कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के आधार पर भरत का चरित्र-चित्रण कीजिए: श्री लक्ष्मीशंकर मिश्र 'निशंक' द्वारा रचित 'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के नायक भरत है काव्य
कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के आधार पर भरत का चरित्र-चित्रण कीजिए
श्री लक्ष्मीशंकर मिश्र 'निशंक' द्वारा रचित 'कर्मवीर भरत' खण्डकाव्य के नायक भरत है काव्य में आदि से अन्त तक उनके कार्य एवं चरित्र का विकास हुआ है। उनके चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(1) आज्ञाकारी - भरत अपने मामा के यहाँ गये हुए थे। दूतों के द्वारा अयोध्या लौट आने की सूचना पाकर वे गुरु की आज्ञा लेकर तुरन्त अयोध्या लौट आते हैं। अयोध्या लौटने से पूर्व वे मामा की आज्ञा प्राप्त करना भी उचित समझते हैं।
(2) राज्य के लोभ से रहित - भरत को राज्य वैभव का लोभ नही है। कैकेयी से यह जानकर कि राम को वनवास और उन्हें राज्य मिला है, वे अत्यन्त दुःखी होकर माता से कहते है कि-
भरत करेगा राज्य, राम को भेज विजन में।
जानें क्यों तुमनें ऐसा सोचा था मन में ।।
वे जीवन के सिद्धान्तों की रक्षा के लिए राज्य को तुच्छ समझते है। कौशल्या भी भरत को सर्वथा राज्य- लोभ से रहित मानती हैं।
(3) मर्यादा एवं कर्तव्य के पालक - भरत को अपने जीवन से भी अधिक अप कुल की मर्यादा और कर्तव्य की रक्षा का ध्यान है । रघुकुल में ज्येष्ठपुत्र ही राज्य का अधिकारी होता है, इस मर्यादा की रक्षा के लिए वे राज्य को नहीं, जीवन के समस्त सुखो को भी न्योछावर कर देते हैं। वे कहते हैं-
किन्तु ज्येष्ठ को राजतिलक की परम्परा है।
राजा दुःख से नही, अनय से सदा डरा है । ।
(4) भातृप्रेमी - भरत के चरित्र में राम के प्रति भातृ प्रेम कूट-कूटकर भरा हुआ है। सबके द्वारा एक मत से उनके लिए राजतिलक का प्रस्ताव करने पर भी वे कहते हैं-
वन में राम रहें, मैं बैठू सिंहासन पर,
शोभा देता नहीं मुझे आज्ञा दे गुरुवर
वन में जाकर चरण पकड़कर उन्हें मनाऊं,
जैसा भी हो सके राम को लौटा लाऊँ।।
वे राम को लौटाने का दृढ़ संकल्प कर पैदल चलने के लिए तैयार हो जाते हैं। काव्य में आदि से अन्त तक वे राम वनगमन की चिन्ता से व्यथित रहते हैं ।
(5) सच्चे योगी - भरत सच्चे योगी हैं। वे राजभवन में रहकर भी वनवासी का जीवन बिताते हैं तथा राजसुख को ठुकराकर अपने योगी होने का परिचय देते हैं। वे नन्दिग्राम में कुटी बनाकर कुश आसन पर बैठकर राज्य कार्य का संचालन करते हैं।
इस प्रकार भरत आज्ञाकारी, कर्तव्य और मर्यादापालक, राज्य लोभ से दूर भातृ-प्रेमी तथा सच्चे कर्मयोगी हैं। उनका चरित्र महान और अनुकरणीय है।
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