यदि मैं स्वतंत्रता सेनानी होता निबंध: इतिहास की कक्षा में बैठकर, जब मैं स्वतंत्रता संग्राम की गाथा सुनता हूँ, तो मेरा मन अतीत में खो जाता है. यदि मैं
यदि मैं स्वतंत्रता सेनानी होता हिंदी निबंध - Yadi Main Swatantrata Senani Hota Par Nibandh
यदि मैं स्वतंत्रता सेनानी होता निबंध: इतिहास की कक्षा में बैठकर, जब मैं स्वतंत्रता संग्राम की गाथा सुनता हूँ, तो मेरा मन अतीत में खो जाता है. यदि मैं स्वतंत्रता सेनानी होता, तो यह मेरे जीवन का सबसे गौरवशाली अध्याय होता। एक ऐसा अध्याय जो त्याग, वीरता और देशभक्ति से भरा होता। मैं भी उन वीर सपूतों में शामिल होता, जिन्होंने भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया.
अगर मैं स्वतंत्रता सेनानी होता, तो शायद मेरा भी कोई खास नाम होता. शायद मुझे "वीर" या "आज़ाद" जैसे उपनाम से जाना जाता. मेरा लक्ष्य होता - अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ लड़ना, भारत माता को स्वतंत्र कराना. भूमिगत गतिविधियों में छिपे रहना उस समय की मांग होती.
अगर मैं स्वतंत्रता सेनानी होता, तो शायद मैं किसी महान नेता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ता. भगत सिंह के साथ इंकलाब का नारा लगाता, रानी लक्ष्मीबाई के साथ युद्ध मैदान में जाता, या फिर महात्मा गाँधी के सत्याग्रह में शामिल होता. जेल जाने का डर भी हमेशा बना रहता. जेल की सलाखों के पीछे, अमानवीय यातनाओं को सहते हुए भी, मेरी क्रांतिकारी ज्वाला कम न होती. जेल में ही शायद मैं अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से मिलता, उनके अनुभवों से सीखता, नई रणनीतियाँ बनाता.
स्वतंत्रता संग्राम का एक सिपाही होने का अर्थ है, हर पल खतरे से जूझना. शायद कभी-कभी मुझे भेष बदलना पड़ता, एक साधारण छात्र, एक घुमंतू साधु या यहाँ तक कि एक अंग्रेजी अफसर बनकर रहना पड़ता. शायद मैं एक लेखक होता, क्रांतिकारी लेख और पर्चे छापता. ये पर्चे रात के अंधेरे में गाँवों और शहरों की दीवारों पर चिपकाए जाते. इन लेखों में अंग्रेजों के अत्याचारों को उजागर किया जाता, लोगों को उनके अधिकारों के लिए जागरूक किया जाता.
शायद कभी मैं एक निडर क्रांतिकारी होता. बंदूक थामे जंगलों में छुपकर, अंग्रेजों की फौज से लोहा लेता. रात के अंधेरे में सरकारी दफ्तरों पर हमला करता, अंग्रेजों के अहंकार को चूर-चूर करता. मेरा हर कार्य एक संदेश देता – भारत दास नहीं, स्वतंत्रता का आकांक्षी है. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, हर बलिदान मेरी आँखों को नम करता, लेकिन मेरा हौसला कम नहीं करता. शहीदों का खून देशभक्ति का रंग भरता, हमें और मजबूत बनाता. मैं मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर देता।
यदि मैं स्वतंत्रता सेनानी होता, तो मेरा लक्ष्य होता - भारत को एक समृद्ध, स्वतंत्र और गरिमामय राष्ट्र बनाना। मैं चाहता कि आने वाली पीढ़ियां एक ऐसे भारत में जन्म लें, जो शक्तिशाली, आत्मनिर्भर और न्यायपूर्ण हो। मैं उन वीरों के पदचिह्नों पर चलता, जिन्होंने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया ताकि हम आजाद रह सकें.
और फिर वह स्वर्णिम दिन भी आता। जब तिरंगा आसमान में लहराता, और भारत स्वतंत्र राष्ट्र बन जाता। उस पल मेरे हृदय में असीम आनंद होता।
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