अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत पर कहानी अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि किसी काम को करने का सही...
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत पर कहानी
अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत कहावत का शाब्दिक अर्थ है कि किसी काम को करने का सही समय होता है, अगर हम उस समय काम नहीं करते हैं तो बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। जिसे एक कहानी के द्वारा समझा जा सकता है।
एक छोटे से गाँव में, रामू नाम का एक किसान रहता था। रामू मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसकी एक बड़ी कमजोरी थी - वह हमेशा काम टालने का बहाना ढूंढता था।
एक साल, रामू ने अपने खेत में गेहूँ बोने का फैसला किया। समय आ गया, लेकिन रामू ने सोचा, "अभी तो समय है, कल कर लूँगा।" मौसम अच्छा था, और उसे लगा कि अभी भी कई दिन बाकी हैं।
इस तरह, रामू हर दिन खेत की तैयारी को टालता रहा। कभी वह दोस्तों के साथ खेलने चला जाता, तो कभी गाँव के मेले में। इसी बहाने से उसने अपने खेत की देखभाल नहीं की।
समय बीतता गया और मौसम बदलने लगा। बारिश का मौसम आ गया और रामू ने देखा कि उसके खेत में घास और जंगली झाड़ियाँ उगने लगी हैं। अब उसे एहसास हुआ कि अगर उसने समय पर काम किया होता, तो उसकी फसल अच्छी होती।
एक दिन, जब रामू ने खेत का दौरा किया, तो उसे पता चला कि उसकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। उसने उदास होकर सोचा, "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत!" उसे समझ में आया कि उसने समय का सही उपयोग नहीं किया और अब पछताने से कुछ नहीं होने वाला।
इस अनुभव से रामू ने एक महत्वपूर्ण सबक सीखा। उसने ठान लिया कि आगे से वह कभी भी काम को टालेगा नहीं। उसने अपने दोस्तों को भी समझाया कि समय का सही उपयोग करना कितना जरूरी है।
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए। जो काम आज किए जा सकते हैं, उन्हें कल के लिए नहीं टालना चाहिए। टालमटोल की वजह से हमें पछतावा और नुकसान ही झेलना पड़ता है।
यह कहानी हमें जीवन में अनुशासन और समय प्रबंधन का महत्व समझाती है। हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए और समय का सदुपयोग करना चाहिए।
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