एक ऐसी मौलिक कहानी लिखिए जिसका अंत इस प्रकार हो और इस तरह मैं बच गया: एक बार मैं जंगल में भटक गया परन्तु एक कुछ गाँव वालों ने हमारी सहायता की और इस तर
एक ऐसी मौलिक कहानी लिखिए जिसका अंत इस प्रकार हो और इस तरह मैं बच गया
एक बार मैं जंगल में भटक गया परन्तु एक कुछ गाँव वालों ने हमारी सहायता की और इस तरह मैं बच गया। आइये मैं आपको पूरी कहानी बताता हूँ।
मैं एक साहसी युवक था। मुझे अज्ञात और रहस्यमयी चीजों का पता लगाना बेहद पसंद था। एक बार की बात है, मैं अपने दोस्तों के साथ जंगल में घूमने गया था। हमने जंगल के अंदरूनी हिस्से में जाने का फैसला किया था, जिसे बहुत ही खतरनाक माना जाता था। हमने सोचा कि हम जल्दी से अंदर जाकर वापस आ जाएंगे, लेकिन जंगल इतना घना था कि हम रास्ता भटक गए।
सूर्य ढलने लगा था और अंधेरा छा गया। हम डर गए थे। हमने जोर-जोर से चिल्लाया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। पेड़ों की घनी छाया और जंगली जानवरों की आवाजें हमें और डरा रही थीं। हमने रात भर जंगल में भटकते रहे। सुबह होते ही हमने पानी ढूंढना शुरू किया, लेकिन हमें कुछ नहीं मिला। हम बहुत प्यासे और भूखे थे।
अचानक, मुझे दूर से धुआं दिखाई दिया। मैंने अपने दोस्तों को बताया और हम उस ओर चलने लगे। धुआं एक छोटे से गाँव की ओर जा रहा था। हमने गाँव पहुंचकर लोगों से मदद मांगी। गाँव वाले बहुत दयालु थे। उन्होंने हमें खाना दिया और पीने का पानी दिया। उन्होंने हमें अपने घर में रखा और अगले दिन हमें सुरक्षित घर पहुंचा दिया। और इस तरह मै और बाकी सब बच गए
अगर मैं और मेरे दोस्त उस गाँव नहीं पहुंच पाते तो शायद हम कभी वापस नहीं आ पाते। इस घटना ने मुझे सिखाया कि जंगल में अकेले घूमना कितना खतरनाक हो सकता है। हमेशा किसी अनुभवी व्यक्ति के साथ ही जंगल में जाना चाहिए।
इस तरह मैं बच गया - कहानी संख्या (2)
कभी-कभी जीवन में ऐसे पल आते हैं जब दिल धकधक करने लगता है और पसीने छूटने लगते हैं। मेरे साथ ऐसा ही एक वाक्य हुआ था। वो दिन आज भी मेरी यादों में साफ है।
मैं हमेशा से थोड़ा सा आलसी रहा हूँ। होमवर्क करना तो मेरे लिए सबसे बड़ा टास्क होता था। हमारे अंग्रेजी के सर बहुत सख्त थे। हमेशा कहते थे कि होमवर्क पूरा करके ही आना है, वरना... और वो वरना बहुत डरावना लगता था। उस दिन भी सर होमवर्क चेक कर रहे थे। मेरी नज़रें नीचे थीं क्योंकि मैंने होमवर्क पूरा नहीं किया था। एक-एक करके सबका होमवर्क चेक हो रहा था और हर किसी की तरह मेरा दिल भी घबरा रहा था।
आगे वाले बेंच पर बैठे रवि का नंबर आया। उसने अपनी कॉपी सर को दी। सर ने एक नज़र में कॉपी देखी और रवि को डांटना शुरू कर दिया। रवि की आँखों में आंसू आ गए। मुझे देखकर लगा कि अब मेरी बारी है।
मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि अब मैं बच नहीं पाऊंगा। सर मेरी तरफ बढ़ रहे थे। मेरी आँखें बंद हो गईं। मुझे लगा कि अब मेरी पिटाई पक्की है। लेकिन तभी...घंटी बज गई!
मैं हैरान रह गया। जैसे किसी जादू से मेरी जान बच गई हो। मैं अपनी सीट से उठा और जल्दी से क्लास से बाहर निकल गया और इस तरह मैं बच गया।
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