सच्ची मित्रता' शीर्षक पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए: अमित और रमेश बचपन से ही दोस्त थे। वे एक ही गली में रहते थे, एक ही स्कूल में पढ़ते थ
सच्ची मित्रता' शीर्षक पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघु कथा लिखिए
अमित और रमेश बचपन से ही दोस्त थे। वे एक ही गली में रहते थे, एक ही स्कूल में पढ़ते थे, और हर खेल में साथ खेलते थे।
एक दिन, रमेश की परीक्षा में बहुत खराब नंबर आए। वह बहुत दुखी था और रो रहा था। अमित ने उसे देखा और पूछा कि क्या हुआ है। रमेश ने उसे सब कुछ बताया।
अमित ने रमेश को हिम्मत दी और कहा कि वह उसकी मदद करेगा। उसने रमेश को पढ़ाया, और अगली परीक्षा में रमेश अच्छे नंबर ला पाया।
रमेश बहुत खुश था और उसने अमित को धन्यवाद दिया। उसने कहा कि अमित एक सच्चा मित्र है। अमित भी खुश था कि वह रमेश की मदद कर पाया। उसने कहा कि सच्ची मित्रता में यही होता है।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है जो सुख-दुःख में साथ देता है। सच्चा मित्र हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है और हमेशा हमारा हित सोचता है।
मुसीबत में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है कहानी लेखन
दो मित्र, राधे और श्याम, एक नगर में रहते थे। दोनों निडर और एक-दूसरे के लिए जान देने को तैयार थे। दुर्भाग्य से, उनके नगर का राजा क्रूर और अन्यायी था। राधे, अन्याय सह न सका और राजा के विरोध में खड़ा हो गया। क्रोधित राजा ने राधे को फांसी की सजा सुना दी।
विदा लेने के लिए राधे ने अपने परिवार से मिलने की इच्छा जताई। राजा को लगा राधे भाग जाएगा, इसलिए उसने अनुमति देने से इनकार कर दिया। तब श्याम ने एक शर्त रखी - "यदि राधे समय से वापस नहीं आया तो मेरी फांसी दे दी जाए, पर उसे अपने परिवार से मिलने दें।" राजा मान गया और राधे चला गया।
दुर्भाग्यवश, रास्ते में राधे का घोड़ा घायल हो गया और वह समय पर वापस न आ सका। फांसी का फंदा श्याम के गले के लिए तैयार था। उसी क्षण, राधे हांफते हुए वहां पहुंचा और चिल्लाया, "मेरी गलती है, मुझे फांसी दो!"
फांसी के तख्ते से श्याम बोला, "नहीं राधे, तय समय पर तू नहीं लौटा, इसलिए फांसी मुझे मिलनी चाहिए।" उनकी अटूट मित्रता देख राजा का कठोर हृदय पसीज गया। उसने दोनों को फांसी से मुक्त कर दिया।
यह घटना राजा के लिए एक सबक थी। उसने अत्याचार बंद कर दिया और प्रजा के हित में शासन करने लगा।
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