स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी का मोह पर निबंध: स्वतंत्रता के बाद से ही भारत में अंग्रेजी भाषा का मोह एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। एक ओर जहां अंग्रेजी ने हमें
स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी का मोह पर निबंध (Swatantra Bharat Mein Angreji Ka Moh Par Nibandh)
स्वतंत्रता के बाद से ही भारत में अंग्रेजी भाषा का मोह एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। एक ओर जहां अंग्रेजी ने हमें वैश्विक मंच पर एक पहचान दिलाई है, वहीं दूसरी ओर यह हमारी स्थानीय भाषाओं और संस्कृति के लिए एक चुनौती भी बन गई है। यह सवाल अक्सर उठता है कि स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी का मोह सही है या गलत? इस निबंध में हम इस विषय पर गहराई से विचार करेंगे।
अंग्रेजी के मोह के पीछे के कारण
अंग्रेजी भाषा का भारत में इतना प्रचलित होना कई कारणों से है। सबसे पहले, औपनिवेशिक काल में अंग्रेजी भाषा को शिक्षा और प्रशासन का माध्यम बना दिया गया था। इसने भारतीयों के मन में अंग्रेजी के प्रति एक गहरा सम्मान पैदा किया। दूसरा कारण वैश्वीकरण है। आज के समय में अंग्रेजी भाषा को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है। अच्छे रोजगार के अवसरों के लिए अंग्रेजी का ज्ञान अनिवार्य हो गया है। तीसरा कारण शिक्षा व्यवस्था है। भारत में अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। माता-पिता अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अंग्रेजी माध्यम को बेहतर विकल्प मानते हैं। इसके अलावा, मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में अंग्रेजी भाषा का व्यापक उपयोग होता है, जिससे युवा पीढ़ी अंग्रेजी के प्रति आकर्षित होती है। अंत में, समाज में अंग्रेजी बोलने वाले लोगों को अधिक शिक्षित और आधुनिक माना जाता है, जिससे अंग्रेजी भाषा की प्रतिष्ठा बढ़ी है।
अंग्रेजी के मोह के प्रभाव
अंग्रेजी भाषा का मोह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। सबसे पहले, अंग्रेजी के प्रभुत्व के कारण स्थानीय भाषाओं का उपयोग कम हो रहा है। इससे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को खतरा है। दूसरा प्रभाव शिक्षा पर पड़ रहा है। अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा महंगी होने के कारण गरीब बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है। इसके अलावा, अंग्रेजी का ज्ञान न होने के कारण कई प्रतिभाशाली छात्रों को रोजगार के अवसरों से वंचित रहना पड़ता है। अंग्रेजी का मोह हमारी सांस्कृतिक पहचान को भी कमजोर कर रहा है।
अंग्रेजी का मोह: सही या गलत?
यह सवाल का कोई सरल उत्तर नहीं है। अंग्रेजी भाषा का ज्ञान आज के समय में आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपनी स्थानीय भाषाओं को छोड़ देना चाहिए। हमें दोनों को संतुलित तरीके से विकसित करना होगा।
अंग्रेजी भाषा के मोह को गलत मानना भी उचित नहीं होगा क्योंकि यह हमें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में मदद करती है। लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हमारी पहचान हमारी स्थानीय भाषाओं और संस्कृति से जुड़ी है।
अंग्रेजी के मोह के समाधान
अंग्रेजी भाषा के मोह को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, स्कूलों में द्विभाषीय शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। इससे छात्र अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी का भी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे। दूसरा, स्थानीय भाषाओं में साहित्य, संगीत और कला का विकास करना चाहिए। तीसरा, अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को सस्ती और सुलभ बनाना चाहिए ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके। इसके अलावा, लोगों को स्थानीय भाषाओं के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए। सरकार को भी स्थानीय भाषाओं के विकास के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
निष्कर्ष: स्वतंत्र भारत में अंग्रेजी भाषा का मोह एक जटिल समस्या है जिसके समाधान के लिए सभी पक्षों का सहयोग आवश्यक है। हमें अंग्रेजी भाषा के महत्व को समझते हुए अपनी स्थानीय भाषाओं का भी संरक्षण करना होगा। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां सभी भाषाओं को समान सम्मान दिया जाए। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी स्थानीय भाषाएं हमारी संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग हैं।
अंत में, यह कहना होगा कि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान आज के समय में आवश्यक है, लेकिन हमें अपनी स्थानीय भाषाओं को भी नहीं भूलना चाहिए। हमें दोनों भाषाओं का संतुलित उपयोग करना चाहिए ताकि हमारी सांस्कृतिक विरासत सुरक्षित रहे और हम वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाए रख सकें।
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