हरिहर काका का चरित्र चित्रण: हरिहर काका मिथिलेश्वर जी द्वारा लिखित कहानी "हरिहर काका" के मुख्य पात्र हैं। उनका चरित्र एक जटिल और बहुआयामी है, जो विभिन
हरिहर काका का चरित्र चित्रण कहानी के आधार पर कीजिये
हरिहर काका का चरित्र चित्रण: हरिहर काका मिथिलेश्वर जी द्वारा लिखित कहानी "हरिहर काका" के मुख्य पात्र हैं। उनका चरित्र एक जटिल और बहुआयामी है, जो विभिन्न भावनाओं और विचारों से युक्त है। हरिहर काका एक वृद्ध व्यक्ति थे। काका के परिवार में उनके तीन भाई, उनकी पत्नियां और उनके बच्चे हैं। काका की अपनी कोई संतान नहीं हैं। काका ने दो विवाह किये लेकिन उनकी कोई संतान नहीं हुई। अब वे विधुर हैं और अपने भाइयों के साथ रहते हैं। उनके अपनों ने उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया था। इस प्रकार हरिहर काका अपने परिवार से संतुष्ट नहीं हैं
अनपढ़ परन्तु व्यवहारिक ज्ञान से परिपूर्ण: अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। जब भाइयों ने उनसे निवेदन किया कि वे अपनी जमीन उन्हें लिख दें तो उन्होंने लेखक से इस विषय में सलाह ली और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जीते-जी अपनी जायदाद किसी और के नाम लिख देना ठीक नहीं होगा। इसलिए उन्होंने अपने भाइयों से कह दिया कि जीते-जी मैं किसी को जमीन नहीं लिखूंगा। मर जाऊँगा तो अपने आप मेरी जमीन तुम्हें मिल जायेगी। जमीन तो अपने साथ नहीं ले जाऊँगा, इसलिए लिखने की क्या जरुरत?
परिवार से मोह भंग: हरिहर काका का परिवार से मोह भंग हो गया था वे भली-भांति जानते थे कि उनके भाइयों ने जमीन के लालच में अपनी पत्नियों से उनकी सेवा करने को कहा हुआ था उन्हें रूखा-सूखा भोजन दिया जाता था बीमार होने पर उन्हें अपनी दवा आदि भी स्वयं ही लेनी पड़ती थी ऐसे समय में उन्हें अपनी स्वर्गवासी पत्नी और संतानहीनता का अभाव मह्सून होता था
दयालु और सहानुभूतिपूर्ण: हरिहर काका दूसरों के प्रति दयालु और सहानुभूतिपूर्ण हैं। वे हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। भले ही उनके भाई स्वार्थी और लालची हैं, लेकिन हरिहर काका उन्हें कभी भी बुरा नहीं कहते हैं। हरिहर काका ठाकुरबारी के साधुओं के प्रति भी दयालु हैं। भले ही वे साधु हरिहर काका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं।
असहाय: हरिहर काका को एक ओर तो महंत की यातनाओं का सामना करना पड़ रहा था तो दूसरी ओर अपने भाइयों और उनके परिवारजनों द्वारा दी जा रही यातनाओं को सहना पड़ रहा था। हरिहर काका की जमीन-जायदाद उनकी जान की दुश्मन बनी हुई थी। महंत ने उनकी जमीन हड़पने के लिए उनका अपहरण किया और शारीरिक-मानसिक यातनाएं दी। बाद में यही काम उनके भाइयों ने भी किया।
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