मेरी अंतरिक्ष यात्रा निबंध: काश! कभी मैं भी एक अंतरिक्ष यान में सवार हो पाता। धरती से दूर होता हुआ, वायुमंडल को पार करता हुआ। कैसा होगा वो अनुभव? शायद
मेरी अंतरिक्ष यात्रा निबंध - Meri Antriksh Yatra Par Nibandh
रात को आसमान में टिमटिमाते तारों को देखना मुझे बहुत पसंद है। कभी-कभी तो लगता है मानो वो मुझसे बातें कर रहे हों, दूर से ही सही, मुझे अपनी कहानियाँ सुना रहे हों। तारों को देखते हुए अक्सर मेरा ख्याल आकाश की ऊंचाइयों को छूने का, एक रोमांचक अंतरिक्ष यात्रा पर जाने का, जिसके बारे में मैं किताबों में पढ़ता हूँ।
मुझे पता है कि अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। सालों तक पढ़ाई करनी होती है, कड़ी ट्रेनिंग लेनी होती है। लेकिन एक बच्चे के तौर पर, मैं तो बस कल्पना कर सकता हूँ कि अंतरिक्ष की यात्रा कैसी होगी!
काश! कभी मैं भी एक अंतरिक्ष यान में सवार हो पाता। धरती से दूर होता हुआ, वायुमंडल को पार करता हुआ। कैसा होगा वो अनुभव? शायद थोड़ा डर लगेगा, लेकिन उससे कहीं ज्यादा रोमांच होगा। वैसे तो विमान में भी उड़ान भर चुका हूँ, पर अंतरिक्ष यान तो उससे बिल्कुल अलग होगा।
छोटी सी खिड़की से बाहर देखूंगा तो तारे अब ज्यादा चमकदार लगेंगे, और काला आसमान एक विशाल कैनवास की तरह दिखेगा। गुरुत्वाकर्षण कम होने लगेगा और मैं अपनी सीट पर तैरने लगूंगा। यह बिल्कुल जादू जैसा लगेगा! धरती एक नीली गेंद की तरह नजर आएगी। धीरे-धीरे वो और भी छोटी होती जाएगी, मानो कोई खिलौना दूर होता जा रहा हो। सारे देश, महासागर, पहाड़, सबकुछ एक साथ दिखेगा। शायद तब मुझे ये एहसास हो कि हमारी धरती कितनी खूबसूरत है, इसकी रक्षा कितनी ज़रूरी है।
शायद मैं अंतरिक्ष स्टेशन पर जाऊंगा। वहां से पृथ्वी एक नीला गेंद जैसी दिखेगी, जिसके चारों तरफ होंगे छोटे-छोटे बादल। साथी अंतरिक्ष यात्री शायद मुझे यह सिखायेंगे कि अंतरिक्ष में खाना कैसे खाया जाता है और बिना गुरुत्वाकर्षण के कैसे सोया जाता है।
अगर मैं काफी भाग्यशाली रहा, तो शायद मैं चाँद पर भी जाऊं!। पर मैं मंगल ग्रह पर जाने का सपना भी मन में रखता हूँ। वहाँ लाल मिट्टी होगी, शायद पहाड़ भी लाल होते होंगे। वहाँ भी कोई जीवन होगा क्या? ये सवाल मेरे दिमाग में घूमते रहते हैं।
खैर, अभी तो ये सिर्फ सपना है। मगर मैं वादा करता हूँ कि अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए कड़ी मेहनत करूँगा। विज्ञान के बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ूंगा। शायद एक दिन ये सपना हकीकत बन जाए और मैं भी अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छू लूँ!
मेरी अंतरिक्ष यात्रा निबंध - 2
अंतरिक्ष यात्री बनना कोई आसान काम नहीं है, यह मैं जानता हूँ। इसके लिए बहुत मेहनत, पढ़ाई और खास ट्रेनिंग की ज़रूरत होती है। मगर सपने देखने में तो कोई बुराई नहीं है, है ना? तो चलिए, आज मैं आप सभी को अपनी अंतरिक्ष यात्रा के रोमांच की कहानी सुनाता हूँ!
