त हो जाती। भारत की पहचान ही मिट जाती, क्योंकि हमारे त्योहार, रीति-रिवाज और परंपराएँ कहीं न कहीं खेती-किसानी से जुड़ी हैं।
आधुनिक जीवन की असुविधाएँ
आज की आधुनिक दुनिया भी किसान पर निर्भर है। जैविक उत्पाद, हर्बल दवाएँ, फाइबर से बनी चीज़ें, तेल, शहद – यह सब किसान की देन है। यदि किसान न होता, तो हम इन प्राकृतिक उत्पादों से वंचित रह जाते और केवल रासायनिक पदार्थों पर निर्भर हो जाते, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता।
संपन्न देशों पर निर्भरता
अगर हमारे देश में किसान न होते, तो हमें अनाज और अन्य कृषि उत्पादों के लिए विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता। इससे न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ता, बल्कि विदेशी देशों की शर्तों पर जीना पड़ता। हमारी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर खतरा मंडराने लगता।
निष्कर्ष
अगर किसान न होता, तो मानव जीवन संभव ही नहीं होता। वह हमारी सबसे बड़ी जरूरतों – भोजन, वस्त्र और पर्यावरण – की पूर्ति करता है। इसलिए हमें किसानों का सम्मान करना चाहिए और उनकी समस्याओं को समझकर उन्हें सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए। हमें कृषि को उन्नत बनाने में मदद करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिले। एक किसान ही है जो बिना किसी स्वार्थ के पूरी दुनिया का पेट भरता है। इसलिए, हमें गर्व से कहना चाहिए – "जय जवान, जय किसान!"
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