नदी द्रोणी और जल संभर में अंतर कीजिए: नदी द्रोणी और जल संभर ये दोनों शब्द भूगोल में अक्सर एक-दूसरे के साथ प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर
नदी द्रोणी और जल संभर में अंतर कीजिए।
नदी द्रोणी और जल संभर ये दोनों शब्द भूगोल में अक्सर एक-दूसरे के साथ प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन इनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। आइए नदी द्रोणी और जल संभर में अंतर जानते हैं।
नदी द्रोणी | जल संभर |
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एक नदी द्रोणी को मुख्य नदी और इसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र भूमि के रूप में पारिभाषित किया जा सकता है | छोटी नदियों तथा नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल संभर कहा जाता है। |
नदी द्रोणी का आकार बड़ा होता है। भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा द्रोणी है | जल संभर के जलग्रहण क्षेत्र का आकार छोटा होता है। |
नदी द्रोणी क्या है?
कल्पना कीजिए कि आप एक पहाड़ की चोटी पर खड़े हैं। आपके सामने एक विशाल नदी बह रही है। यह नदी जहाँ से निकलती है और जहाँ जाकर मिलती है, उसके बीच का पूरा क्षेत्र ही नदी द्रोणी कहलाता है। दूसरे शब्दों में, नदी द्रोणी वह क्षेत्र है जहाँ से एक नदी और उसकी सभी सहायक नदियाँ अपना पानी एकत्र करती हैं।
विशाल क्षेत्र: नदी द्रोणी का क्षेत्रफल बहुत बड़ा हो सकता है। जैसे, गंगा नदी की द्रोणी भारत के एक बड़े हिस्से को कवर करती है।
अनेक नदियाँ: एक नदी द्रोणी में मुख्य नदी के साथ-साथ उसकी कई सहायक नदियाँ भी होती हैं।
भौगोलिक सीमाएं: नदी द्रोणी की सीमाएं पर्वत श्रृंखलाएं या उच्च भूमि होती हैं।
जल संभर क्या है?
जल संभर एक छोटे पैमाने की अवधारणा है। इसे हम एक नदी द्रोणी का छोटा हिस्सा भी कह सकते हैं। यह वह क्षेत्र है जहाँ से वर्षा का पानी एक विशेष बिंदु पर एकत्र होता है, जैसे कि एक नदी, तालाब या झील।
छोटा क्षेत्र: जल संभर का क्षेत्रफल नदी द्रोणी की तुलना में बहुत छोटा होता है। यह एक खेत, एक पहाड़ी ढलान या एक छोटी नदी का क्षेत्र हो सकता है।
एकत्रित पानी: जल संभर का मुख्य कार्य वर्षा के पानी को एकत्रित करना और उसे एक निश्चित दिशा में प्रवाहित करना है।
जल चक्र का हिस्सा: जल संभर जल चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भूमिगत जल को रिचार्ज करने और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है।
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