आषाढ़ का एक दिन' नाटक के आधार पर कालिदास का चरित्र-चित्रण कीजिए: कालिदास, मोहन राकेश द्वारा लिखित 'आषाढ़ का एक दिन' नामक नाटक का नायक है। वह एक श्रेष्
आषाढ़ का एक दिन' नाटक के आधार पर कालिदास का चरित्र-चित्रण कीजिए।
कालिदास, मोहन राकेश द्वारा लिखित 'आषाढ़ का एक दिन' नामक नाटक का नायक है। वह एक श्रेष्ठ कवि है। नाटक का नायक कालिदास सामान्य मनुष्य की तरह दुर्बलताओं से पूर्ण है। कालिदास के चरित्र की विशेषताओं का वर्णन अग्र प्रकार है-
(1) राजकवि: कालिदास एक श्रेष्ठ कवि हैं परंतु उसे राजकवि बनने का अवसर दिया जाता है तो वह दुविधा में पड़ जाता है। उज्जयिनी जाकर राजकवि बनने के पश्चात् उसकी कवि-प्रतिभा का स्वाभाविक रूप दब जाता है। नाटककार ने कालिदास के चरित्र के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि प्रायः राजाश्रय में साहित्यकारों की सहज प्रतिभा कुंठित हो जाती है।
(2) द्वन्द्वग्रस्त कवि: कालिदास ही नाटक का वह पात्र है जिसे नाटककार ने बाह्य और आन्तरिक द्वन्द्व को प्रदर्शित करने के लिए चुना है । कालिदास के माध्यम से राकेश जी ने एक ऐसे पात्र की सृष्टि की है जिसका जीवन यथार्थ और आदर्शवाद के बीच झूलता रहता है। मल्लिका से बातचीत के दौरान कालिदास अपने चरित्र के इस द्वन्द्व के संदर्भ में स्वयं कहता है- ".......... मैं आशा लिए हुए चला गया कि कल एक ऐसा समय आयेगा जब मैं तुमसे यह सब कह सकूँगा और तुम्हें अपने मन के द्वन्द्व का विश्वास दिला सकूँगा।”
(3)करुण हृदय: कालिदास के व्यक्तित्व में करुणा, कोमलता और सहृदयता है। यही कारण है कि नाटक के प्रारंभ में हम उसे हिरण के बच्चे के प्रति करुणा से भरा हुआ पाते हैं। वह घायल हिरण के बच्चे को गोद में लिए मल्लिका के घर आता है। वह कहता है- "न जाने इसके रुई जैसे कोमल शरीर पर उससे बाण छोड़ते बना कैसे ? वह फिर हिरण शावक से बातें करता हुआ कहता है- "हम जिएँगे हिरण शावक। जिएँगें न! एक बाण से आहत होकर हम प्राण नहीं देंगे। हमारा शरीर कोमल है तो क्या हुआ ? हम पीड़ा सह सकते हैं....।" कालिदास के भीतर छिपी करुणा व कोमलता को मल्लिका भी अच्छी तरह से जानती है।
(4) निर्भीक: कालिदास की निर्भीकता उसके चरित्र के महत्त्वपूर्ण पक्ष को उजागर करती है। दंतुल जब कालिदास को अपनी शक्ति का भय दिखाते हुए कहता है कि उसे हिरण शावक को देना ही पड़ेगा, अन्यथा परिणाम बुरा होगा। तब कालिदास किसी भी परिणाम की चिन्ता किए बिना हिरण शावक को वहाँ से लेकर चले जाते हैं। इस प्रकार यह प्रकट हो जाता है कि कालिदास के चरित्र में निर्भीकता और शरणागत वत्सलता है। जो उसके चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है ।
(5) संतोषी: कालिदास का वर्तमान बड़े ही संघर्षों में बीत रहा है। वह मातुल की गाय चराने के लिए जाता है। जीविकोपार्जन भी कालिदास के समक्ष एक बड़ी समस्या बन जाती है। ऐसे समय में आचार्य वररुचि उज्जयिनी के राजा की तरफ से कालिदास को सम्मानित करने के लिए अपने साथ लेने आए हैं। कालिदास को यह ज्ञात है कि उसे राजकवि का सम्मान दिया जाएगा तो उसकी जीविकोपार्जन की समस्या का अंत हो जाएगा। यह जानते हुए भी कालिदास उज्जयिनी जाने से इन्कार कर देता है। मातुल का यह कथन कालिदास की संतोष प्रवृत्ति को दर्शाता है-
"....... और वे वंशावतंस कहते हैं कि, मुझे यह सम्मान नहीं चाहिए......मैं राजकीय मुद्राओं से क्रीत होने के लिए नहीं हूँ ।"
(6) प्रकृति प्रेमी: कालिदास प्राकृतिक संपदा में विचरने वाला कवि है । उसकी रचनाएँ ऋतु संहार, मेघदूत आदि इसी प्रकृति प्रेम की ओर संकेत करती हैं। कालिदास स्वयं स्वीकार करता है - 'मैं अनुभव करता हूँ कि यह ग्राम-प्रांतर मेरी वास्तविक भूमि हैं। मैं कई सूत्रों से इस भूमि से जुड़ा | हूँ । उन सूत्रों में तुम हो, यह आकाश और ये मेघ हैं, यहाँ की हरियाली है, हिरणों के बच्चे हैं, पशुपाल हैं। "
(7) निर्णय लेने में अक्षम: कालिदास को जब कोई निर्णय लेना होता है तो वह पूरी तरह से किसी एक निर्णय पर पहुँच नहीं पाता। इसीलिए वह जीवन पर्यन्त द्वन्द्वग्रस्त जीवन व्यतीत करता है। पहली बार उज्जयिनी जाने के संदर्भ में जब निर्णय लेना होता है तो मल्लिका उसकी सहायता करती है। दूसरी बार वह आकर भी मल्लिका से नहीं मिलता और तीसरे अंक में कालिदास अथ से प्रारम्भ करने की बात तो करता है परन्तु दूसरे ही क्षण वह मल्लिका को पुनः छोड़कर चला जाता है।
(8) अहं एवं व्यक्ति चेतना: मोहन राकेश के साहित्य के कई पात्रों में अहं और व्यक्ति चेतना पाई जाती है। कालिदास इसके अपवाद नहीं हैं। वह अहं की सजीव मूर्ति हैं। वह उज्जयिनी जाकर अपनी व्यक्तिवादी चेतना का अनुभव करता है । वह मल्लिका के सामने स्वीकार भी करता है "मन में कहीं आशंका थी कि वह वातावरण मुझे छा लेगा और मेरे जीवन की दिशा बदल देगा और यह शंका निराधार नहीं थी।"
इस प्रकार स्पष्ट है कि कालीदास का चरित्र सबलताओं और दुर्बलताओं का समन्वय है।
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