भारतीय युवाओं की बढ़ती विदेश जाने की मानसिकता पर निबंध: आज का भारत एक युवा देश है, जहां 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यह युवा शक्ति राष्ट
भारतीय युवाओं की बढ़ती विदेश जाने की मानसिकता पर निबंध
आज का भारत एक युवा देश है, जहां 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। यह युवा शक्ति राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करने की क्षमता रखती है। परन्तु आजकल भारतीय युवाओं की विदेश जाने की मानसिकता चिंता का विषय बन गयी है। इसे अक्सर "ब्रेन ड्रेन" के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है शिक्षित और कुशल युवाओं का बड़े पैमाने पर पलायन। शिक्षा, नौकरी या बेहतर जीवनशैली की तलाश में प्रतिभाशाली युवा विदेशी धरती पर अपना भविष्य तलाश रहे हैं। इस निबंध में हम युवाओं के पलायन के कारणों, परिणामों और इससे जुड़े जटिल सवालों पर चर्चा करेंगे।
युवाओं के विदेश पलायन के कारण:
- बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर: विकसित देश अक्सर बेहतर शिक्षा प्रणाली, अनुसंधान सुविधाओं और रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों में सीमित सीटों और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के कारण, युवा विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेना चाहते हैं।
- जीवनयापन का बेहतर स्तर: विकसित देशों में उच्च वेतन, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा और जीवन की उच्च गुणवत्ता युवाओं को आकर्षित करती है। भारत में बेरोजगारी की समस्या भी विदेश जाने वालों की संख्या को बढ़ा रही है।
- सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियां: भारत में भ्रष्टाचार, गरीबी, असमानता और सामाजिक बुराइयों से निराश होकर युवा विदेशों में बेहतर जीवन की तलाश में जाते हैं। युवा यह सोचते हैं कि विदेश में उन्हें मेहनत के अनुरूप फल मिलेगा और वे अपने सपनों को साकार कर पाएंगे।
- पश्चिमी संस्कृति का आकर्षण: कुछ युवा पश्चिमी संस्कृति, जीवनशैली और मूल्यों से आकर्षित होते हैं और विदेशों में बसने का सपना देखते हैं।
हालांकि, युवाओं का विदेश पलायन राष्ट्र के लिए हानिकारक भी हो सकता है। शिक्षित और कुशल युवा वही होते हैं जो देश के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। विदेश जाते समय वे अपने साथ ज्ञान, कौशल और उद्यमशीलता ले जाते हैं। इससे भारत को कुशल श्रमशक्ति की कमी का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों के विदेश जाने से भारत का आर्थिक और वैज्ञानिक विकास अवरुद्ध हो सकता है। प्रतिभाशाली युवा उद्यमी भारत में नई कंपनियां स्थापित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके पलायन से देश की उद्यमशीलता और नौकरी सृजनात्मकता में कमी आती है।
समाधान का समाधान
- जीवनयापन की बेहतर स्थिति बनाना: भारत को जीवनयापन की बेहतर स्थिति बनाकर विदेशों में बसने के लिए युवाओं के आकर्षण को कम किया जा सकता है। बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा प्रणाली में सुधार और स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश करके भारत युवाओं को यह विश्वास दिला सकता है कि उन्हें अपने देश में ही सफलता और सुरक्षा मिलेगी।
- अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना: सरकार को अनुसंधान और विकास के लिए अधिक धन आवंटित करना चाहिए। विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को नवीनतम तकनीकों और संसाधनों तक पहुंच प्रदान करना चाहिए। यह युवा वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को भारत में ही शोध करने और नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
- उद्यमशीलता को बढ़ावा देना: युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी योजनाएं बनाई जानी चाहिए।सरकार को बैंकों से ऋण प्राप्त करना आसान बनाना, स्टार्टअप्स के लिए कर छूट देना और उद्यमिता विकास कार्यक्रम कैसे कदम उठाने चाहिए।
- प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ाव: विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। सरकार को प्रवासी भारतीयों के साथ संबंध मजबूत करने और उन्हें भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के उपाय करने चाहिए। साथ ही, विदेशों में रहने वाले भारतीय छात्रों के साथ संबंध बनाना चाहिए ताकि उन्हें भविष्य में भारत लौटने के लिए प्रेरित किया जा सके।
निष्कर्ष: ब्रेन ड्रेन एक जटिल समस्या है जिसका भारत के विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। भारत सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा मिलकर किए गए प्रयासों से, हम न केवल प्रतिभाओं के पलायन को रोक सकते हैं, बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीयों को वापस लाने और भारत के विकास में योगदान करने के लिए प्रोत्साहित भी कर सकते हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि युवा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होते हैं। उनके कौशल, ऊर्जा और नवाचार राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत की युवा प्रतिभा राष्ट्रीय संपत्ति है, इसलिए उन्हें भी यह महसूस करने की आवश्यकता है कि उनका देश उनकी प्रतिभा और कौशल को महत्व देता है।
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