दिल्ली में रहने वाली अपनी बड़ी दीदी के पास एक पत्र लिखें, जिसमें गाँव में आई बाढ़ की विभीषिका का वर्णन हो। प्रिय दीदी, आशा है आप कुशल मंगल होंगी। पिछ
दिल्ली में रहने वाली अपनी बड़ी दीदी के पास एक पत्र लिखें, जिसमें गाँव में आई बाढ़ की विभीषिका का वर्णन हो।
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक: 12/11/20XX
प्रिय दीदी,
आशा है आप कुशल मंगल होंगी। पिछले हफ्ते, हमारे गाँव में भारी बारिश हुई। बारिश इतनी तेज थी कि नदी का जलस्तर तेज़ी से बढ़ने लगा। कुछ ही घंटों में, पूरा गाँव पानी में डूब गया।
लोगों के घर, दुकानें, खेत, सब कुछ पानी में बह गया। कई लोग अपने घरों की छतों पर शरण लेने को मजबूर हो गए। कुछ लोगों को नावों की मदद से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।
बाढ़ के कारण बहुत नुकसान हुआ है। कई लोग अपना सब कुछ खो चुके हैं। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं। पशुधन भी बह गया है। गाँव में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है। लोगों को भोजन और दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। अतः मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि आप इस विपत्ति में हमारा सहयोग करें। आपकी थोड़ी सी मदद भी हमारे लिए बहुत मायने रखेगी।
भवदीय,
अ.ब.स.
दिल्ली में रहने वाली अपनी बड़ी दीदी को गाँव में आई बाढ़ की विभीषिका का वर्णन करते हुए पत्र लिखो।
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक: 15/08/20XX
प्रिय दीदी,
चरण स्पर्श !
मुझे यह पत्र आपको गाँव में आई भयानक बाढ़ के बारे में बताने के लिए लिखना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते लगातार बारिश हुई, मानो आसमान फट ही पड़ा हो. नदियाँ उफान पर रहीं और देखते ही देखते गाँव में बाढ़ का तांडव शुरू हो गया.
घरों में पानी भर गया, सड़कें डूब गईं. कई पक्के मकान भी बाढ़ के धारा के सामने टिक न सके, ढह गए। गांव का वो सुहाना नजारा अब सिर्फ तबाही का मंजर बनकर रह गया है. सबसे ज्यादा दुख तो उन लोगों का है, जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। उनके सपने, उनकी मेहनत, सब पानी में बह गया।
खेतों में लहलहाती फसलें भी बाढ़ की भेंट चढ़ गईं. इस साल की फसल का सारा भरोसा था, अब बस बंजर जमीन बची है। किसानों की आंखों में उम्मीद की जगह निराशा साफ नजर आती है। कई मवेशी भी बाढ़ में बह गए, जिससे लोगों की रोजी-रोटी पर भी संकट आ गया है।
लेकिन इस मुश्किल घड़ी में सरकार भी मदद के लिए आगे आई है। लोगों के रहने के लिए अस्थायी शिविर बनाए गए हैं और खाने-पीने का भी कुछ इंतजाम किया गया है। पर इतना सब कुछ इतने सारे लोगों के लिए कम पड़ रहा है।
मैं यहाँ गाँव में रहकर सभी की हर-संभव मदद कर रहा हूँ। मुझे पता है दीदी, आप हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहती हैं। इसलिए आपसे यही गुजारिश है कि संभव हो तो आप भी भलाई के कार्य में हमारा सहयोग करें।
आपका छोटा भाई/बहन,
अ.ब.स.
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