डॉ. भीमराव अंबेडकर पर 10 आसान पंक्तियाँ: जानिए कैसे अंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका न
डॉ. भीमराव अंबेडकर पर 10 आसान पंक्तियाँ: जानिए कैसे अंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Read here 10 easy lines on dr b.r. ambedkar in hindi for students of class 1, 2, 3, 4 & 5.
10 lines on Dr B.R Ambedkar in Hindi - डॉ भीमराव अंबेडकर पर 10 लाइन हिंदी में for Class 1, 2, 3, 4 & 5
- डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था।
- डॉ. अंबेडकर का पूरा नाम भीमराव रामजी अंबेडकर था।
- उन्हें भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में जाना जाता है।
- डॉ. अंबेडकर भारत के एक महान नेता और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
- उनका जीवन संघर्ष और शिक्षा के महत्व की एक प्रेरक कहानी है।
- डॉ. अंबेडकर ने बड़ौदा के महाराजा से शिक्षा प्राप्ति के लिए आर्थिक सहायता प्राप्त की।
- उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से उच्च शिक्षा प्राप्त की।
- 1950 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया और लाखों लोगों को प्रेरित किया।
- डॉ. अंबेडकर के नेतृत्व में भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया गया।
- उन्होंने जाति प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी और समानता के अधिकार की वकालत की।
- डॉ. अंबेडकर का आदर्श वाक्य था "शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो।"
- उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और श्रमिकों के हितों के लिए भी काम किया।
- अंबेडकर जी ने संविधान में मौलिक अधिकारों को मजबूत किया।
- उनका मानना था कि बिना सामाजिक समानता के राजनीतिक स्वतंत्रता अधूरी है।
- उन्होंने संविधान में सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और समता के सिद्धांतों को समाहित किया।
- अंबेडकर को "संविधान के पिता" और "डॉक्टर साहब" के नाम से भी जाना जाता है।
- 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु हुई, लेकिन उनका योगदान आज भी अमर है।
- उनकी जयंती, 14 अप्रैल, पूरे भारत में "अंबेडकर जयंती" के रूप में मनाई जाती है।
- उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
निष्कर्ष: डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज में अमूल्य है। उन्होंने समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनकी शिक्षाएँ और विचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देते हैं।
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