कल्पना कीजिए, मैं एक तेज रफ्तार वाले रॉकेट में बैठा हूँ। चारों तरफ तमाम बटन और उपकरण हैं, जिन्हें मैं अभी समझ नहीं पा रहा हूँ। रॉकेट के इंजनों की तेज आवाज से अचानक धरती कांपने लगती है और रॉकेट आसमान की तरफ तेजी से ऊपर उठने लगता है। मेरी सीट से मुझे धरती धीरे-धीरे छोटी होती हुई नजर आ रही है। कुछ ही देर में नीला आसमान काला हो जाता है और तारे पहले से कहीं ज्यादा चमकदार दिखने लगते हैं।
गुरुत्वाकर्षण का असर कम होने लगता है। मेरा शरीर हल्का होकर में हवा में तैरने लगता है। शुरू में तो थोड़ा अजीब लगता है, पर फिर यह अनुभव मजेदार होने लगता है। मैं खिड़की से बाहर झाँकता हूँ और धरती को एक नीली गेंद के रूप में देखता हूँ, जो धीरे-धीरे सिकुड़ती जा रही है। मैं अपने साथियों के साथ अंतरिक्ष यान के अंदर इधर-उधर तैर कर खेल रहा हूँ। हम खास खाने का लुत्फ़ उठा रहे हैं, जो ट्यूबों में भरा हुआ है।
हमारा पहला पड़ाव चाँद है। अंतरिक्ष यान चाँद की सतह पर धीरे से उतरता है। मैं स्पेससूट पहन कर बाहर निकलता हूँ। चाँद की सतह धूल भरी और पथरीली है। आसमान में पृथ्वी बहुत बड़ी और खूबसूरत दिखाई दे रही है। मैं चाँद पर छोटे-छोटे कदम बढाता हूँ, क्योंकि यहाँ गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से कम है। मैं चाँद के पत्थरों का नमूना इकट्ठा करता हूँ, जो पृथ्वी पर वैज्ञानिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
कुछ दिन चाँद पर बिताने के बाद हम मंगल ग्रह के लिए रवाना होते हैं। मंगल ग्रह लाल रंग का दिखाई देता है। इसकी सतह पर कुछ पहाड़ और नदियों के निशान भी नजर आते हैं। तारा-तरह के सवालों से हमारा मस्तिष्क भर जाता है। क्या कभी यहां पर जीवन रहा होगा? क्या मंगल गृह पर पानी होगा? अगर मंगल पर कोई समझदार जीव मिल गया तो ? यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। खैर हम मंगल की मिट्टी के कुछ नमूने लेकर हम अंतरिक्ष यान में वापस आ जाते हैं।
जब मेरी अंतरिक्ष यात्रा खत्म हो जाएगी, तो वापसी का रास्ता भी रोमांचक होगा। पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते समय, एक बार फिर से तेज गति का अनुभव होगा। गुरुत्वाकर्षण का अहसास होगा। धीरे-धीरे नीला आसमान और हरे पेड़ दिखाई देंगे। फिर रॉकेट जमीन पर धीमी गति से उतरेगा। मैं वापस अपने परिवार और दोस्तों से मिलूँगा! यह अनुभव वाकई बहुत शानदार होगा।
शायद एक दिन, सचमुच में अंतरिक्ष यात्रा पर जा सकूं! इसलिए, मैं कड़ी मेहनत करूंगा, खूब पढ़ाई करूंगा ताकि एक दिन मैं भी असली अंतरिक्ष यान में बैठ सकूं और ब्रह्मांड के अनगिनत रहस्यों को उजागर कर सकूं!
अंतरिक्ष यात्रा के बारे में महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs):
- अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए क्या करना पड़ता है?
अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए कड़ी मेहनत और सालों की पढ़ाई की ज़रूरत होती है। इसमें विज्ञान, गणित और इंजीनियरिंग विषयों में मजबूत आधार होना जरूरी है। साथ ही, अंतरिक्ष यात्रियों को शारीरिक और मानसिक रूप से भी बहुत मजबूत होना पड़ता है, क्योंकि अंतरिक्ष यात्रा के दौरान उन्हें कई तरह की कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
- अंतरिक्ष यात्रा में कितना समय लगता है?
अंतरिक्ष यात्रा में लगने वाला समय इस बात पर निर्भर करता है कि हम अंतरिक्ष में कहाँ जा रहे हैं। चाँद तक जाने में कुछ दिन लगते हैं, जबकि मंगल ग्रह तक जाने में कई महीने लग सकते हैं।
- अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्री क्या खाते हैं?
अंतरिक्ष यात्री डिब्बाबंद या ट्यूब में बंद खास तरह का खाना खाते हैं, जो लंबे समय तक खराब नहीं होता है। ये भोजन पौष्टिक और संतुलित आहार प्रदान करते हैं। अंतरिक्ष यात्री कभी-कभी ताजे फल और सब्जियां भी खा सकते हैं, जिन्हें विशेष रूप से अंतरिक्ष यान में उगाया जाता है।
- अंतरिक्ष यात्रा के दौरान क्या-क्या सावधानियां बरती जाती हैं?
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को विकिरण, गुरुत्वाकर्षण में कमी, और वातावरण के अभाव जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से बचने के लिए अंतरिक्ष यात्री विशेष स्पेससूट पहनते हैं और अंतरिक्ष यान में कृत्रिम वातावरण बनाया जाता है।
- अंतरिक्ष यात्रा के दौरान गुरुत्वाकर्षण का क्या प्रभाव होता है?
पृथ्वी से दूर जाने पर गुरुत्वाकर्षण कम हो जाता है। इससे अंतरिक्ष यात्री भारहीनता का अनुभव करते हैं, जहाँ उनका वजन कम हो जाता है और वे हवा में तैरने लगते हैं।
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