यदि मैं किसान होता हिंदी निबंध: भारत की धरती सदियों से अन्नदाता किसानों के पसीने से सींची गई है। बचपन से ही मैंने खेतों की हरियाली, लहराती फसलें और कि
यदि मैं किसान होता हिंदी निबंध - Yadi main Kisan Hota Essay in Hindi
यदि मैं किसान होता हिंदी निबंध: भारत की धरती सदियों से अन्नदाता किसानों के पसीने से सींची गई है। बचपन से ही मैंने खेतों की हरियाली, लहराती फसलें और किसानों की कड़ी मेहनत को नज़दीक से देखा है। इसीलिए कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि– "यदि मैं किसान होता तो मेरा जीवन कैसा होता?"
खेतों से मेरा रिश्ता
यदि मैं किसान होता, तो मेरा दिन सूरज उगने से पहले शुरू होता। मैं मुर्गों की बांग सुनते ही उठता, ताज़ी हवा में खेतों की ओर बढ़ता और अपनी फसलों को देखता। मेरी हथेलियाँ मिट्टी से सनी होतीं, और मैं हर पौधे को संतान की तरह सहेजता। हल चलाने से लेकर बीज बोने तक, सिंचाई से लेकर कटाई तक – हर कदम पर मुझे गर्व महसूस होता कि मैं अपनी मेहनत से दूसरों का पेट भर रहा हूँ।
आधुनिक तकनीकों का उपयोग
खेती सिर्फ परंपरागत तरीकों से करने तक सीमित नहीं होती। यदि मैं किसान होता, तो विज्ञान और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर खेती को और अधिक लाभदायक बनाता। मैं नई किस्म के बीजों का उपयोग करता, जैविक खेती को बढ़ावा देता और सिंचाई के लिए जल-संरक्षण तकनीकों को अपनाता। ड्रिप इरिगेशन, सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप और आधुनिक ट्रैक्टरों का उपयोग करके मैं अपनी पैदावार को कई गुना बढ़ा सकता था।
किसानों की एकजुटता
किसान को अक्सर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है – महंगे बीज, खाद, फसल का सही मूल्य न मिलना और प्राकृतिक आपदाएँ। यदि मैं किसान होता, तो पूरे गाँव के किसानों को एकजुट करता। हम सब मिलकर सहकारी समिति बनाते ताकि बीज और खाद हमें उचित दामों पर मिल सकें। साथ ही, हम अपनी उपज को सीधे बाज़ार में बेचते, जिससे बिचौलियों का लाभ कम हो जाता और किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिलता।
सादा लेकिन पोषक भोजन
किसान की थाली उसकी मेहनत का असली प्रमाण होती है। यदि मैं किसान होता, तो ताज़ा और शुद्ध भोजन करता। सुबह नाश्ते में मक्के की रोटी, घर का बना मक्खन और ताज़ा छाछ पीता। दोपहर में दाल-चावल, हरी सब्जियाँ और खेत में उगाए गए ताज़े फल मेरी थाली में होते। शाम को दिनभर की मेहनत के बाद जब मैं घर पहुँचता तो सब्जी के साथ रोटी, दलिया और ताज़ी गुड़ का स्वाद कुछ अलग ही आनंद देता।
गाँव के विकास में योगदान
खेती के साथ-साथ मैं गाँव के विकास के लिए भी काम करता। मैं गाँव के बच्चों को खेती की अहमियत समझाता, उन्हें सिखाता कि किस मौसम में कौन-सी फसल बोनी चाहिए और उत्तम बीजों की पहचान कैसे की जाती है। खेती के नए तरीकों और तकनीकों की जानकारी देकर मैं युवा पीढ़ी को प्रेरित करता ताकि वे भी खेती को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाएँ।
कठिनाइयों से हार नहीं मानता
किसान का जीवन आसान नहीं होता। कभी सूखा पड़ता, कभी बाढ़ आ जाती, तो कभी फसल का उचित मूल्य नहीं मिलता। लेकिन यदि मैं किसान होता, तो इन मुश्किलों से हार नहीं मानता। मैं प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए पहले से तैयार रहता, बीमा और नई कृषि नीतियों का लाभ उठाता और कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ता।
निष्कर्ष – मेरा किसान होने का सपना
यदि मैं किसान होता, तो अपने खेतों को अपने परिवार की तरह सहेजता। मिट्टी की सुगंध में मेरी आत्मा बसती, फसलों की लहलहाती बालियाँ मेरी मेहनत का फल होतीं, और अन्न के हर दाने में मेरी लगन झलकती। सूरज की किरणों के नीचे, खेतों के बीच खड़े होकर मैं गर्व से कहता – "हाँ मैं हूँ किसान, भारत का अन्नदाता!"
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