जल संचयन पर एक संवाद लिखिए- राहुल: नहीं यार, जल संचयन का मतलब है बारिश का पानी इकट्ठा करके रखना। हम अपने घरों की छतों पर टैंक लगवा सकते हैं और उसमें ब
जल संचयन पर एक संवाद लिखिए (Jal Sanchayan Par Ek Samwad Likhiye)
राहुल: अरे दोस्तों, क्या आपने सुना है कि हमारे शहर में पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है? गर्मी के दिनों में तो हालात और भी खराब हो जाते हैं।
सीमा: हां, राहुल, ये बहुत ही चिंता की बात है। मुझे लगता है कि हमें जल संचयन के बारे में सोचना चाहिए। अगर हम अपने घरों में ही पानी संचय करने लगें तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है।
आकाश: जल संचयन? ये क्या होता है? मुझे तो समझ नहीं आ रहा।
राहुल: नहीं यार, जल संचयन का मतलब है बारिश का पानी इकट्ठा करके रखना। हम अपने घरों की छतों पर टैंक लगवा सकते हैं और उसमें बारिश का पानी स्टोर कर सकते हैं। इससे हमें रोजमर्रा के कामों के लिए पानी की कमी नहीं होगी।
सीमा: बिल्कुल सही कहा तुमने राहुल। हम न सिर्फ घरों में बल्कि अपने आसपास के क्षेत्रों में भी छोटे-छोटे तालाब या कुएं बनवा सकते हैं। इससे भूजल स्तर भी बढ़ेगा।
आकाश: अच्छा, ये तो ठीक है, लेकिन इतने बड़े स्तर पर काम करना तो सरकार का काम है ना? हम क्या कर सकते हैं?
राहुल: देखो आकाश, छोटी-छोटी शुरुआत से ही बड़े बदलाव आते हैं। अगर हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो जरूर कुछ हासिल कर सकते हैं। हम अपने दोस्तों, परिवार वालों को भी इसके बारे में बता सकते हैं और उन्हें भी इस मुहिम से जोड़ सकते हैं।
सीमा: हां, तुम सही कह रहे हो। हमें सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करना चाहिए। जल संचयन के फायदों के बारे में पोस्ट करके लोगों को जागरूक कर सकते हैं।
राहुल: बिल्कुल, चलो हम आज से ही शुरुआत करते हैं। कल हम मिलकर अपने घरों में जल संचयन के लिए क्या-क्या करना पड़ेगा, इसकी योजना बनाएंगे।
सीमा: बढ़िया आइडिया है राहुल! मुझे पूरा यकीन है कि हम मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल सकते हैं।
जल संचयन पर संवाद लेखन (Jal Sanchayan Par Samvad Lekhan)
श्याम: रामू भाई, आजकल तो खेतों की हालत देखकर मन ही उदास हो जाता है। पानी की इतनी कमी हो गई है कि फसल बर्बाद होने की कगार पर है।
रामू: हां श्याम, तुमने तो सही कहा। पहले तो बारिश अच्छी होती थी, अब तो बरसात का भी पता नहीं चलता। जमीन सूखी पड़ गई है, और कुएं भी सूखने लगे हैं।
श्याम: सुनो, मैंने कल अखबार में पढ़ा था कि जल संचयन करने से काफी फायदा हो सकता है। बारिश का पानी इकट्ठा करके हम भूमिगत जल स्तर को बढ़ा सकते हैं।
रामू: जल संचयन? ये क्या होता है?
श्याम: देखो, ये बहुत ही आसान तरीका है। बारिश का पानी बहकर नालों में न जाए, इसके लिए हम अपने घरों की छतों पर, खेतों में या कहीं भी थोड़ी सी जगह बनाकर पानी इकट्ठा कर सकते हैं। ये पानी धीरे-धीरे जमीन में रिसकर भूमिगत जल स्तर को बढ़ाएगा।
रामू: अरे वाह! ये तो बहुत अच्छा विचार है। लेकिन इतना सारा पानी इकट्ठा करने के लिए बड़े-बड़े टैंक बनाने पड़ेंगे, क्या?
श्याम: जरूरी नहीं है बड़े टैंक बनाने का। छोटे-छोटे कुंड या तालाब भी बना सकते हैं। यहाँ तक कि पुराने कुओं की सफाई करवाकर उनका उपयोग भी कर सकते हैं।
रामू: हां, ये तो सही बात है। मुझे लगता है कि हमें भी अपने खेत में एक छोटा सा तालाब खोदवाना चाहिए। इससे हमें सिंचाई में भी मदद मिलेगी।
श्याम: बिल्कुल सही कहा तुमने। देखो, अगर हम सब मिलकर जल संचयन करेंगे तो हमारे गांव की स्थिति में काफी सुधार होगा। हमें इस बारे में और लोगों को भी जागरूक करना चाहिए।
रामू: हां, जरूर करेंगे। चलो, कल पंचायत की बैठक में इस विषय पर बात करते हैं।
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