आउटसाइडर कहानी के आधार पर नीलम का चरित्र चित्रण: नीलम "आउटसाइडर" कहानी की नायिका है, जो अपने परिवार के लिए त्याग और समर्पण की मूर्ति है। पिता के आकस्म
आउटसाइडर कहानी के आधार पर नीलम का चरित्र चित्रण कीजिए
नीलम "आउटसाइडर" कहानी की नायिका है, जो अपने परिवार के लिए त्याग और समर्पण की मूर्ति है। पिता के आकस्मिक निधन के बाद, वह अपने छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी उठाती है और उन्हें शिक्षित करने और जीवन में स्थापित करने के लिए कठिन परिश्रम करती है। नीलम के चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
त्याग करने वाली और समर्पित: कहानी के शुरुआत में, नीलम को एक समर्पित और त्याग करने वाली महिला के रूप में दिखाया गया है। अपने पिता की मृत्यु के बाद, वह अपने भाई-बहनों की परवरिश और परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठा लेती हैं। वह अपने सपनों और खुशियों को ताक पर रखकर पूरे परिवार के लिए जीती हैं।
स्वतंत्र और सक्षम: नीलम एक स्वतंत्र और सक्षम महिला हैं। वह कॉलेज में अध्यापन का कार्य कर अपने पैरों पर खड़ी हैं। वह परिस्थितियों से हार मानने वाली नहीं हैं, बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहती हैं।
शादी का अंतर्द्वंद: पैंतालीस साल की उम्र में जब नीलम को लगता है कि उसने अपनी संपूर्ण जिम्मेदारियों को पूर्ण कर लिया, तब उसके दोनों भाई , उसकी बहुएँ , उसकी छोटी बहन और घर का दामाद भी उन्हें शादी करने के लिए मजबूर करते हैं। यहाँ नीलम का द्वंद्व देखिए – “पम्मी, मेरी उम्र चाहे जो भी रही हो, मेरे सपने अभी भी किशोर हैं। मेरे भाई लोग, जैसे एंटीक पीसेस मेरे सामने परोस रहे हैं, उनसे उनका कोई मेल नहीं है।”
आउटसाइडर: कहानी में नीलम की बहन पूनम कहती है कि, “दीदी तुमने इस घर को लाख इस ख़ून से सींचा हो, पर यह घर कभी भी तुम्हारा नहीं हो सकता है। तुम हमेशा इस घर के लिए आउट साइडर ही रहोगी। अभी तुम्हारे पास नौकरी है, पर जब तुम रिटायर हो जाओगी तो तुम्हारी हैसियत इस घर में एक फ़ालतु सामान की तरह रह जाएगी, तब तुम्हें मेरी बात याद आएगी।" यह वाक्य दर्शाता है कि कैसे समाज में एक अविवाहित महिला को कभी भी अपने घर में भी अपनापन महसूस नहीं होता। नीलम ने अपने सपनों को दरकिनार कर अपने परिवार को प्राथमिकता दी, लेकिन उसे कभी भी वह खुशी नहीं मिली जिसकी वह हकदार थी।
निराश: नीलम भीतर-ही-भीतर टूट जाती है। उसे जीवन में कई अवसर मिले थे परंतु, नीलम को अपने भाइयों के प्रेम पर पूरा भरोसा था इसीलिए उसने इस प्रमोशन और ट्रांस्फर दोनों को ठुकरा दिया। उनकी यह गलतफ़हमी थी कि उनके भाई उन्हें कभी भी अपने से दूर नहीं जाने देंगे। जब उसे प्रोन्नति के प्रस्ताव थमाए जा रहे थे। परन्तु वह इन्हीं परिजनों का सोचकर उन प्रस्तावों को ठुकरा देती थी। आज वह अपने वंद्व को छिपा नहीं रही। संदर्भ द्रष्टव्य है – “पम्मी, तुम नहीं जानती, अरमानों को दफ़न करना कितना असहनीय होता है। उन्हें वापस जिलाना तो शायद और भी पीड़ा देगा, और मुझे डर है कि अगर मुझे मजबूर किया गया, तो मैं सपनों के टूटे हुए सिरे को वहीं से उठाना चाहूँगी, जहाँ छोड़ था।”
स्वाभिमानी: नीलम एक स्वाभिमानी और जुझारू स्त्री थी। वास्तविकता का बोध होते ही उसने परिवार से अलग होने का निश्चय किया। नीलम ने अपना प्रमोशन और ट्रांस्फर दोनों स्वीकर कर लिया। अतः हम देखते हैं कि उसने उनसे पहले ही स्वयं को आउट साइडर बना लिया।
निष्कर्ष: कहानी अविवाहित महिलाओं द्वारा झेली जाने वाली पीड़ा और अकेलेपन को उजागर करती है। नीलम को, अपनी उम्र और सामाजिक स्थिति के कारण, लगातार शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। जब वह मना कर देती है, तो उसे अपने परिवार से ही अपमान और उपेक्षा का सामना करना पड़ता है।
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