परीक्षा में अच्छे अंक न ला पाने वाले छात्र के अभिभावक और अध्यापक के बीच बातचीत लिखिए: अभिभावक: नमस्ते श्री त्रिवेदी, मैं शांतनु हूँ, रवि का पिता। अध्य
परीक्षा में अच्छे अंक न ला पाने वाले छात्र के अभिभावक और अध्यापक के बीच बातचीत लिखिए
(शांतनु रवि के स्कूल के बाहर खड़े थे। उनके हाथों में रवि की रिपोर्ट कार्ड थी और चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी. गहरी सांस लेकर, वह रवि के शिक्षक श्री त्रिवेदी से मिलने के लिए स्कूल के अंदर गए.)
अभिभावक: (नमस्ते करते हुए) नमस्ते श्री त्रिवेदी, मैं शांतनु हूँ, रवि का पिता।
अध्यापक: (शांतनु का स्वागत करते हुए) आइए-आइए शांतनु जी, आप बैठिए। रवि के बारे में ही बात करनी है, है ना?
अभिभावक: (कुछ हिचकिचाहट के साथ) जी श्रीमान, दरअसल, रवि की रिपोर्ट कार्ड देखकर थोड़ी चिंता हुई। पिछली बार के मुकाबले उसके अंक कम आए हैं। मैं समझ नहीं पा रहा कि क्या कमी रह गई।
अध्यापक: (रवि की रिपोर्ट कार्ड को ध्यान से देखते हुए) जी शांतनु जी, आपकी चिंता जायज़ है। रवि एक होनहार छात्र है, लेकिन इस बार गणित में उसका प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहा है, जिस वजह से उसे परीक्षा में दिक्कत हुई।
अभिभावक: (चिंतित स्वर में) हाँ, श्रीमान, मुझे भी यही लग रहा था। क्या आप बता सकते हैं कि घर पर मैं रवि की कैसे मदद कर सकता हूँ?
अध्यापक: (शांतनु को आश्वस्त करते हुए) घबराने की कोई बात नहीं, शांतनु जी। रवि मेहनती छात्र है। आप घर पर उसके साथ गणित पर थोड़ी चर्चा कर सकते हैं। अगर ज़रूरत लगे तो किसी अच्छे ट्यूटर की मदद भी ली जा सकती है।
अभिभावक: (आशा व्यक्त करते हुए) जी श्रीमान, आपकी सलाह बहुत उपयोगी है। मैं स्वयं रवि को गणित का अभ्यास कराऊंगा।
अध्यापक: (रवि को प्रोत्साहित करते हुए) और हाँ, रवि को भी यह समझाएं कि कम अंकों से निराश होने की ज़रूरत नहीं है। मेहनत और लगन से वह अपनी कमियों को दूर कर सकता है और अगली बार ज़रूर बेहतर प्रदर्शन करेगा।
अभिभावक: (सकारात्मक भाव से) बिल्कुल श्रीमान, मैं रवि को यही समझाऊंगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मेरा मार्गदर्शन किया।
परीक्षा में अच्छे अंक न आने पर विद्यार्थी के पिता और अध्यापक के बीच संवाद लेखन
(संजय, चिंतित चेहरे के साथ, अपने बेटे राहुल के शिक्षक श्री त्रिवेदी से मिलने उनके स्कूल पहुंचते हैं।)
अभिभावक: (नम्रता से) नमस्ते श्री त्रिवेदी, मैं संजय हूँ, राहुल का पिता। राहुल के परीक्षा परिणाम देखकर मैं थोड़ा चिंतित हूँ। क्या मैं आपसे थोड़ी बात कर सकता हूँ?
अध्यापक: (संजय का स्वागत करते हुए) नमस्ते संजय जी, बेशक। आप राहुल के प्रदर्शन को लेकर चिंतित हैं, यह मैं समझ सकता हूँ। कृपया बताइए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ?
अभिभावक: (चिंतित स्वर में) जी श्रीमान, राहुल ने इस बार परीक्षा में बहुत कम अंक प्राप्त किए हैं। मैं बहुत निराश हूँ। क्या आप मुझे बता सकते हैं कि ऐसा क्या कारण रहा होगा?
अध्यापक: (सांत्वना देते हुए) जी संजय जी, राहुल एक मेधावी छात्र है, लेकिन इस बार उसने सभी विषयों में कम अंक प्राप्त किए हैं। ऐसा लगता है कि वह पढ़ाई में मन नहीं लगा रहा था और होमवर्क भी नहीं कर रहा था।
अभिभावक: (समस्या को समझते हुए) जी श्रीमान, मैंने भी यही सोचा था। मैंने कई बार राहुल को घर पर पढ़ाई करते हुए नहीं देखा, और वो अक्सर गलत आचरण वाले लड़कों के साथ घूमता रहता है। मुझे लगता है कि वो दिनभर मोबाइल फोन में भी व्यस्त रहता है।
अध्यापक: (संजय की बातों से सहमत होते हुए) हाँ संजय जी, आपकी बातों में सच्चाई है। राहुल अक्सर कक्षा में भी ध्यान नहीं देता और कभी-कभी तो विद्यालय में भी मोबाइल फोन लता है।
(संजय और श्री त्रिवेदी कुछ देर राहुल के व्यवहार और प्रदर्शन पर चर्चा करते हैं।)
अभिभावक: (श्री त्रिवेदी से सलाह मांगते हुए) तो श्रीमान, मैं राहुल की इस आदत को कैसे बदलूं? क्या आप मुझे कोई सुझाव दे सकते हैं?
अध्यापक: (संजय को कुछ सुझाव देते हुए) जी संजय जी, सबसे पहले तो आपको राहुल से बात करनी चाहिए। उसे समझाना होगा कि पढ़ाई कितनी महत्वपूर्ण है और खराब आदतें उसके भविष्य को कैसे खराब कर सकती हैं।
अभिभावक: (श्री त्रिवेदी की सलाह पर सहमति जताते हुए) जी श्रीमान, मैं राहुल से ज़रूर बात करूँगा।
अध्यापक: (संजय को प्रोत्साहित करते हुए) और हाँ, आप राहुल के लिए घर पर एक शांत और अनुकूल वातावरण बनाएं। उसे पढ़ने के लिए प्रेरित करें और उसकी हर संभव मदद करें।
अभिभावक: (आशा व्यक्त करते हुए) जी श्रीमान, मैं आपकी हर बात का ध्यान रखूँगा। मुझे विश्वास है कि राहुल आपकी और मेरी मदद से ज़रूर सुधार करेगा।
अध्यापक: (सकारात्मक सोच रखते हुए) हाँ संजय जी, हार मत मानिए। थोड़ी सी मेहनत और लगन से राहुल जरूर सफल होगा।
पाठकों के लिए: प्रिय विद्यार्थियों, हमें आशा है की उपर्युक्त संवाद लेखन आपको अवश्य पसंद आये होंगे। आप अभी अपनी राय हमने कमेन्ट बॉक्स में लिखकर बताइए।
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