Essay on Wayanad Landslide in Hindi (वायनाड भूस्खलन पर निबंध) भूस्खलन (Landslide) एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें मिट्टी, चट्टान और मलबा ढलान से अचा
Essay on Wayanad Landslide in Hindi (वायनाड भूस्खलन पर निबंध) for Class 6, 7, 8, 9 & 10
प्रस्तावना: भूस्खलन (Landslide) एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें मिट्टी, चट्टान और मलबा ढलान से अचानक नीचे की ओर गिरता है। यह घटना अक्सर भारी बारिश, भूकंप, या इंसानी गतिविधियों के कारण होती है। भारत के केरल राज्य के वायनाड जिले में भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। वायनाड की सुंदरता और हरियाली के साथ-साथ यहां की भौगोलिक स्थिति इसे भूस्खलन के लिए संवेदनशील बनाती है।
भूस्खलन क्या होता है?
भूस्खलन वह प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें भूमि, मिट्टी, चट्टानें या मलबा किसी ढलान से नीचे की ओर खिसकते हैं। यह घटनाएं आमतौर पर तब घटित होती हैं जब ढलानों पर दबाव बढ़ता है या जब बारिश की वजह से मिट्टी में नमी अधिक हो जाती है। भूस्खलन के दौरान बड़ी मात्रा में मलबा गिरने से सड़कें, इमारतें, और अन्य संरचनाएं नष्ट हो जाती हैं, जिससे जानमाल का भारी नुकसान होता है।
वायनाड में के प्रमुख कारण
1) पश्चिमी घाट का प्रभाव: वायनाड का क्षेत्र पश्चिमी घाट के निकट स्थित है, जो भूस्खलन के लिए एक संवेदनशील क्षेत्र है। पश्चिमी घाटों में तीव्र ढलान और भारी बारिश के कारण मिट्टी सेचुरेट हो जाती है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। यह क्षेत्र भूस्खलन के लिए अत्यधिक संवेदनशील माना है, क्योंकि यहां की मिट्टी जल अवशोषित करने के बाद भी पर्याप्त रूप से स्थिर नहीं रहती।
2) मानव गतिविधियों का प्रभाव: इसके अलावा, वायनाड में खुदाई, जंगलों की अंधाधुंध कटाई और खनन जैसी मानवीय गतिविधियां भी भूस्खलन के मुख्य कारणों में शामिल हैं। ये गतिविधियां जमीन की संरचना को कमजोर करती हैं, जिससे भूस्खलन की संभावना और बढ़ जाती है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसे ध्यान में रखते हुए हमें प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में कदम उठाने होंगे।
3) भारी बारिश और मौसम के प्रभाव: वायनाड में भूस्खलन का प्रमुख कारण भारी बारिश है, खासकर मानसून के दौरान। बारिश के पानी से मिट्टी की सतह गीली हो जाती है, जिससे भूस्खलन के लिए स्थितियां उत्पन्न होती हैं। विशेष रूप से जून से अगस्त तक के महीनों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन के मामले अधिक बढ़ जाते हैं।
4) भूकंप और बिजली गिरना: भूकंप और बिजली गिरने जैसी प्राकृतिक घटनाएं भी भूस्खलन का कारण बनती हैं।
2018 में हुए भूस्खलन की तबाही
2018 के मानसून में वायनाड और इडुक्की जिलों में 3000 से अधिक भूस्खलन की घटनाएं रिपोर्ट की गई थीं। इस दौरान 155 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे, और संपत्ति का नुकसान हुआ। करीब 40,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, और हजारों हेक्टेयर उपजाऊ भूमि बर्बाद हो गई थी। यह एक दर्दनाक हादसा था, जिसने पूरे राज्य और देश को प्रभावित किया।
भूस्खलन से बचाव के उपाय
निष्कर्ष (Conclusion)
वायनाड भूस्खलन जैसी आपदाएं प्राकृतिक और मानवजनित कारकों का परिणाम हैं। इन घटनाओं से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास, और बेहतर प्रबंधन की दिशा में काम करना होगा। यदि हम भूस्खलन के कारणों को समझें और इसके लिए उपयुक्त उपाय करें, तो हम इन आपदाओं से बचने और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने में सफल हो सकते हैं। इको-सेंसिटिव एरिया के दायरे में रहने वाले क्षेत्रों में सतत विकास और वन संरक्षण के उपायों को लागू कर हम भविष्य में होने वाले भूस्खलन को रोक सकते हैं।
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