फैशन पर विचार व्यक्त कर रही दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए: गरिमा: विनीता, आजकल के फैशन को देखकर तो मन उदास हो जाता है। विनीता: (सिर
फैशन पर विचार व्यक्त कर रही दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए
गरिमा: (चाय की चुस्की लेते हुए) विनीता, आजकल के फैशन को देखकर तो मन उदास हो जाता है।
विनीता: (सिर हिलाते हुए) हाँ गरिमा, बिलकुल सही कह रही हो। फैशन के नाम पर न जाने क्या-क्या पहन लेते हैं लोग।
गरिमा: और सबसे ज्यादा चिंता बच्चों की है। छोटी सी उम्र में ही वे ऐसे कपड़े पहनने लगते हैं जो उनकी उम्र के हिसाब से बिल्कुल भी उचित नहीं होते।
विनीता: हाँ, मेरे बेटे को ही देख लो। रोज़ सुबह उल्टे-सीधे कपड़े पहनकर निकल जाता है। कितना भी समझाऊं, मानता ही नहीं।
गरिमा: मेरी बेटी भी कुछ ऐसी ही है। जीन्स, टॉप, और छोटी स्कर्ट पहनकर घूमती रहती है।
विनीता: कपड़ों से ही तो हमारे व्यक्तित्व की झलक मिलती है।
गरिमा: हाँ, और बच्चे यह बिलकुल नहीं सोचते कि किसके सामने और किस जगह पर कैसे कपड़े पहने चाहिए।
विनीता: फैशन के नाम पर वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी भूल रहे हैं।
गरिमा: और सबसे बड़ी बात, वे बड़ों का सम्मान करना भी भूल रहे हैं।
विनीता: हाँ, उन्हें लगता है कि हम लोग पिछड़े हुए हैं और हमें उनकी फैशन की समझ नहीं है।
गरिमा: पता नहीं, यह उल्टे-सीधे फैशन हमारे बच्चों को कहाँ ले जाएंगे।
विनीता: हमें तो बस यही उम्मीद है कि वे जल्द ही समझ जाएं कि सही फैशन क्या होता है।
(दोनों महिलाएं चिंतित मन से चाय पीती रहती हैं।)
दो महिलाओं के बीच आधुनिक फैशन विषय पर बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।
शिखा और प्रिया अपने बच्चों को स्कूल से लेने के बाद एक कैफे में मिलती हैं।
शिखा: (गहरी सांस लेते हुए) प्रिया, कितना मुश्किल है इन दिनों बच्चों को संभालना! खासकर उनके फैशन सेंस को समझना।
प्रिया: (हंसते हुए) क्या बताऊं शिखा, मेरे हाल भी बेहाल हैं। छोटा वाला तो ठीक है, पर बड़ी बेटी... उसके कपड़ों को देखकर तो सिरदर्द हो जाता है।
शिखा: वाकई! आजकल फैशन के नाम पर कुछ भी पहन लेते हैं बच्चे। छोटी स्कर्ट, फटी हुई जींस, कंधे से नीचे खिसके हुए टॉप... ये क्या फैशन है?
प्रिया: सिर्फ कपड़े ही नहीं शिखा, हेयरस्टाइल भी! रंग-बिरंगे बाल, अजीबोगरीब कटिंग... समझ नहीं आता ये फैशन कहाँ से सीखते हैं।
शिखा: परेशानी ये है कि उन्हें समझा भी नहीं सकते। थोड़ा टोको तो बगावत शुरू! "ये तो लेटेस्ट फैशन है मॉम! तुम कुछ नहीं समझतीं!"
प्रिया: बिलकुल! उन्हें लगता है फैशन का मतलब है दूसरों से अलग दिखना, वो भी गलत तरीके से।
शिखा: पर फैशन का मतलब सिर्फ कपड़े पहनना नहीं होता प्रिया। अच्छा फैशन तो वो होता है जो हमारे व्यक्तित्व को निखारे, हमें सहज महसूस कराए।
प्रिया: बिल्कुल सही कहा शिखा। अच्छा फैशन वो है जो ट्रेंड के साथ-साथ आराम और शालीनता का भी ख्याल रखे।
शिखा: हमें बच्चों को यही समझाना है। ट्रेंड फॉलो करना अच्छा है, लेकिन हर ट्रेंड हर जगह के लिए सही नहीं होता। स्कूल में तो यूनिफॉर्म है ही, बाकी समय भी उन्हें ढंग के कपड़े पहनने चाहिए, जो उनकी उम्र के हिसाब से भी हों।
प्रिया: हाँ, और ये भी समझाना होगा कि फैशन के साथ संस्कार भी जरूरी है। फटी हुई जींस पहनकर मंदिर या दादी के घर तो नहीं जा सकते ना!
शिखा: बिल्कुल! जगह और मौके के हिसाब से कपड़े पहनना भी फैशन का ही हिस्सा है।
प्रिया: तो चलो मिलकर बच्चों को फैशन की असली परिभाषा समझाते हैं। ट्रेंड, कंफर्ट और कल्चर का बैलेंस बनाकर ही अच्छा दिखा जा सकता है।
(दोनों माताएं इस बात पर सहमत होती हैं कि बच्चों को फैशन के साथ-साथ संस्कार और संजीदगी भी सिखानी है।)
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