‘आन का मान’ नाटक की नायिका के ‘सफीयतुन्निसा’ का चरित्र-चित्रण: श्री हरिकृष्ण प्रेमी द्वारा रचित "आन का मान" नाटक में सफीयतुन्निसा एक प्रमुख नारी पात्
‘आन का मान’ नाटक की नायिका के ‘सफीयतुन्निसा’ का चरित्र-चित्रण
श्री हरिकृष्ण प्रेमी द्वारा रचित "आन का मान" नाटक में सफीयतुन्निसा एक प्रमुख नारी पात्र है। वह अकबर द्वितीय की पुत्री और औरंगजेब की पोती है। वह अजीतसिंह से प्रेम करते हुए भी राज्य व अजीतसिंह के कल्याणार्थ अपने विवाह के लिए तैयार नहीं होती। इस नाटक में सफीयतुन्निसा का चरित्र अनेक विशेषताओं से युक्त है, जो उसे एक आदर्श नारी के रूप में दर्शाते हैं:
रूपवती: सफीयतुन्निसा मात्र 17 वर्ष की युवती है, परन्तु उसका सौंदर्य अद्वितीय और मनमोहक है। नाटक के सभी पात्र उसके रूप से प्रभावित होते हैं। लेकिन यह सौंदर्य केवल बाहरी नहीं है, बल्कि उसके भीतर संगीत का रस भी निहित है। उसका मधुर स्वर सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।
वाक्-पटु: सफीयतुन्निसा केवल रूप से ही नहीं, बल्कि अपनी वाक्पटुता से भी सबको मंत्रमुग्ध कर देती है। वह विभिन्न परिस्थितियों में अपने विचारों को स्पष्ट और तर्कपूर्ण ढंग से व्यक्त करती है। उसके शब्दों में गहरा अर्थ होता है, जो दूसरों के दिलों को छू लेते हैं।
देशप्रेम: सफीयतुन्निसा अपने खानदान की शाही विरासत से प्रभावित नहीं होती। उसके हृदय में राष्ट्रहित सर्वोपरि है। वह जानती है कि देश की रक्षा के लिए त्याग और बलिदान की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि वह अपने भाई के हाथ में राखी बाँधकर उसे युद्धभूमि में प्राणोत्सर्ग के लिए प्रेरित करती है।
कर्तव्यनिष्ठ: सफीयतुन्निसा कर्तव्यनिष्ठा की धरोहर है। वह राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर वह सदैव राष्ट्रहित को प्राथमिकता देती है।
शांतिदूत: सफीयतुन्निसा युद्ध और हिंसा का विरोध करती है। वह एक शांत और समृद्ध भारत का सपना देखती है, जहाँ सभी धर्म और समुदाय मिलजुलकर रहते हैं। उसका चरित्र उस समय की हिंसा के दौर में शांति का संदेश देता है।
प्रेम में त्याग की मूर्ति: सफीयतुन्निसा जोधपुर के युवा शासक अजीतसिंह से प्रेम करती है। उनका प्रेम सच्चा और गहरा है। लेकिन, प्रेम की भावनाओं में बहकने के बजाय, वह विवेक का परिचय देती है। वह अजीतसिंह को समझाती है कि प्रेम केवल भोग की माँग नहीं करता, बल्कि त्याग और बलिदान भी चाहता है। अपने प्रेम से अधिक वह राष्ट्रहित और अजीतसिंह के कर्तव्य को महत्व देती है।
निष्कर्ष: सफीयतुन्निसा आन का मान नाटक में एक ऐसी नारी पात्र है जो त्याग, प्रेम, देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। वह हमें सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी अपने मूल्यों पर दृढ़ रहना चाहिए और राष्ट्रहित के लिए त्याग करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।
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