अभय सिंह का चरित्र चित्रण: मातृभूमि का मान नाटक में सेनापति अभयसिंह एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वे मेवाड़ महाराणा लाखा के सेनापति हैं उनके चरित्र में वीर
अभय सिंह का चरित्र चित्रण - Abhay Singh Character Sketch in Hindi
"मातृभूमि का मान" नाटक में सेनापति अभयसिंह एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वे मेवाड़ के महाराणा लाखा के सेनापति हैं उनके चरित्र में वीरता, दूरदर्शिता और कुशल रणनीतिकार जैसे गुण विद्यमान हैं।
बुद्धिमान: अभयसिंह महाराणा लाखा के लिए केवल एक सेनापति ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी सलाहकार भी हैं। वे महाराणा को सदैव सही सलाह देते हैं और राज्य के हित में सोचते हैं। जब चारणी नकली दुर्ग बनाने का सुझाव देती है, तब अभयसिंह इस सुझाव का समर्थन करते हैं और नकली दुर्ग का निर्माण करवाते हैं।
निष्ठावान सिपाही: अभयसिंह मेवाड़ और महाराणा लाखा के प्रति अत्यंत निष्ठावान हैं। वे सदैव महाराणा के आदेशों का पालन करते हैं और उनकी रक्षा के लिए अपना जीवन दांव पर लगाने के लिए तैयार रहते हैं। जब महाराणा लाखा बूंदी से हार के बाद कसम खाते हैं कि वे बूंदी के दुर्ग पर विजय प्राप्त किए बिना अन्न-जल ग्रहान नहीं करेंगे, तब भी अभयसिंह उनका साथ देते हैं। नकली दुर्ग की योजना बनाकर, वे महाराणा की प्रतिज्ञा को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
दूरदर्शी: अभयसिंह केवल एक कुशल योद्धा ही नहीं, बल्कि दूरदर्शी भी हैं। वे परिस्थिति का गंभीरता से विश्लेषण कर सही निर्णय लेने में सक्षम हैं। इसी कारण वह महाराणा से कहते हैं कि, "बूँदी को उसकी धृष्टता के लिए दण्ड दिया ही जाएगा, लेकिन हाड़ा लोग बहुत वीर हैं, युद्ध करने में वे यम से भी नहीं डरते। यह अवश्य है कि अंत में विजय हमारी ही होगी, किन्तु समय लग सकता है।" जब चारणी नकली दुर्ग बनाने का सुझाव देती हैं, तो वे न केवल इस योजना का समर्थन करते हैं बल्कि इसे सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुशल सेनापति: अभयसिंह न केवल एक निष्ठावान सैनिक हैं, बल्कि एक कुशल सेनापति भी हैं। वे नीमरा के मैदान में हाड़ा राजपूतों के आकस्मिक हमले से अपने महाराणा को बचाकर लाते हैं। जब बूंदी के नकली दुर्ग पर युद्ध होता है, तब वे मेवाड़ की सेना का नेतृत्व करते हैं और बूंदी की सेना को पराजित करते हैं।
सेनापति अभयसिंह "मातृभूमि का मान" नाटक में एक प्रेरणादायक पात्र हैं। वे वीरता, कूटनीति और निष्ठा का अद्भुत संगम हैं। वे हमें सिखाते हैं कि एक सच्चा सैनिक अपनी मातृभूमि और अपने नेता के प्रति सदैव निष्ठावान रहना चाहिए।
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