सबिया का चरित्र चित्रण: महादेवी वर्मा का रेखाचित्र "सबिया" एक ऐसी स्त्री की कथा है, जिसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है. यह कहानी है साबिया नामक एक महि
सबिया का चरित्र चित्रण - Sabiya ka charitra chitran
महादेवी वर्मा का रेखाचित्र "सबिया" एक ऐसी स्त्री की कथा है, जिसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है. यह कहानी है साबिया नामक एक महिला की, जो असंख्य दुख सहते हुए भी अपने पति, अंधी सास और बच्ची का पालन-पोषण करती है. आइए, इस रेखाचित्र के माध्यम से साबिया के चरित्र और उसके जीवन में निहित विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझें:
1. त्याग की प्रतिमूर्ति - सबिया
सबिया त्याग की एक जीवंत मूर्ति है. उसका पति मैकू उसे छोड़कर चला जाता है, मगर वह टूटती नहीं है. अकेले ही वह अपनी अंधी सास और बच्चे की जिम्मेदारी संभालती है. जब मैकू वापस लौटकर गेंदा नाम की दूसरी महिला को घर लाता है, तो भी साबिया उसे स्वीकार कर लेती है. यह उसकी विवशता नहीं, बल्कि त्याग का ही प्रमाण है. मैकू जब उसकी रेशमी साड़ी मांगता है, तो वह बिना किसी विवाद के अपनी नीली साड़ी उतार देती है और पुरानी साड़ी पहनकर गेंदा को लाने चली जाती है. गेंदा के पहले पति से छुटकारा दिलाने के लिए वह अपना वेतन भी गिरवी रख देती है. साबिया का यह त्याग समाज में स्त्री की निस्वार्थ भक्ति और समर्पण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है.
2. अडिग सहनशीलता
सबिया की सहनशीलता उसकी एक और महत्वपूर्ण विशेषता है. वह अपने पति की बेरुखी, सौतन की ईर्ष्या और अंधी सास की भर्त्सना को सहन करते हुए भी अपने कर्तव्यों का पालन करती रहती है. वह कभी शिकायत नहीं करती, बल्कि चुपचाप हर परिस्थिति का सामना करती है. उसकी सहनशीलता हमें यह सीख देती है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य बनाए रखना कितना आवश्यक है.
3. उदारता की मूरत
सबिया सिर्फ सहनशील ही नहीं, बल्कि अद्भुत उदारता से भी संपन्न है. गेंदा के घर में आने के बाद भी उसका संघर्ष कम नहीं होता, क्योंकि उसे हर पल अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए जद्दोजेहद करनी पड़ती है. फिर भी, वह दोनों समय सास और गेंदा के लिए भोजन बनाती है. दूसरों की परवाह करते हुए वह अपनी पीड़ा को भुला देती है. साबिया की उदारता हमें यह सिखाती है कि सुख का वास्तविक अर्थ देने में ही असली खुशी निहित है.
4. प्रेम और वात्सल्य का स्रोत
सबिया के चरित्र में प्रेम और वात्सल्य का समावेश भी भरपूर मात्रा में है. वह अपने पति, बच्चों और गेंदा से अगाध प्रेम करती है. वह अपने पति के प्रति कर्तव्यनिष्ठ है, बच्चों के लिए ममता से भरपूर है और यहां तक कि सौतन गेंदा के प्रति भी उसके मन में द्वेष की भावना नहीं है, बल्कि दया और सहिष्णुता का भाव ही है. अंधी सास के प्रति भी उसका स्नेह और सम्मान देखने लायक है. साबिया का प्रेम और वात्सल्य हमें यह बताता है कि प्रेम ही वह शक्ति है जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें मजबूत बनाती है.
5. समाज का यथार्थ चित्रण
"सबिया" रेखाचित्र सिर्फ एक स्त्री की कहानी नहीं है, बल्कि समाज के अनेक यथार्थों को भी उजागर करता है. इसमें गरीबों का शोषण, स्त्री जीवन की विडंबनाएं, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियां और पितृसत्ता का वर्चस्व जैसे विषयों को बखूबी चित्रित किया गया है. साबिया के पति द्वारा गेंदा को घर लाना इस बात का उदाहरण है कि कैसे समाज में पुरुषों को अपनी मर्जी से दूसरा विवाह करने का अधिकार है, जबकि स्त्री को पति के हर फैसले को स्वीकार करना पड़ता है. साथ ही, गेंदा के पहले पति से छुटकारा पाने के लिए साबिया को अपना वेतन गिरवी रखना पड़ता है, जो गरीबी और दहेज प्रथा के कुचक्र का परिचायक है.
6. परिवर्तन का आह्वान
महादेवी वर्मा ने इस रेखाचित्र के माध्यम से समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है. साबिया के चरित्र के माध्यम से उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की है कि स्त्री त्याग, सहनशीलता और प्रेम की मूर्ति हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उसका शोषण किया जाए. वह पाठकों को यह जगाने का प्रयास करती हैं कि समाज में बदलाव लाना आवश्यक है, जहां स्त्री को सम्मान और अधिकार दिया जाए.
निष्कर्ष
"सबिया" रेखाचित्र स्त्री जीवन की मार्मिक गाथा है. साबिया के चरित्र में त्याग, सहनशीलता, उदारता, प्रेम और वात्सल्य जैसे अनेक गुणों का समावेश है. महादेवी वर्मा ने इस रेखाचित्र के माध्यम से स्त्री जीवन की विडंबनाओं को उजागर करते हुए समाज में बदलाव लाने का आह्वान किया है. यह कहानी हमें यह सीख देती है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें धैर्य बनाए रखना चाहिए, दूसरों के प्रति उदारता का भाव रखना चाहिए और प्रेम को सदैव बनाए रखना चाहिए.
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