अपने मोहल्ले में दिन-प्रतिदिन बढ़ती चोरियां देख दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए: रीना: (परेशान) शांति! सुना? रात को अग्रवाल जी के घर फिर
अपने मोहल्ले में दिन-प्रतिदिन बढ़ती चोरियां देख दो महिलाओं की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए
रीना: (परेशान) शांति! सुना? रात को अग्रवाल जी के घर फिर चोरी हो गई।
शांति: (चाय का कप थरथराते हाथों से नीचे रखते हुए) अरे नहीं रीना! ये तो बहुत बुरी बात है। पिछले महीने तो शर्मा जी के घर चोरी हुई थी, अब अग्रवाल जी के घर... ये सिलसिला कब रुकेगा?
रीना: पता नहीं शांति, ये चोरों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि अब तो दिन में भी चोरी करने से नहीं चूकते।
शांति: (आसमान की तरफ देखते हुए) पहले रात को अकेले घर रहने में थोड़ा डर लगता था, पर अब तो दिन में भी कैद सी महसूस करती हूँ।
रीना: वही बात तो है शांति। सोचो, कल को हमारे घर भी... (रीना की बात अधूरी रह जाती है)
शांति: (रीना का हाथ थाम लेते हुए) हमें मिलकर कुछ करना होगा। सबसे पहले तो पुलिस को सूचित करना चाहिए।
रीना: हाँ, पुलिस को तो बताना ही चाहिए। पर सिर्फ पुलिस से क्या होगा? हमें भी तो मोहल्ले की सुरक्षा के लिए कुछ करना होगा।
शांति: हम मोहल्ले में रात के समय चौकीदार रखने की व्यवस्था भी कर सकते हैं।
रीना: हाँ, और हमें थोड़े एहतियात भी बरतने होंगे। रात को बाहर की लाइट जलाकर रखना, खिड़कियों पर ग्रिल लगवाना... ये छोटी-छोटी बातें भी चोरों को थोड़ा रोक सकती हैं।
शांति: (आशा भरे स्वर में) रीना, देखना, मिलजुलकर हम जरूर इस मुसीबत को पार पा लेंगे।
रीना: (शांति को हौंसला देते हुए) बिल्कुल शांति! हमारा एकजुट होना ही चोरों को भगाने का सबसे कारगर इलाज है।
अपने मोहल्ले में बढ़ती चोरियां पर चिंता व्यक्त करते हुए दो महिलाओं के बीच संवाद लिखिए
शांति: (दरवाजा खोलते हुए) अरे रीना, क्या बात है? इतनी देर रात तुम यहां?
रीना: (घबराई हुई आवाज में) शांति, बहुत बुरा हुआ! शर्मा जी के घर रात में चोरी हो गई।
शांति: (आश्चर्य प्रकट करते हुए) नहीं! ये तो बहुत बुरा हुआ। कुछ पता चला चोरों का?
रीना: (सिर हिलाते हुए) अभी तक तो नहीं। पिछले महीने गुप्ता जी जी के घर भी तो चोरी हुई थी। पुलिस तो आती है, पर कुछ नहीं कर पाती।
शांति: (चिंता से माथा पकड़ते हुए) ये तो सचमुच चिंता की बात है। अब तो रात को नींद भी नहीं आती। पता नहीं कब हमारे घर की बारी आ जाए।
रीना: (सहमति जताते हुए) बिल्कुल। मैं तो सोच ही रही थी कि हमें मिलकर कुछ करना चाहिए। अकेले रहने वाली मीना जी का भी क्या होगा?
शांति: (आंखों में चमक लाते हुए) वो तो बिल्कुल! तू सही कहती है। कल सुबह सबसे पहले मोहल्ले की सभी महिलाओं को बुलाती हूँ। हम सब मिलकर कोई ना कोई रास्ता निकालेंगे।
(अगले दिन सुबह शांति ने मोहल्ले की सभी महिलाओं को बुलाया। हर घर की दहशत साफ झलक रही थी.)
शांति: (गंभीरता से) जैसा कि आप सब जानती हैं, चोरियों का ये सिलसिला हमारे मोहल्ले में बहुत बढ़ गया है. अब तो हमें मिलकर कोई ठोस कदम उठाना होगा।
रीना: (अपने विचार रखते हुए) हां, बिल्कुल शांति। हम सबसे पहले तो थाने में जाकर रात में गश्त बढ़ाने की मांग कर सकते हैं।
मोहल्ले की अन्य महिलाएं: (स्वीकृति में सिर हिलाते हुए) हाँ, ये अच्छा विचार है।
शांति: (आगे सुझाव देते हुए) सिर्फ पुलिस से मांग करना काफी नहीं होगा। जिनके घरों में गेट हैं, वो रात को उन्हें बंद करके ही सोएं। खिड़कियों पर भी जाली लगवा लें तो ज्यादा अच्छा होगा।
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