एक पेंसिल की आत्मकथा हिंदी निबंध: मैं हूँ, बस एक पेंसिल! या यूँ कहें, एक कमाल की पेंसिल! मेरा लंबा, पतला शरीर लकड़ी का बना है और उसके अंदर ग्रेफाइट की
एक पेंसिल की आत्मकथा हिंदी निबंध - Autobiography of A Pencil Essay in Hindi
मैं हूँ, बस एक पेंसिल! या यूँ कहें, एक कमाल की पेंसिल! मेरा लंबा, पतला शरीर लकड़ी का बना है और उसके अंदर ग्रेफाइट की एक छड़ छिपी होती है। मेरा उद्देश्य? दुनिया को रंग देना नहीं, बल्कि उस पर निशान छोड़ना था। शब्दों और चित्रों के रूप में कहानियां बयां करना था। मैं वह औजार हूँ जिससे बच्चे लिखना सीखते हैं। जब किसी छोटे बच्चे, कवि या चित्रकार के हाथ मुझे थामते, तो मेरा दिल खुशी से भर जाता है।
मुझे एक कारखाने में बनाया गया था और फिर आई पैकिंग की बारी. कई सारी सहेलियों के साथ डिब्बों में बंद होकर हमें दुकानों पर बेचे जाने के लिए भेजा गया। वहाँ, मुझे कई रंग-बिरंगी कलमों और आकर्षक रबड़ों के साथ रखा गया।
एक दिन, एक छोटी बच्ची की निगाहें मुझ पर पड़ीं। उसने दुकानदार से मुझे मांगा और अपनी छोटी उंगलियों में मुझे थाम लिया। पेपर पर घसीटना शुरू कर दिया। लकीरें बनने लगीं, अजीबोगरीब सी, पर उसी वक्त बच्चे के चेहरे पर इतनी खुशी छा गई कि मेरा डर गायब हो गया।
उसी दिन से, मेरा असली सफर शुरू हुआ। जब वह मुझे तराशता, तो थोड़ा दर्द होता, पर फिर उसके हाथों से जो खूबसूरत लिखावट बनतीं, उन्हें देखकर मेरा दर्द दूर हो जाता। कभी-कभी जब वह गलती कर देता, तो मिटा देता था मानो कह रहा हो, "कोई बात नहीं, दोबारा कोशिश करते हैं!"
हर बार तराशने के साथ मेरा शरीर छोटा होता जाता। समय के साथ मेरा ग्रेफाइट कम होता गया। पर ये कमी मुझे कभी परेशान नहीं करती थी। क्योंकि हर निशान, जो मैं कागज पर छोड़ता था, वो किसी ना किसी चित्र या कहानी या कविता का हिस्सा बन जाता। मैंने गणित के जटिल समीकरणों को सुलझाया और क्रांतिकारियों के नारों को भी कागज पर उतारा।
एक पेंसिल की आत्मकथा पर निबंध - Autobiography of A Pencil Hindi Essay
मैं हूँ एक पेंसिल, छात्रों की साथी और लेखकों की दोस्त। मेरा जन्म एक साधारण लकड़ी के टुकड़े से होता है जिसे एक निश्चित आकार और माप में काटा-तराशा जाता जाता है। इसके बाद, ग्रेफाइट नामक एक खनिज को मिट्टी और पानी के साथ मिलाकर एक चिकना मिश्रण तैयार किया जाता है। ग्रेफाइट ही वह पदार्थ है जो मुझे लिखने की क्षमता प्रदान करता है। मैं एक साधारण उपकरण हूँ, लेकिन मेरे अंदर असीम संभावनाएं छिपी हैं। पैदा होते ही मुझे डिब्बों में भरकर स्टेशनरी की दुकानों पर भेज दिया गया।
फिर आया स्टेशनरी की दुकान तक का सफर। दुकान की रौनक देखते ही बनती थी। स्याही और कागज की एक खास सुगंध हवा में तैरती रहती थी। वहाँ पेन, रबड़ और शार्पनर जैसे कई नए साथी मिले। हर दिन नए बच्चे आते और किताबें तथा स्टेशनरी का अन्य सामान खरीदते।
एक दिन दुकान में ही मेरी किस्मत का फैसला हो गया। अमन नाम का एक लड़का मुझे अपने साथ ले गया। उसकी आँखों में चमक थी, लेकिन जल्द ही मेरा उत्साह निराशा में बदल गया। काश! मेरे जीवन में ये दिन न आता। अमन घमंडी और लापरवाह था। वह मुझे दीवारों पर रगड़ता, मेरी नोक को तोड़ देता और मेरी चीख सुनकर मज़ा लेता था। शार्पनर मेरा सबसे बड़ा दुश्मन बन गया, जो मुझे दिन में कई बार छीलता, जिससे मेरा शरीर धीरे-धीरे छोटा होता जाता।
पर कहते हैं ना, हर अंधेरे के बाद उजाला होता है. एक दिन अमन मुझे कहीं रखकर भूल गया। अगले दिन, अमन के दोस्त ने मुझे शिक्षक की मेज पर रख दिया। शिक्षिका का स्पर्श जादुई था। वह मुझे धीरे से उठाती, शालीनता से इस्तेमाल करती और ज़रूरत से ज्यादा कभी नहीं छीलना। आखिरकार मैंने अमन से छुटकारा पा लिया, जो मेरे जीवन में मिले सबसे नटखट बच्चों में से एक था. अब मैं अच्छे हाथों में था।
सुबह की चाय के साथ, वह अक्सर अपनी मेज पर बैठकर मेरी मदद से अंग्रेजी की कॉपियों को जांचती थी। कभी-कभी वह कवितायेँ लिखती या चित्रकारी भी करती। वह मुझे तभी छीलती जब आवश्यकता होती। अब मैं अपने जीवन के अंतिम दिनों में हूँ परन्तु मुझे कोई पछतावा नहीं है। क्योंकि हर निशान, जिसे मैंने छोड़ा है, वो किसी सपने का, किसी कहानी का हिस्सा बन गया है। शिक्षा की ज्योति जगाने में मैंने अपना छोटा सा योगदान दिया है।और यही मेरी कहानी है।
पेंसिल के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Pencils)
क्या पेंसिल वाकई लिखने का सबसे पुराना साधन है?
नहीं, पेंसिल लिखने का सबसे पुराना साधन नहीं है। मिट्टी की गोलियों और तीखे पत्थरों का इस्तेमाल हजारों साल पहले लिखने के लिए किया जाता था।
पहली आधुनिक पेंसिल कब बनाई गई थी?
1564 में इंग्लैंड में ग्रेफाइट का पहला भंडार खोजा गया था। उस समय ग्रेफाइट को मिट्टी की छड़ों में रखा जाता था। बाद में लकड़ी के आवरण का इस्तेमाल शुरू हुआ।
क्या सभी पेंसिल समान होती हैं?
नहीं, पेंसिलें ग्रेफाइट की कोमलता (H for Hard कठोर, B for Soft मुलायम) के आधार पर भिन्न होती हैं। एच पेंसिल हल्के निशान देती हैं, जबकि बी पेंसिल गहरे निशान देती हैं।
क्या होता है जब आप पेंसिल से लिखते हैं?
जब आप पेंसिल से लिखते हैं, तो ग्रेफाइट का महीन पाउडर कागज की सतह पर जम जाता है। रबर इन कणों को मिटा देता है।
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