मेरे मोहल्ले का चौराहा पर रचनात्मक लेखन: मेरे घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है हमारे मोहल्ले का चहल-पहल से भरा चौराहा। यह चौराहा शहर की चार प्रमुख सडकों
मेरे मोहल्ले का चौराहा पर रचनात्मक लेखन - Mere Mohalle ka Chauraha Rachnatmak Lekhan
मेरे घर से कुछ ही दूरी पर स्थित है हमारे मोहल्ले का चहल-पहल से भरा चौराहा। यह चौराहा शहर की चार प्रमुख सडकों को जोड़ता है। यह चौराहा न सिर्फ आने-जाने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यहां की रौनक और हरदम गतिशील माहौल इसे हमारे इलाके की पहचान बनाता है।
यह चौराहा इतना व्यस्त रहता है कि मानो यहां कभी सन्नाटा न होता हो। सुबह से लेकर शाम तक वाहनों की कतारें लगी रहती हैं। बाइक, स्कूटर, कार, ऑटो और कभी-कभी ट्रक भी इसी चौराहे से होकर गुजरते हैं। हर गाड़ी की अपनी एक अलग सी आवाज होती है, जो मिलकर शहर के शोर का एक अनोखा संगीत रचती है। फुटपाथ पर पैदल चलने वाले लोगों की भीड़ भी कम नहीं होती। स्कूल जाते बच्चे, ऑफिस के लिए निकले कर्मचारी, सब अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहते हैं।
इस चौराहे के एक ओर, छोटा सा पार्क बना हुआ है। हरे-भरे पेड़-पौधे और रंग-बिरंगे फूल इस पार्क की खूबसूरती बढ़ाते हैं। ट्रैफिक सिग्नल के इंतजार में खड़े रहने वाले यात्री इस पार्क के नजारे को देखकर थोड़ी देर के लिए अपनी थकान मिटा लेते हैं। शाम के समय तो यह पार्क, और भी ज्यादा जीवंत हो उठता है। स्ट्रीट लाइट्स की रोशनी में नहाए हुए पेड़ों के नीचे, कई लोग टहलते हुए देखे जा सकते हैं। कुछ बच्चे पेड़ों के नीचे क्रिकेट खेलते हैं, तो कुछ बूढ़े लोग आपस में बातचीत करते हुए नजर आते हैं।
यह चौराहा सिर्फ आने-जाने का रास्ता ही नहीं, बल्कि लोगों के मिलने-जुलने का भी एक जरिया है। यहां अक्सर दोस्तों की टोली आपस में बातें करती हुई देखी जा सकती है। कभी-कभी कोई राहगीर किसी दूसरे से रास्ता पूछता हुआ दिख जाता है। त्योहारों के समय तो इस चौराहे की रौनक दोगुनी हो जाती है। दुकानों पर सजी रंग-बिरंगी लाइटें और सड़क के किनारे लगे पेटीज, चाउमीन के स्टाल, ये सब मिलकर एक त्यौहार जैसा माहौल बनाते हैं।
इस तरह से देखें, तो यह चौराहा सिर्फ ईंट-पत्थरों का जाल नहीं, बल्कि हमारे इलाके की धड़कन है। यह हर रोज़ बदलते हुए शहर का एक स्थायी हिस्सा है।
मेरे मोहल्ले का चौराहा पर निबंध - Mere Mohalle ka Chauraha par Nibandh
मेरे मोहल्ले का चौराहा मेरे बचपन की यादों का एक खास हिस्सा है। यह मेरे घर के ठीक सामने वाली गली से जुड़ा है। यह कोई बड़ा चौराहा नहीं है, बल्कि दो छोटी गलियों का मिलन स्थल है। लेकिन, मेरे लिए यह किसी व्यस्त चौराहे से कम नहीं।
सुबह होते ही, यहाँ जिंदगी की रफ्तार तेज हो जाती है। स्कूल जाने वाले बच्चों का शोर, दूधवाले की हूट, अखबार वाले की आवाज, आइसक्रीम वाले की घंटी - ये सब मिलकर एक मीठा कोलाहल पैदा करते हैं। रसोइयों से निकलती हुई खुशबू, आस-पड़ोस के लोगों की बातचीत - ये सब मिलकर सुबह के इस चौराहे को एक जीवंतता प्रदान करते हैं।
दिन भर यहाँ चहल-पहल लगी रहती है। रिक्शेवाले सवारी ढूंढते हुए इधर-उधर घूमते रहते हैं। दुकानदार अपनी दुकानें सजाते हैं और ग्राहक आने का इंतजार करते हैं। गृहिणियां राशन का सामान खरीदने के लिए आती-जाती रहती हैं। कभी-कभी, कोई फेरीवाला अपनी रंग-बिरंगी चीजें बेचने के लिए आ जाता है, जिससे चौराहे पर एक उत्सव जैसा माहौल बन जाता है।
शाम ढलते ही, चौराहे का नजारा बदल जाता है। स्ट्रीट लाइट जल उठती हैं और उनकी रोशनी में चौराहा जगमगा उठता है। बच्चे क्रिकेट खेलने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं। बड़े लोग आपस में बैठकर बातचीत करते हैं और दिनभर की थकान मिटाते हैं।
यह चौराहा सिर्फ रास्ता बताने वाला स्थान नहीं है, बल्कि यह हमारे मोहल्ले का एक सामुदायिक केंद्र है। यहाँ लोग मिलते-जुलते हैं, अपनी खुशियाँ बाँटते हैं और दुखों में एक-दूसरे का सहारा बनते हैं। त्योहारों के समय तो यहाँ खुशियों का मेला लग जाता है। चौराहे के बीचों-बीच एक गोल चौक है जहाँ प्रति वर्ष गणेश चतुर्थी का आयोजन किया जाता है। मिलनसार पड़ोसी मिलकर सजावट करते हैं और त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं।
इस चौराहे की सबसे खास बात यहाँ का शांत वातावरण है। शहर के अन्य चौराहों के विपरीत, यहाँ ट्रैफिक का शोर नहीं होता। पेड़ों की हवा में लहराती पत्तियाँ और कभी-कभी दूर से आने वाली मंदिर की घंटी की आवाज ही यहाँ का वातावरण बनाती है।
शहर के बड़े चौराहों की तरह यहाँ ट्रैफिक लाइट या पुलिस की तैनाती नहीं होती। ट्रैफिक को मैनेज करना खुद ही मोहल्ले वालों की ज़िम्मेदारी है। कभी-कभी थोड़ा बहुत ट्रैफिक जाम हो जाता है, पर तब भी लोग आपस में बातचीत कर के रास्ता निकाल लेते हैं। इसी आपसी सहयोग और मेलजोल ने इस चौराहे को खास बना दिया है।
शायद यही वजह है कि यह चौराहा मेरे लिए खास है। यह मुझे सिर्फ रास्ता नहीं दिखाता, बल्कि मुझे अपने मोहल्ले से, अपने लोगों से जुड़ाव का एहसास दिलाता है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ जिंदगी की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है और हम जिंदगी के छोटे-छोटे सुखों का आनंद ले सकते हैं।
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