मैं लाल किला बोल रहा हूँ हिंदी निबंध (Main Lal Kila Bol Raha Hun Nibandh) यमुना नदी के तट पर, मैं लाल किला, दिल्ली के हृदय में स्थित हूँ। म...
मैं लाल किला बोल रहा हूँ हिंदी निबंध (Main Lal Kila Bol Raha Hun Nibandh)
यमुना नदी के तट पर, मैं लाल किला, दिल्ली के हृदय में स्थित हूँ। मैं केवल पत्थरों और चूने से निर्मित एक भव्य संरचना नहीं, बल्कि भारत के समृद्ध इतिहास का एक जीवंत साक्षी हूँ। चार सौ साल से भी अधिक समय से, मैंने राजवंशों का उदय और पतन देखा है, युद्धों की गर्जना सुनी है, और शांति की अवधि का आनंद लिया है। मेरी दीवारें कहानियों से सनी हैं, वीरता और प्रेम के गाथाओं को अपने भीतर समेटे हुए हैं।
सम्राट शाहजहाँ द्वारा 17वीं शताब्दी में निर्मित, मैं मुगल साम्राज्य की शक्ति और वैभव का प्रतीक रहा हूँ। मेरे लाल बलुआ पत्थर की दीवारें शिल्पकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जटिल नक्काशी और सुंदर मेहराबों से सुशोभित। दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास मेरे दरबार कक्ष हैं, जहाँ कभी सम्राट दरबार लगाते थे और विदेशी राजदूतों से मुलाकात करते थे। रंग महल, अपनी नाजुक सुंदरता के साथ, मुगल वास्तुकला का एक रत्न है।
हालाँकि, मेरा इतिहास युद्धों और विजयों से भी भरा हुआ है। मैंने मुगल साम्राज्य के उत्थान और स्वर्णिम काल को देखा है। मैंने औरंगजेब के कठोर शासन को भी सहा है। मैंने देखा है कि कैसे सत्ता का लोभ साम्राज्यों को भी धीरे-धीरे कमजोर कर देता है। अंग्रेजों के हाथों में आने के बाद, मैंने एक अलग तरह का शासन देखा। लाल किले की प्राचीर से उनके झंडे फहराते थे, जो भारत के औपनिवेशिक अधीनता की एक दर्दनाक याद दिलाते हैं। अंग्रेजों के शासनकाल में मैंने जेलखाने के रूप में कष्ट सहे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, मैंने भारतीयों की देशभक्ति का ज्वाला जलते हुए देखा।
स्वतंत्रता के बाद, 15 अगस्त 1947 को, लाल किले की प्राचीर से ही तिरंगा फहराया गया था, जिसने मुझे राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बनाया। तब से, मैं हर स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का गौरव प्राप्त करता हूँ, जो भारत की स्वतंत्रता और संप्रभुता का प्रतीक है।
आज, मैं लाल किला, एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में खड़ा हूँ। हर रोज़ हज़ारों पर्यटक मेरी यात्रा करते हैं, मेरी कहानियों को सुनते हैं, और मेरे भव्य वास्तु सौंदर्य को निहारते हैं। मैं उन्हें अतीत की शानदार गाथाओं की याद दिलाता हूँ, और भारत के गौरवशाली इतिहास का बोध कराता हूँ।
मैं लाल किला, सदियों से खड़ा रहा हूँ, और आने वाली सदियों तक खड़ा रहूँगा। मैं दिल्ली का प्रहरी हूँ, इतिहास का साक्षी हूँ, और भारत की संस्कृति का प्रतीक हूँ। भविष्य में भी, मैं आने वाली पीढ़ियों को अपने इतिहास के बारे में बताता रहूँगा, यह सुनिश्चित करता रहूँगा कि भारत का गौरवशाली अतीत कभी भुलाया न जाए।
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