जब मैं परीक्षा में प्रथम आया अनुच्छेद लेखन: आज भी मुझे वो दिन बखूबी याद है जब मैं दसवीं की परीक्षा में प्रथम आया था। दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म हुए
जब मैं परीक्षा में प्रथम आया अनुच्छेद लेखन - Jab Mai Pariksha Mein Pratham Aaya Anuched Lekhan
आज भी मुझे वो दिन बखूबी याद है जब मैं दसवीं की परीक्षा में प्रथम आया था। दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं खत्म हुए हफ्तों हो चुके थे और आज सुबह दस बजे परीक्षा के परिणाम आने थे। घबराहट तो थी, पर कहीं ना कहीं एक आत्मविश्वास भी जाग रहा था। जैसे ही 10 बजे, अचानक मेरा फोन घनघनाने लगा। देखा तो मेरा दोस्त राहुल था। फोन उठाते ही उसकी खुशी से भरी आवाज़ आई, "यार, सुना है तूने बोर्ड परीक्षा में टॉप कर दिया!"
कुछ ही देर में मेरी माँ दौड़ती हुई आईं, उनके हाथ में फोन था। "बेटा, जल्दी से रिजल्ट चेक कर!" मैंने फ़टाफ़ट वेबसाइट खोली, अपना रोल नंबर डाला और... वहाँ लिखा था "प्रथम स्थान!" मेरी खुशी से चीख निकल गई। राहुल सच कह रहा था। मेरी आँखों में आंसू आ गए और मैंने अपनी माँ-पापा को गले लगा लिया। ये सफलता किसी सपने से कम नहीं थी। मेरी कड़ी मेहनत आखिरकार रंग लाई थी। इस प्रकार ये दिन, मेरी ज़िंदगी के सबसे यादगार दिनों में से एक बन गया।
जब मैं परीक्षा में प्रथम आया अनुच्छेद लेखन - 2
वह दिन मेरे लिए बहुत ही खास था जब आठवीं की वार्षिक परीक्षा के परिणाम आया। परीक्षा खत्म होने के बाद से ही मैं बेचैनी से इंतजार कर रहा था। मन में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। कभी लगता था कि मैंने अच्छा किया है, तो कभी लगता था कि शायद कुछ गलतियां हो गई हों। फिर जब परिणाम घोषित हुए, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैंने आठवीं की वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था! यह मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं था।मेरे माता-पिता, गुरुजन और दोस्त सभी मेरे इस सफलता से बहुत खुश थे। इस सफलता का श्रेय मैं सबसे पहले अपने माता-पिता को देता हूँ जिन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। मेरे शिक्षकों का भी बहुत बड़ा योगदान रहा। उन्होंने कठिन विषयों को भी आसान बनाकर समझाया और मुझे विषयों की गहन समझ प्रदान की।
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