ध्रुवयात्रा कहानी के आधार पर उर्मिला का चरित्र चित्रण: 'ध्रुवयात्रा' जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखित कथा है जिसकी प्रमुख पात्र 'उर्मिला' इस कथा की नायिका
ध्रुवयात्रा कहानी के आधार पर उर्मिला का चरित्र चित्रण
'धुवयात्रा' कहानी की प्रमुख पात्र उर्मिला का चरित्र चित्रण: 'ध्रुवयात्रा' जैनेन्द्र कुमार द्वारा लिखित कथा है जिसकी प्रमुख पात्र 'उर्मिला' इस कथा की नायिका भी है और प्रेरिका भी। इस चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
आदर्श प्रेमिका: उर्मिला राजा रिपुदमन से प्रेम करती है और किसी भी प्रकार से उसकी सफलता, जीवन के उद्देश्यों की प्राप्ति में बाधा नहीं बनना चाहती।
संस्कारवान माँ: उर्मिला ने अपने पुत्र 'मधु' को संस्कार देने में कोताही नहीं बरती है और उसका लालन-पालन करने में सदैव सतर्कता अपनाती है। उसके गुणों-अवगुणों पर उसकी कठोर दृष्टि रहती है।
दार्शनिकता से युक्त: उर्मिला अपने व अपने पुत्र के मोह में बाँधकर राजा रिपुदमन को पथोन्मुख नहीं करना चाहती तथा राजा द्वारा दिये गये विवाह प्रस्ताव को नकार देती है । उसका मानना है कि वे दोनों एक-दूसरे के मन में हैं तथा वह राजा के पुत्र की माँ है- उसके प्रेम के गर्व के लिए इतना पर्याप्त है।
सुलक्षणी पुत्री: उर्मिला अपने जन्म से अपने पिता को नहीं जानती किन्तु जब उस पर यह भेद खुलता है कि उसका पिता मारुति है तो वह आचार्य के सामने दयनीय होकर स्वयं को हतभागिन बताते हुए भूल जाने की बात कहती है ।
सम्पूर्ण युवती: उर्मिला में वे सारे गुण हैं जो एक स्त्री को स्त्रीत्व से पूर्ण करता है। वह रिपुदमन का प्रेम, उसकी प्रेरणा और मार्गदर्शक है तो पुत्र माधवेन्द्र के लिए माता-पिता दोनों की भूमिका का निर्वहन करती है। समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना से भर वह राजा को अभियान के प्रति पुनः प्रेरित करती है।
उर्मिला राजा रिपुदमन के लिए सदा प्रेमिका बनी रहना चाहती है, स्त्री कभी नहीं बनना चाहती। उसके चरित्र में ममत्व है, दृढ़ता है, कर्त्तव्यभावना है, प्रेम भी है और उत्तरदायित्व है । अगर नहीं है। तो अधिकार की इच्छा, पाने की आकांक्षा और संचय की बुद्धि ।
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