आँखों देखी रेल दुर्घटना हिंदी निबंध: रेल दुर्घटना, शब्द सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज भी वह भीषण दृश्य मेरी आँखों के सामने कौंध जाता है। ज
आँखों देखी रेल दुर्घटना हिंदी निबंध (Aankhon dekhi rail durghatna hindi nibandh)
आँखों देखी रेल दुर्घटना हिंदी निबंध: रेल दुर्घटना, शब्द सुनते ही मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज भी वह भीषण दृश्य मेरी आँखों के सामने कौंध जाता है। जब मैंने एक रेल दुर्घटना को अपनी आँखों से देखा। यह एक ऐसी घटना थी, जिसने मेरे जीवन को झकझोर कर रख दिया।
यह घटना कुछ वर्ष पूर्व की है जब मैं एक लंबी यात्रा से लौट रहा था। ट्रेन अपनी निर्धारित गति से चल रही थी। लंबी यात्रा की थकान के कारण सभी यात्री सो रहे थे। अचानक एक जोरदार झटका लगा और ट्रेन तेजी से हिलने लगी। मुझे लगा कि शायद ट्रेन किसी जानवर से टकरा गई है। परंतु, जो कुछ अगले पल हुआ, वह दृश्य आज भी मेरे मन को विचलित कर देता है।
रेल की खिड़की से बाहर झाँकते ही एक भयावह दृश्य मेरे सामने प्रकट हुआ। ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर चुके थे। चीख़-पुकार का कोलाहल चारों ओर गूंज रहा था। घायल लोग तड़प रहे थे, बच्चे रो रहे थे, और महिलाओं की चीख़ें हवा को चीर रही थीं। कुछ यात्री खिड़कियों से बाहर कूदने की जद्दोजहद में थे। यह दृश्य किसी नर्क से कम नहीं था। मैं किसी तरह चमत्कारिक रूप से बच गया था।
मैं हिम्मत जुटाकर अपनी सीट से उठा और बाहर निकलने की कोशिश की। कुछ यात्रियों के साथ मिलकर मैंने घायलों की मदद की। हमने उन्हें पानी पिलाया, उनके घावों पर पट्टियाँ बांधी। कुछ घायलों की हालत तो इतनी गंभीर थी कि उनकी मदद करना हमारे बस की बात नहीं थी। हम बस एम्बुलेंस के आने का इंतजार कर सकते थे।
कुछ समय बाद रेलवे कर्मचारी और स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंचे। बचाव कार्य आरंभ हुआ। डॉक्टरों, पैरामेडिक्स और पुलिस की टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंचकर राहत कार्य में भाग लिया। घायलों को अस्पताल पहुंचाने और मृतकों के शवों को उठाने का कार्य किया गया। यह सब देखकर मेरा मन पीड़ा से भर गया।
इस घटना ने मुझे बहुत प्रभावित किया। मैंने देखा कि एक पल में जीवन कैसे बदल सकता है। इस रेल दुर्घटना में कितने सपने टूट गए होंगे, कितने परिवारों का घर उजड़ गया होगा। यह एक ऐसा नज़ारा था, जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा।
आँखों देखी रेल दुर्घटना ने मुझे जीवन के प्रति संवेदनशील बना दिया। मैंने सीखा कि हमें हर पल को जीना चाहिए, क्योंकि कल क्या होगा, यह कोई नहीं जानता। आज भी, जब मैं उस घटना को याद करता हूँ, तो मेरे मन में एक सन्नाटा छा जाता है। लेकिन साथ ही, मैं उन लोगों के प्रति कृतज्ञता महसूस करता हूँ, जिन्होंने उस कठिन समय में एक-दूसरे का साथ दिया।
इस घटना के बाद मैंने रेल यात्रा के प्रति अपना नज़रिया बदल लिया। अब मैं हर यात्रा से पहले यह सुनिश्चित करता हूँ कि मेरे पास आपातकालीन स्थिति के लिए आवश्यक सामान हो। मैं चाहता हूँ कि रेलवे अधिक सुरक्षा उपाय अपनाए ताकि ऐसी दुर्घटनाएँ दोबारा न हों। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
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