तुमुल' खण्डकाव्य का कथानक या सारांश: श्री श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'तुमुल' खण्डकाव्य का कथानक पौराणिक आख्यान के आधार पर लिखा गया है। इसमें लक्ष
तुमुल' खण्डकाव्य का कथानक या सारांश संक्षेप में लिखिए।
श्री श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'तुमुल' खण्डकाव्य का कथानक पौराणिक आख्यान के आधार पर लिखा गया है। इसमें लक्ष्मण-मेघनाद के युद्ध का वर्णन है, जिसे 15 सर्गों में विभक्त किया गया है। 'तुमुल' खण्डकाव्य का कथानक संक्षेप में निम्नलिखित है-
प्रथम सर्ग (ईश-स्तवन) - इसमें कवि ने मंगलाचरण के रूप में ईश्वर की स्तुति की है।
द्वितीय सर्ग (दशरथ- पुत्रों का जन्म एवं बाल्यकाल) – इसमें कवि ने राजा दशरथ के चार पुत्रों के जन्म एवं बाल्यकाल का वर्णन किया है। राजा दशरथ के राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न चार पुत्र उत्पन्न हुए। इनके बचपन की लीलाएँ राजमहल की शोभा को द्विगुणित कर देती हैं। राम एवं लक्ष्मण का जन्म राक्षसों के विनाश एवं साधु-सन्तों को अभयदान देने के लिए ही हुआ था।
तृतीय सर्ग (मेघनाद) - इस सर्ग में रावण के पराक्रमी पुत्र मेघनाद के व्यक्तित्व का वर्णन किया गया है। वह अत्यन्त संयमी, धीर, पराक्रमी, उदार और शीलवान था। युद्ध में उसके सामने टिकने का साहस किसी में नही था।
चतुर्थ सर्ग (मकराक्ष - वध) - इसमें 'मकराक्ष के वध' की कथा तथा रावण द्वारा मेघनाद की शौर्यगाथा वर्णित है। राम से संग्राम में मकराक्ष मारा गया था। इससे रावण बहुत भयभीत और चिन्तित हुआ। उसी समय उसे महाबली मेघनाद का स्मरण आता है।
पंचम सर्ग (रावण का आदेश) - इस सर्ग में रावण मेघनाद को बुलाकर मकराक्ष की मृत्यु का बदला लेने का आदेश देता है तथा मेघनाद के अतुल शौर्य का वर्णन करता है।
षष्ठ सर्ग (मेघनाद - प्रतिज्ञा) - इसमें मेघनाद सिंहनाद करता हुआ युद्ध में विजयी होने की प्रतिज्ञा करता है। वह अपने पिता को वचन देते हुए कहता है कि हे पिता ! मेरे होते हुए आप किसी प्रकार का शोक न करें।
सप्तम सर्ग (मेघनाद का अभियान) - इस सर्ग में मेघनाद के युद्ध के लिए प्रस्थान करने का वर्णन है। मेघनाद जब युद्ध क्षेत्र की ओर चलने लगा तो देवलोक के सभी देवता भय से कांपने लगे। मेघनाद ने युद्ध का रथ सजवाया तो पवन द्रवित हो गया, पर्वत कांपने लगे, पृथ्वी शोकाकुल हो गई और सूर्य त्रस्त हो गया।
अष्टम सर्ग (योद्धासन्न सौमित्र) - इसमें युद्ध के लिए प्रस्तुत लक्ष्मण का चित्रण है। राम का आज्ञा लेकर लक्ष्मण भी युद्ध के लिए तैयार होने लगे तथा लक्ष्मण को देखकर हनुमान आदि वीर भी युद्ध हेतु तत्पर हो गये।
नवम सर्ग (लक्ष्मण - मेघनाद युद्ध तथा लक्ष्मण की मूर्छा) - इसमें लक्ष्मण मेघनाद युद्ध और लक्ष्मण के मूर्छित होने की कथा का वर्णन है। मेघनाद ने नम्र भाव से लक्ष्मण से कहा कि तुम्हारी अवस्था देखकर मैं तुमसे युद्ध नहीं करना चाहता फिर भी आज मैं विवश हूँ क्योंकि मैं अपने पिता से यह प्रतिज्ञा करके आया हूँ कि युद्ध समस्त शत्रुओं का संहार करूंगा अतः युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।
दशम सर्ग (हनुमान द्वारा उपदेश) - इस सर्ग में हनुमान द्वारा दुखी वानरों को समझाने का वर्णन है। लक्ष्मण को शक्ति बाण लगने और उनके मूर्छित होने से देवताओं में खलबली मच गई एवं वानर सेना अत्यन्त व्याकुल होकर विलाप करने लगी।
एकादशसर्ग (राम की व्याकुलता) - इसमें राम की व्याकुलता का चित्रण है। कुटिया में बैठे श्रीराम विचार कर रहें है कि उसी समय हनुमान, सुग्रीव आदि मूर्छित लक्ष्मण को लेकर वहाँ आ जाते हैं। लक्ष्मण को देखते ही राम पछाड़ खाकर गिर पड़ते हैं।
द्वादश सर्ग (राम विलाप और लक्ष्मण का उपचार) - लक्ष्मण की दशा को देखकर राम विलाप करने लगे और कहते हैं, हे लक्ष्मण ! मैं तुम्हारे बिना जीवित नही रह सकता। बाद में हनुमान सुषेण वैद्य को लेकर आते हैं तथा वैद्य के उपचार से लक्ष्मण पुनः सचेत होकर मुस्कुराते हुए उठ जाते हैं।
त्रयोदशसर्ग (विभीषण की मंत्रणा) - इस सर्ग में विभीषण द्वारा राम को दिये गये परामर्श का वर्णन है। वह राम के पास आकर सूचना देता है कि मेघनाद निकुम्भला पर्वत पर यज्ञ कर रहा है और यदि वह पूर्ण हो गया तो मेघनाद युद्ध में विजयी हो जाएगा।
चतुर्दश सर्ग (यज्ञ विध्वंस और मेघनाद वध) - इस सर्ग में लक्ष्मण अपनी सेना के साथ यज्ञ स्थल पर पहुँचकर मेघनाद पर बाण वर्षा कर दी। लक्ष्मण के तीव्र बाण प्रहार से मेघनाद का रुधिर यज्ञ- भूमि में बहने लगा और अंत में लक्ष्मण द्वारा मेघनाद का वध किया जाता है।
पंचदश सर्ग (राम की वंदना) - इस सर्ग में राम की वंदना की गई है। युद्ध में लक्ष्मण की विजय का समाचार विभीषण राम को देते है । भगवान राम लक्ष्मण के शौर्य और पराक्रम की प्रशंसा करते है। लक्ष्मण अपनी प्रशंसा सुनकर भगवान राम की वंदना करते हुए कहते हैं कि हे प्रभु राम जिस पर आपकी कृपा हो जाती है वह जग विजेता हो ही जाता है। इस प्रकार खण्डकाव्य की कथा 15 सर्गों में विभक्त होकर समाप्त हो जाती है।
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