मम् प्रिय नेता संस्कृत निबंध: मम् प्रिय नेता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अस्ति। महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता कथ्यते। काठियावाड़ पोरबन्दरनामके स्थाने 1869
मम् प्रिय नेता संस्कृत निबंध - Mam Priya Neta Essay in Sanskrit
मम् प्रिय नेता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अस्ति। महात्मा गाँधी राष्ट्रपिता कथ्यते। काठियावाड़ पोरबन्दरनामके स्थाने 1869 तमे खुष्टाब्दे महात्मनो गान्धिनः जन्म अभवत्। अस्य पितुः नाम कर्मचन्दः आसीत् मातुः नाम पुतलीबाई इति आसीत्। सा एका पुण्यात्मा नारी आसीत्। मातुः सम्पर्केण महात्मा गाँधी धार्मिक-भावनां गृहीतवान्। सः सत्यवादी आसीत्। सत्यभाषणं, सत्याचरणम् तस्य जीवनादर्शम् आसीत्। कदापि अन्यायं न सोढुं शक्नोति स्म। उच्चशिक्षायैः सः आंग्लदेशमगच्छत। स्वदेशमागत्य सः देशस्य सेवायाम् संलग्नः अभवत्। भारतं स्वतन्त्रं कर्तुं बहुबारं कारागारं गतवान् आसीत्। तस्य प्रयासेनैव भारतं स्वतन्त्रम् अभूत। जनानां दुर्दशां दृष्ट्वा तस्य हृदयं द्रवीभूतं भवति स्म। अहिंसा परमो धर्मः' अस्या उक्तेः सदा पालनं करोति स्म। तस्य सत्याहिंसयोः दृढ़ः विश्वासः आसीत। सः भारतं स्वतंत्रक अकरोत्। सः महापुरुषः अपरः बुद्धः आसीत् ।
हिंदी अनुवाद
मेरे प्रिय नेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहा जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 1869 में काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम कर्मचंद और माता का नाम पुतलीबाई था। वह एक धर्मपरायण महिला थीं. अपनी माँ के संपर्क से महात्मा गांधी में धार्मिक भावना जागृत हुई। वह सत्यवादी थे. सत्य बोलना और सत्य आचरण करना उनके जीवन के आदर्श थे। वह कभी भी अन्याय सहन नहीं करते थे. उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गये। स्वदेश लौटने पर वह देश की सेवा में लग गये। भारत को आज़ाद कराने के लिए उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। उनके प्रयासों से ही भारत स्वतंत्र हुआ। लोगों की दुर्दशा देखकर उनका हृदय पिघल गया। 'अहिंसा ही परम धर्म है' इस कथन का उन्होंने सदैव पालन किया। सत्य और हिंसा में उनका दृढ़ विश्वास था। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराया। वह महापुरुष दूसरे बुद्ध का अवतार था।
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