जाको राखे साइयां मार सके ना कोय पर कहानी: एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में रहता था एक किसान का बेटा, रामू। रामू बहुत मेहनती और नेक दि
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय पर कहानी (jako rakhe saiyan maar sake na koi par kahani)
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय पर कहानी: एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में रहता था एक किसान का बेटा, रामू। रामू बहुत मेहनती और नेक दिल था। वह रोज सुबह उठकर खेतों में काम करता था। लेकिन, उसके पिता की तबियत बहुत खराब थी। गाँव का वैद्य भी उनकी बीमारी को ठीक नहीं कर पा रहा था।
रामू बहुत दुखी था। वह दिन-रात अपने पिता की सेहत के लिए प्रार्थना करता था। एक दिन, जब वह खेत में काम कर रहा था, तो उसे एक साधु मिले। रामू ने साधु से अपने पिता की बीमारी के बारे में बताया। साधु ने रामू को आशीर्वाद दिया और कहा, "बेटा, निश्चिंत रहो। जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय।"
रामू को साधु की बातों पर विश्वास हो गया। वह घर लौटा और अपने पिता की सेवा में लग गया। कुछ दिनों बाद, रामू के पिता की तबीयत में सुधार होने लगा। धीरे-धीरे वे बिल्कुल स्वस्थ हो गए। अब रामू भी मानने लगा था कि जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई।
काहानी से शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिसकी रक्षा भगवान करते हैं उसको कोई नहीं मार सकता।
जाको राखे साइयां मार सके ना कोय पर कहानी संख्या (2)
एक छोटे से गांव में रहने वाला रामू एक गरीब किसान था। उसके पास खेत बहुत कम था और वह अपनी मेहनत से मुश्किल से ही अपना और अपने परिवार का पेट पाल पाता था। गांव में एक बड़ा सा तालाब था, जिस पर गांव के सभी लोग निर्भर थे। एक साल बहुत कम बारिश हुई और तालाब सूखने लगा। गांव वाले बहुत परेशान थे। रामू ने भी इस सूखे का बहुत बुरा प्रभाव झेला। उसकी फसल बर्बाद हो गई और उसके पास खाने के लिए कुछ नहीं बचा था।
रामू बहुत निराश हो गया था। उसने सोचा कि अब वह और उसका परिवार भूख से मर जाएगा। लेकिन उसकी पत्नी ने उसे हिम्मत नहीं हारी। उसने कहा, "रामू, निराश मत हो। जाको राखे साइयां, मार सके ना कोई। अगर भगवान हम पर मेहरबान हैं तो हम इस मुसीबत से भी निकल जाएंगे।"
रामू ने अपनी पत्नी की बातों में कुछ तसल्ली पाई। उसने भगवान से प्रार्थना की कि वह उनकी रक्षा करें। एक दिन, रामू खेत में काम कर रहा था कि उसे जमीन में कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया। उसने उसे उठाकर देखा तो वह एक सोने का सिक्का था। रामू बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि यह भगवान का दिया हुआ आशीर्वाद है।
रामू ने उस सिक्के से कुछ अनाज खरीदा और अपने परिवार का पेट भरने लगा। धीरे-धीरे उसकी किस्मत बदलने लगी। उसने अपनी मेहनत से कुछ और जमीन खरीद ली और एक अच्छा किसान बन गया। गांव के लोग उसे बहुत सम्मान देने लगे।
कथा का सार: यह कहानी हमें बताती है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। कभी हम खुश होते हैं तो कभी दुखी। लेकिन अगर हम भगवान पर विश्वास रखें तो हमें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकता।इसीलिए कहा भी गया है।
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