कहीं बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाते हुए दूरभाष पर दो मित्रों के मध्य बातचीत लिखिए। अर्जुन: (दूरभाष पर) अरे वीर! क्या हाल है? गर्मी की छुट्टियाँ तो आ ह
कहीं बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाते हुए दूरभाष पर दो मित्रों के मध्य बातचीत लिखिए।
अर्जुन: (दूरभाष पर) अरे वीर! क्या हाल है? गर्मी की छुट्टियाँ तो आ ही गईं। इस बार क्या करने का विचार है?
वीर: (खुशी से) नमस्ते अर्जुन! सब मस्त। तुम ही बताओ, क्या सोच रहे हो? कहीं घूमने का मन है क्या?
अर्जुन: (उत्साह से) बिल्कुल! पिछले साल तो हमने सिर्फ घर पर आराम किया था। इस बार कुछ एडवेंचरस ट्रिप का मन है। तुम क्या कहते हो?
वीर: (इच्छुकता से) वाह! बिलकुल! मैं भी यही सोच रहा था। किसी ऐसी जगह घूमने चला जाए रोमांच मजा आ जाए।
अर्जुन: (सोचते हुए) क्यों नहीं हिमाचल चलते हैं? वहां हम कांगड़ा किले और कुल्लू घाटी की खूबसूरती देख सकते हैं। साथ ही, अगर तुम चाहो तो थोड़ी ट्रेकिंग भी कर सकते हैं।
वीर: (खुशी से) कांगड़ा किला! वाह! मैंने तो बहुत पढ़ा है उसके बारे में। और ट्रेकिंग के लिए भी मैं तैयार हूँ।
अर्जुन: (विवरण देते हुए) तो फिर कांगड़ा और उसके आसपास घूमने के बाद, धर्मशाला या मैक्लोडगंज जा सकते हैं। वहां तिब्बती मठों को देख सकते हैं और थोड़ा बहुत तिब्बती संस्कृति को भी समझ सकते हैं।
वीर: (सहमत होते हुए) हाँ, अच्छा रहेगा। इससे थोड़ा इतिहास, थोड़ी एडवेंचर और थोड़ा सांस्कृतिक अनुभव भी हो जाएगा।
अर्जुन: (उत्साह से) बिल्कुल! चलो फिर पक्का रहा। परिवार वालों से भी बात करनी होगी।
वीर: (सहमति से) हाँ, कल शाम को फिर बात करते हैं।
गर्मी की छुट्टियों में बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाते हुए दूरभाष पर दो मित्रों के मध्य संवाद लिखिए।
अमित: (उत्साह से) अरे रवि! क्या हाल है? गर्मी की छुट्टियों में घूमने का कोई प्लान बनाया?
रवि: (खुशी से) अरे नहीं यार, अभी तो सोच ही रहा हूँ। तूने कोई जगह सोची है क्या?
अमित: (उत्साह से) हाँ, रवि। क्यों ना इस बार राजस्थान का खूबसूरत शहर उदयपुर घूमा जाए ?
रवि: (इच्छुकता से) उदयपुर! वाह! "झीलों का शहर" सुना तो है कि बहुत खूबसूरत है। वहां घूमने को क्या मिलेगा?
अमित: (विवरण देते हुए) बहुत कुछ रवि। वहाँ सिटी पैलेस है, जो राजपूत राजाओं की शानो-शौकत का जीता जागता सबूत है। साथ ही जग मंदिर भी है, जो एक खूबसूरत झील के बीचोंबीच बना हुआ है।
रवि: (उत्सुकता से) वाह! तो क्या हम झील में बने महल में रह भी सकते हैं?
अमित: (हँसते हुए) रह तो सकते हैं, रवि। लेक पैलेस में रुकने का अनुभव अद्भुत होता है। लेकिन वह बहुत महंगा पड़ेगा।
रवि: (सोचते हुए) देखते हैं, बजट में फिट होता है या नहीं। वैसे मुझे तो वहाँ के इतिहास और स्थानीय संस्कृति को भी जानने में दिलचस्पी है।
अमित: (खुशी से) बिल्कुल सही! हम वहां के म्यूजियम और हस्तशिल्प बाजार घूम सकते हैं। शाम को स्थानीय लोक कला के कार्यक्रम भी देखने का मजा ले सकते हैं।
रवि: (उत्साह से) वाह अमित, यह तो कमाल की ट्रिप होगी! फोटोग्राफी के लिए भी शानदार लोकेशन्स मिलेंगी।
अमित: (हँसते हुए) बिल्कुल रवि। सोच ये रही कि सिर्फ घूमना ही नहीं, बल्कि कला, इतिहास और संस्कृति का भरपूर अनुभव भी ले पाएंगे।
रवि: (सहमति से) हाँ, बिल्कुल सही! चल कल ही प्लान बना लेते हैं। परिवार वालों से बात करनी होगी।
अमित: (सहमति से) हाँ, कल शाम को फिर बात करते हैं।
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