नन्हे मल और बाबूलाल का चरित्र चित्रण: उदयशंकर भट्ट के एकांकी "नये मेहमान" में नन्हेमल और बाबूलाल की उपस्थिति काफ़ी दिलचस्प है। ये दोनों पात्र अपनी वा
नन्हे मल और बाबूलाल का चरित्र चित्रण कीजिए
उदयशंकर भट्ट के एकांकी "नये मेहमान" में नन्हेमल और बाबूलाल की उपस्थिति काफ़ी दिलचस्प है। ये दोनों पात्र अपनी वाचालता का इस्तेमाल किसी जादुई हथियार की तरह करते हैं। उनके शब्दों का प्रवाह रुकता नहीं, मगर उनके पीछे कोई सार नहीं होता।
नन्हेमल और बाबूलाल बिजनौर के रहने वाले हैं। नन्हेंमल पैंतीस वर्ष का है। उसका रंग साँवला, मुँह को घेरे हुए मूँछें तथा माथे पर सलवट है। जबकि बाबूलाल नन्हेमल का भतीजा है, वह चौबीस वर्ष का है। उसकी अधकटी मूँछें, लम्बा मुख और बड़े-बड़े दाँत हैं। दोनों मैली धोतियाँ पहने हैं। नन्हे मल और बाबूलाल के चरित्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
बातों का जाल बिछाना: नाटक की शुरुआत से ही नन्हेमल और बाबूलाल अपने जाल बुनना शुरू कर देते हैं। वे अचानक विश्वनाथ के घर पहुँचते हैं और बिना किसी पूर्व सूचना के उसे यह यकीन दिलाने में कामयाब हो जाते हैं कि वे उसके मित्र लाला संपतराम के भेजे हुए हैं। वे लाला संपतराम को एक बड़े व्यापारी और विश्वनाथ के बहुत बड़े प्रशंसक के रूप में पेश करते हैं। इस तरह से वे विश्वनाथ को प्रभावित करने और उसका भरोसा जीतने की कोशिश करते हैं।
लापरवाह और अवसरवादी: नन्हेमल और बाबूलाल स्वभाव से लापरवाह हैं। उन्होंने दूसरी छत पर हाथ धोकर उसकी छत गन्दी कर देते हैं। इसी कारण पड़ोसी विश्वनाथ से नाराज़ हो जाते हैं। बाबूलाल कुछ अवसरवादी प्रवृत्तियों का प्रदर्शन करता है। वह जल्दी से पंडित विश्वनाथ के घर पर खाने का सुझाव देता है, भले ही वे बिन बुलाए मेहमान हैं।
आदतन झूठे: नन्हेमल और बाबूलाल एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ बोलते हैं। वे दावा करते हैं कि उन्होंने विश्वनाथ को पहले कई बार देखा भी हैं। पहले वे विश्वनाथ से लाल भानामल की लड़की की शादी में मिलने को लेकर झूठ बोलते हैं। अगले दृश्य में वे दोनों सेठ जगदीशप्रसाद के यहाँ उसे देखने का दावा करते हैं। इसी प्रकार वे कहते हैं की सेठ जगदीशप्रसाद की आटे की मिल है परन्तु विश्वनाथ जब यह कहता है कि पर उनका तो प्रेस हैतो वे कहते हैं कि प्रेस भी होगा। उनकी एक बड़ी मिल भी है। अब एक और गन्ने की मिल बिजनौर में खुल रही है।
COMMENTS