युद्ध से हानि विषय पर अपने मित्र को एक पत्र लिखिए: प्रिय मित्र, आशा है कि तुम कुशल-मंगल होगे। अभी हाल ही में मैंने अ.ब.स. देश में गृहयुद्ध की खबर पढ़ी.
युद्ध से हानि विषय पर अपने मित्र को एक पत्र लिखिए
परीक्षा भवन
लखनऊ।
विषय: युद्ध से हानि
प्रिय [मित्र का नाम],
नमस्ते!
उम्मीद है तुम ठीक होगे। तुम्हें यह पत्र लिखते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा है। तुम्हें पता ही होगा कि हाल ही में अमेरिका और ईराक के बीच युद्ध शुरू हो गया है। यह खबर सुनकर मेरा मन बहुत दुखी हो गया है। युद्ध मानवता के लिए एक अभिशाप है। यह जीवन, संपत्ति, और संस्कृति को नष्ट कर देता है।
युद्ध में सबसे बड़ी हानि मानवीय क्षति होती है। युद्ध में लाखों लोग मारे जाते हैं, घायल होते हैं, या अपंग हो जाते हैं। युद्ध के कारण परिवारों का विनाश होता है, बच्चे अनाथ हो जाते हैं, और महिलाएं विधवा हो जाती हैं। युद्ध से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है। युद्ध में भारी धनराशि खर्च होती है, जो विकास कार्यों में उपयोग नहीं हो पाती है। युद्ध के कारण व्यापार-व्यवसाय ठप हो जाते हैं, और लोग बेरोजगार हो जाते हैं।
युद्ध समाज में अशांति और अराजकता भी पैदा करता है जिससे सामाजिक ताना-बाना ढीला हो जाता है, और लोग आपस में लड़ने लगते हैं। इस प्रकार युद्ध से होने वाली हानियां अकल्पनीय हैं। हमें युद्ध को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। हमें शांति और सद्भाव का मार्ग अपनाना चाहिए।
तुम्हारा मित्र,
[आपका नाम]
युद्ध से होने वाली हानि का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए
42, आशा कॉलोनी,
साउथ-वेस्ट रोड.
पटना - बिहार।
दिनांक: 20/05/20XX
प्रिय [मित्र का नाम],
आशा है कि तुम कुशल-मंगल होगे। अभी हाल ही में मैंने अ.ब.स. देश में गृहयुद्ध की खबर पढ़ी... ये खबर सुनकर सचमुच रूह कांप गई। युद्ध! ये शब्द सुनते ही आंखों के सामने तबाही का मंजर घूम जाता है - जलते हुए घर, बेघर हुए लोग, माँ की गोद से छीना हुआ बच्चा, और हर तरफ सिर्फ चीख-पुकार।
युद्ध मानवता के लिए कलंक है। इसकी ज्वाला में लोगों के सपने, खुशियाँ और जिंदगियां - सब कुछ जलकर ख़ाक हो जाता है। सोचो, कितने मासूम बच्चे इस जंग के शिकार होंगे? स्कूल जाने की उम्र में उन्हें बंकरों में पनाह लेनी पड़ेगी। खेलने-कूदने की जगह बमों की आवाज़ उन्हें सुनाई देगी। कितने घर तबाह होंगे, कितने परिवार बिखरेंगे?
युद्ध सिर्फ जानें नहीं लेता, बल्कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ देता है। विकास के सपने राख हो जाते हैं। हर तरफ मंदी, बेरोज़गारी... ये भी युद्ध का ही तो रूप है।
इतिहास गवाह है कि युद्ध कभी किसी का समाधान नहीं रहा। इस जंग का कोई भी पक्ष जीतता नहीं, दोनों तरफ सिर्फ नुकसान ही होता है। हमें शांति के लिए आवाज़ उठानी होगी। शायद हम सीधे युद्ध रोक नहीं सकते, लेकिन ईश्वर से युद्ध रोकने की प्रार्थना तो कर ही सकते हैं।
तुम भी ईश्वर से युद्ध रोकने की प्रार्थना करना। शायद ईश्वर हमारी सुन ले और चमत्कार हो जाए।
तुम्हारा मित्र,
[आपका नाम]
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