जब मैं लंच बॉक्स लाना भूल गया रचनात्मक निबंध लेखन जब मैं लंच लाना भूल गया निबंध: आज भी मुझे वो दिन अच्छे से याद है जब मैं लंच लाना भूल गया ...
जब मैं लंच बॉक्स लाना भूल गया रचनात्मक निबंध लेखन
जब मैं लंच लाना भूल गया निबंध: आज भी मुझे वो दिन अच्छे से याद है जब मैं लंच लाना भूल गया था। उस दिन सुबह देर से उठने के कारण मैं जल्दी-जल्दी में स्कूल के लिए तैयार हुआ। मैंने किताबें, पेंसिल, पानी की बोतल सब कुछ बैग में डाल दिया, लेकिन लंच बॉक्स रखना भूल गया। स्कूल की बस आने की आवाज सुनकर तो मानो पैरों तले जमीन ही खिसक गई। मैंने झटपट बैग समेटा और बस में सवार हो गया।
पहले तीन पीरियड कटने के बाद, पेट में एक अजीब सी गुड़गुड़ाहट होने लगी। मन में सोचा, कि बस एक पीरियड और बीत जाए फिर इंटरवेल में तो भरपूर खाना खाऊंगा। आखिरकार सुबह की क्लासेस खत्म हुईं और इंटरवेल का समय आया। मैं भी बैग खोलने के लिए लपका। किताबें निकालकर एक तरफ रखीं, पानी की बोतल ली, लेकिन लंच बॉक्स... वो कहीं नजर नहीं आया। मैंने बैग को खंगाला, फिर से खंगाला, मगर वो गायब था। एक पल को लगा जैसे किसी ने मेरा टिफिन चुरा लिया हो।
फिर अचानक दिमाग में कौंधा - मैंने तो टिफिन घर पर ही रख दिया! जेब में कुछ पैसे नहीं थे, इसलिए स्कूल की कैंटीन से कुछ खरीदकर खाना तो दूर की बात थी। पूरे दिन भूखा रहना, वो भी बिना किसी पैसे के, ये सोचकर तो घबराहट और बढ़ गई।
चारों तरफ दोस्तों को देखा, पर किसी के पास कुछ खाने के लिए नहीं था। मेरा मन थोड़ा मायूस होने लगा क्योंकि मेरे सारे दोस्तों ने लंच शेयर करने से मना कर दिया। तभी क्लास के कोने में बैठे विनय पर नजर पड़ी। वह हमेशा अकेला ही खाना खाता था।
एक पल को हिचकिचाहट हुई, फिर सोचा कि मदद मांगने में ही क्या हर्ज है। मैं विनय के पास गया और बताया कि मैं लंचबॉक्स भूल आया हूँ, क्या वो अपना लंच मेरे साथ शेयर कर सकता हूँ? विनय ने थोड़ा सोचा, फिर मुस्कुराते हुए बोला, "हाँ ज़रूर।"
उस दिन विनय का शेयर किया हुआ लंच मेरे लिए किसी स्वादिष्ट भोजन से कम नहीं था। उसकी दयालुता ने उस दिन मुझे भूख से बचा लिया था। उस दिन के बाद से मैं और विनय दोस्त बन गए और आज भी हम लंच मिल-बाँट कर खाते हैं।
आज भी वो दिन याद आता है, तो विनय की मदद के लिए शुक्रगुज़ार महसूस होता है। यह वाकया दोस्ती की ताकत और मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनने की अहमियत सिखा गया। साथ ही, ये घटना एक सबक भी दे गई। अब स्कूल जाने से पहले रात में ही लंचबॉक्स तैयार कर लेना मेरी आदत बन गई है।
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