10 Lines on Veer Savarkar in Hindi: वीर सावरकर भारत के एक महान स्वतन्त्रता सेनानी,लेखक और समाज सुधारक थे।यह निबंध १० लाइन में विनायक दामोदर सावरकर के
10 Lines on Veer Savarkar in Hindi: वीर सावरकर भारत के एक महान स्वतन्त्रता सेनानी,लेखक और समाज सुधारक थे।यह निबंध १० लाइन में विनायक दामोदर सावरकर के योगदान, प्रमुख कार्यों, और स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के बारे में बताता है।
10 Lines on Veer Savarkar in Hindi - वीर सावरकर पर 10 पंक्तियाँ हिंदी में for Class 1, 2, 3, 4 & 5
- वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था।
- वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता, विचारक, लेखक और क्रांतिकारी थे।
- वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर गांव में हुआ था।
- सावरकर जी की माता का नाम राधाबाई तथा पिता जी का नाम दामोदर सावरकर था।
- वीर सावरकर ने हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में कई कविताएँ, लेख और किताबें लिखीं।
- मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्होंने मित्र मेला नामक संगठन की स्थापना की।
- 1904 में उन्होंने अभिनव भारत नामक एक क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की।
- 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन के विरोध में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई।
- वर्ष 1906 में सावरकर लंदन गए और फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की।
- सावरकर ने "हिंदुत्व" शब्द का प्रयोग किया और हिंदू राष्ट्र का सिद्धांत प्रस्तुत किया।
- उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन छेड़ने के लिए युवाओं को प्रेरित किया।
- उन्होंने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को "भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम" कहकर सम्बोधित किया।
- सावरकर जी की क्रन्तिकारी गतिविधियों के कारण मार्च 1910 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- 27 वर्ष की छोटी सी आयु में उन्हें दो बार काला पानी की सजा सुनाई गयी।
- 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर उन्हें सेलुलर जेल भेजा गया।
- सन 1924 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने जातिवाद और अस्पृश्यता के विरुद्ध संघर्ष किया।
- जीवन के अंतिम समय में सावरकर जी का स्वास्थ्य तेजी से गिरने लगा।
- 26 फरवरी 1966 को 83 वर्ष की आयु में मुंबई में सावरकर जी का निधन हो गया।
- सावरकर जी का पूरा जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के संघर्ष में ही बीता।
निष्कर्ष:
वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी और विचारक थे। वे अखंड भारत के पक्षधर थे। सावरकर के विचारों का प्रभाव न केवल स्वतंत्रता संग्राम पर, बल्कि भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना पर भी पड़ा।
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