बिन्दा का चरित्र चित्रण: विमाता के घर आने पर बिन्दा को अनेक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। उसे घर के सारे काम-काज करने होते हैं, और फिर भी विमाता
बिन्दा का चरित्र चित्रण - Binda ka Charitra Chitran
विमाता के घर आने पर बिन्दा को अनेक अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। उसे घर के सारे काम-काज करने होते हैं, और फिर भी विमाता उसे मारती-पीटती है। बिन्दा को अपराध चाहे उसका हो या विमाता का, दंड हमेशा उसे ही मिलता है। उसे अपराध का ही नहीं, अपराध के अभाव का भी दंड सहना पड़ता है। बिन्दा का चरित्र अनेक विशेषताओं से युक्त है जो उसे पाठकों के मन में एक स्थायी छाप छोड़ देते हैं।
बिंदा की चारित्रिक विशेषताएँ
सहनशील: बिन्दा का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ है। अपनी माँ के निधन के बाद, उसे अपनी सौतेली माँ, पंडिताईन चाची के अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। घर के सारे काम-काज करने के बाद भी उसे गालियाँ, अपमान और शारीरिक दंड सहना पड़ता है। फिर भी, बिन्दा इन सबके बावजूद चुपचाप अपनी पीड़ा सहन करती है और अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में तत्पर रहती है।
मासूमियत और भोलापन: बिन्दा एक अत्यंत मासूम और भोली लड़की है। वह अपनी सौतेली माँ के अत्याचारों को भी भाग्य मानकर स्वीकार कर लेती है। वह अपनी माँ को खोने का दुःख भी चुपचाप सहन करती है। वह लेखिका को बताती है कि उसकी माँ आकाश में एक तारा बन गयी है।
कर्तव्यनिष्ठ और मेहनती: बिन्दा अपने कर्तव्यों के प्रति अत्यंत समर्पित है। वह घर के सारे काम-काज पूरी लगन और ईमानदारी से करती है। वह अपनी सौतेली माँ की सेवा भी पूरी निष्ठा से करती है, भले ही उसे इसके बदले में केवल अपमान और दंड मिले। बिंदा दिन-रात खेतों में एक बैल की तरह काम करती थी, फिर भी दिन के अंत में गालियाँ पाती।
दुःखी और पीड़ित: बिन्दा का जीवन अत्यंत दुःखी और पीड़ित होता है। उसे अपनी माँ के प्यार और स्नेह से वंचित रहना पड़ता है और विमाता के अत्याचारों को सहना पड़ता है। बिन्दा को अपराध चाहे उसका हो या विमाता का, दंड हमेशा उसे ही मिलता है। उसे अपराध का ही नहीं, अपराध के अभाव का भी दंड सहना पड़ता है। लेखिका लिखती है- "बिन्दा के अपराध तो मेरे लिए अज्ञात थे पर पंडिताईन चाची के न्यायालय से मिलनेवाले दंड के सब रूपों से मैं परिचित हो चुकी थी । गर्मी की दोपहर में मैने बिन्दा को आँगन की जलती धरती पर बार-बार पैर उठाते और रखते हुए घंटों खड़े देखा था।"
लेखिका का दृष्टिकोण: लेखिका बिन्दा के प्रति सहानुभूति रखती हैं और विमाता की निष्ठुरता का विरोध करती हैं। उनका मानना है कि विमाता के अत्याचारों से पीड़ित स्त्रियों का जीवन अत्यंत दयनीय होता है। वह इस रेखाचित्र के माध्यम से समाज में एक स्त्री द्वारा दूसरी स्त्री पर किए जाने वाले अत्याचारों को उजागर करती हैं।
निष्कर्ष: बिन्दा का चरित्र स्त्री जीवन की पीड़ा और समाज में व्याप्त अन्याय का प्रतीक है। उसकी सहनशीलता, मासूमियत, कर्तव्यनिष्ठा, वेदना और करुणा उसे पाठकों के मन में एक अविस्मरणीय छवि बना देते हैं। "बिन्दा" रेखाचित्र हमें स्त्री के प्रति सम्मान और सहानुभूति का भाव रखने के लिए प्रेरित करता है।
COMMENTS