सुनीता उपन्यास के आधार पर सुनीता का चरित्र चित्रण कीजिये: जैनेंद्र के उपन्यास "सुनीता" की नायिका, सुनीता, एक जटिल और बहुआयामी चरित्र है। वह अत्यंत सुं
सुनीता उपन्यास के आधार पर सुनीता का चरित्र चित्रण कीजिये
जैनेंद्र के उपन्यास "सुनीता" की नायिका, सुनीता, एक जटिल और बहुआयामी चरित्र है। वह अत्यंत सुंदर होने के साथ-साथ उच्चशिक्षित और कला की प्रेमी भी है। सुनीता श्रीकांत की पत्नी है। वह सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर सार्थक चर्चा करना चाहती है और घर की चारदीवारी में सिमटना उसे स्वीकार नहीं है। सुनीता के चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
शिक्षित: सुनीता एक आधुनिक नारी है। वह उच्चशिक्षित है और अध्ययनप्रेमी कुशाग्रबुद्धि भी है। उसे साहित्य पढ़ने का शौक है इसलिये उसकी अलमारी में बर्नार्ड शॉ, शेक्सपियर, शैली आदि साहित्यकारों की पुस्तकें हैं। उसके घर में हारमोनियम व वायलिन का होना यह दिखाता है कि उसे ये वाद्य बजाने आते हैं।
साहसी: हरिप्रसन्न जब उसे समझाता है कि देश के प्रति नवयुवकों के प्रति उसकी भी जिम्मेदारी है और उसे यह निभानी चाहिये तो वह हरिप्रसन्न के साथ बेझिझक रात को जंगल में जाने के लिये तैयार हो जाती है। हरिप्रसन्न के प्रति वह आकर्षित है, इस बात को भी वह छिपाती नहीं। यही नहीं वह उसके साथ खुलकर चर्चा करती है। उसके साथ सिनेमा भी चली जाती है।
आधुनिक स्त्री: सुनीता एक आधुनिक नारी है। वह समाज, राष्ट्र व नीति पर बात करना चाहती है। वह स्वयं को घर तक सीमित नहीं रखना चाहती। वह सोचती है कि घर के दरवाजे के बाहर से शुरु होकर जो अगणनीय आकाश तक चित्र-विचित्र दुनिया फैली है यह क्या इसलिए है कि उसकी तरफ से पीठ फेरकर घर में ही बैठ जाए। क्या उसका व नारी का कोई सरोकार नही होना चाहिए ।
पतिव्रता: आधुनिक नारी होने के बाद भी सुनीता पतिव्रता है। वह अपनी इच्छा के विरुद्ध पति की इच्छा का सम्मान करते हुए घर में ही रहना स्वीकार करती है। वह पति श्रीकांत का पूरा ध्यान रखती है। पति के मित्र हरिप्रसन्न का आना न चाहते हुए भी वह स्वीकार करती है। उसका पूरा ध्यान रखती है। यहाँ तक कि पति के आदेश को मानते हुए वह अपना सब कुछ हरिप्रसन्न को सौंपने के लिए भी तैयार हो जाती है। लेकिन वह हरिप्रसन्न के साथ जाने का निर्णय करने की जगह अपने घर, अपने पति के पास लौटने का निश्चय करती है।
कुशल गृहिणी: सुनीता एक कुशल गृहिणी है। खाना बनाने से लेकर घर के सारे कार्य वह स्वयं करती है। घर को सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाती है। घर आने-जाने वाले मेहमानों का वह पूरा ध्यान रखती है। पति की पसन्द का स्वादिष्ट खाना बनाती है। घर में सभी जगह उसकी सुरुचि संपन्नता दिखाई देती है।
परंपरावादी: विचारों से आधुनिक होते हुए भी सुनीता संस्कारों से परम्परा के प्रति झुकाव रखती है। यही कारण है कि स्त्री की पारम्परिक छवि के अनुसार वह पति की इच्छा के अनुरूप घर में ही रहने का चुनाव करती है। एक ओर उसमें विकसित आधुनिक चेतना उसको अपने वैयक्तिकता के प्रति जागरुकता करती है और परम्परागत दायरे से अलग सोचने पर मजबूर करती है तो दूसरी ओर संस्कार उसे बाँधते हैं कि घर के भीतर ही मोक्ष है। उसे भी लगता है कि समाज की रीति-नीति का पालन करना ही उसका परम्परागत स्त्री धर्म है।
जिज्ञासु: सुनीता जिज्ञासु स्वभाव की नारी है। उच्चशिक्षिता व अध्ययन प्रेमी होने के कारण वह बाहर की दुनिया के बारे में जानने को उत्सुक है। हरिप्रसन्न से मिलने के बाद उसकी यह उत्सुकता और बढ़ जाती है । वह हरिप्रसन्न के स्वच्छन्द जीवन उसके विचार, उसकी पेन्टिंग आदि के बारे में जानना चाहती है। वह उन देशभक्त नवयुवकों के प्रति भी जानने को उत्सुक है जो देश पर अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार है।
सुनीता जैनेंद्र के उपन्यास "सुनीता" की एक जटिल और विचारोत्तेजक पात्र है। वह आधुनिक विचारों से प्रेरित एक शिक्षित महिला है, जो सामाजिक बंधनों और पारंपरिक मूल्यों के बीच फंसी हुई है। उसकी ईमानदारी, जिज्ञासु प्रवृत्ति और आंतरिक संघर्ष उसे पाठकों के लिए एक रोचक चरित्र बनाते हैं। सुसुनीता का चरित्र पाठकों को यह सवाल करने के लिए प्रेरित करता है कि आखिरकार एक आदर्श महिला कैसी होनी चाहिए? क्या वह पूर्ण रूप से परंपराओं का पालन करे या आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चले?
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