श्रीकांत का चरित्र-चित्रण: लेखक जैनेंद्र कुमार कृत सुनीता उपन्यास में श्रीकांत एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वह सुनीता का पति है। शिक्षित होने के साथ-साथ व
सुनीता उपन्यास के आधार पर श्रीकांत का चरित्र-चित्रण कीजिये
श्रीकांत का चरित्र-चित्रण: लेखक जैनेंद्र कुमार कृत सुनीता उपन्यास में श्रीकांत एक महत्वपूर्ण पात्र हैं। वह सुनीता का पति है। शिक्षित होने के साथ-साथ वह एक सफल वकील भी है। श्रीकांत धर्म का पालन करता है और अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित है. वह चाहता था कि हरिप्रसन्न भटकाव भरी जिन्दगी को छोड़कर विवाह करे। उसके चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
धार्मिक: श्रीकांत धर्म और परंपरा का पक्का अनुयायी है। विवाह को वह समाज की रीढ़ मानता है और अपने मित्र हरिप्रसन्न को भी विवाह के लिए प्रेरित करता है। इसीलिये वह अपने मित्र हरिप्रसन्न को पत्र में लिखता है कि विवाह समाज की सृष्टि है, मनुष्य के भीतर प्राकृत रूप से वह नहीं है। लेकिन एक से दो होने की अपेक्षा आवश्यकता जान पड़ता हैं मनुष्य के भीतर तक व्याप्त है।
सच्चा मित्र: श्रीकांत एक सच्चा मित्र है। अपने मित्र हरिप्रसन्न को लेकर वह हर समय चिन्तित रहता है। वह हरिप्रसन्न को भटकाव भरी जिंदगी से निकालने और उसे व्यवस्थित करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। आर्थिक मदद के साथ-साथ वह उसे विवाह के लिए प्रेरित करता है। उसे अपनी साली को ट्यूशन पढ़ाने के लिये कहता है ताकि वह स्वाभिमान से अपना जीवन-यापन करे। उसे अपने घर में रखता है तथा उसे बार-बार समझाता है कि वह जीवन के प्रति गंभीर दृष्टि से सोचे। यही नही उसे गृहस्थ बनाने के लिये वह अपनी पत्नी सुनीता को भी प्रेरित करता है कि वह इस काम में उसका सहयोग करें।
अंतर्मुखी: श्रीकांत का स्वभाव अन्तर्मुखी है। वह अपने काम से काम रखता है। लोगों के साथ ज्यादा घुलना-मिलना नहीं चाहता। श्रीकांत की वृत्ति में सार्वजनिकता को अवकाश तथा अपने परिमित परिचय क्षेत्र में ही रहता था। वह अपने में ही अधिक रहता था।
संशयी स्वभाव: श्रीकांत संशयी स्वभाव का है। उसका यह संशय हरिप्रसन्न के प्रति व्यवहार में भी झलकता है। जहाँ एक तरफ वह हरिप्रसन्न को व्यवस्थित जीवन अपनाने के लिए प्रेरित करता है, वहीं दूसरी तरफ अपनी पत्नी सुनीता को हरिप्रसन्न को बदलने के लिए हर संभव प्रयास करने को कहता है, यहाँ तक कि "अपने आपको सौंपने" के लिए भी कहता है। वहीँ दूसरी ओर वह डरता है कि कहीं सुनीता हरिप्रसन्न के खुले विचारों से प्रभावित होकर उससे दूर न चली जाए। इसी कारण जब वह लाहौर से लौट आता है और घर में ताला देखता है तो उसे यही शंका होती है कि कहीं उसकी पत्नी ने उसे छोड़ तो नही दिया।
परम्परावादी: श्रीकांत की पत्नी सुनीता उच्च शिक्षित और कलात्मक रुचि रखती है, लेकिन श्रीकांत के विचार स्त्री के संबंध में परंपरागत ही रह जाते हैं। वह सुनीता को घर की सीमाओं में ही रहने और सिर्फ गृहस्थी संभालने के लिए प्रेरित करता है। यही कारण है कि वह सुनीता से न सामाजिक राजनीतिक परिस्थितियों पर न चर्चा करता था, न उसे अपने शौक को पूरा करने के लिये प्रोत्साहित करता था और न सार्वजनिक जीवन में उसे कुछ करने का मौका देता था। यही कारण है कि उसका दाम्पत्य जीवन नीरस व उबाऊ हो गया था।
पुरुषवादी: श्रीकांत संकुचित विचारों वाला व्यक्ति है। वह पुरुष की भूमिका घर-परिवार चलाने में अहम मानता है, लेकिन देश-समाज से पहले वह पुरुष को एक गृहस्थ रूप में अधिक महत्व देता है। उसका मानना है कि परिवार का सुदृढ़ होना जरुरी है क्योंकि वह राष्ट्र की सबसे छोटी मूलभूत इकाई है। इसी तरह स्त्रियों के भी घर से बाहर निकल कर कुछ करने की कोशिश को वह नकारता है। वह उनकी भूमिका परिवार को सुखी व मजबूत बनाने में अधिक महत्वपूर्ण मानता है।
श्रीकांत एक ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जो अपने भीतर परंपरागत मूल्यों और आधुनिक विचारों के बीच जूझ रहा है। वह एक अच्छा इंसान होने की कोशिश करता है, लेकिन उसके रूढ़िवादी सोच उसे पीछे खींचती है।
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