जय सुभाष खण्डकाव्य के नायक सुभाष चंद्र बोस का चरित्र चित्रण कीजिए: 'जय सुभाष' विनोदचन्द्र पाण्डेय 'विनोद' के द्वारा लिखा गया खण्डकाव्य है। जिसमें नेता
जय सुभाष खण्डकाव्य के नायक सुभाष चंद्र बोस का चरित्र चित्रण कीजिए।
सुभाष चंद्र बोस का चरित्र चित्रण: 'जय सुभाष' विनोदचन्द्र पाण्डेय 'विनोद' के द्वारा लिखा गया खण्डकाव्य है। जिसमें नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को कवि ने कथावस्तु बनाया है। इस खण्डकाव्य के केन्द्र में सुभाषचन्द्र बोस ही रहे हैं अतः वे ही कथानायक, प्रधान पात्र अर्थात् नायक हैं। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. सर्वप्रिय नेता: सुभाष चन्द्र बोस के व्यक्तित्व में एक अद्भुत आकर्षण था । उनके भाषणों को सुनने के लिए लाखों व्यक्तियों की भीड़ एकत्र होती थी। कांग्रेस के विट्ठल नगर में हुए 51 वें अधिवेशन में अध्यक्ष पद के 'चुनाव में उन्होंने गांधीजी की इच्छा के प्रतिकूल विजय प्राप्त की थी। बाद में गाँधीजी की इच्छा का सम्मान रखने तथा कांग्रेस को फूट से बचाने के लिए उन्होंने अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और अपनी ही विचारधारा पर आधारित दल 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की। आजाद हिन्द फौज के जवान भूखे रहकर भी उनके संकेत पर युद्धस्थल में लड़ते थे। वस्तुतः वे जहाँ भी और जिस अवस्था में भी रहे, सभी व्यक्तियों ने उन्हें अपना असीम प्रेम एवं सम्मान प्रदान किया।
2. धीरोदात्त नायक: सुभाषचन्द्र उच्च कुलीन, श्रेष्ठ गुणों से युक्त धीरोदात्त नायक हैं। उनकी वीरता, साहस तथा देशप्रेम आदि गुण उनके चरित्र को बहुत ऊँचा उठा देते हैं।
3. प्रतिभाशाली व्यक्तित्व: सुभाष का व्यक्तित्व अत्यन्त प्रतिभाशाली है। उनकी बुद्धि भी अत्यन्त प्रखर है। उन्होंने मैट्रिक से बी. ए. तक सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में पास कीं। उन्होंने अत्यन्त सम्मानपूर्ण आई. सी. एस. की परीक्षा पास कर देश का गौरव बढ़ाया।
4. सच्चे समाज सेवक: सुभाषचन्द्र बोस सच्चे और नि:स्वार्थ समाज सेवक थे। उन्होंने जाजपुर गाँव के रोगियों की सेवा करके उनके कष्टों को दूर किया। सन् 1922 ई. में बंगाल में भयंकर बाढ़ आयी । उन्होंने अपना जीवन खतरे में डालकर भी बाढ़ पीड़ितों की सहायता की। कवि ने अनुसार-
दुःखी जनों का कष्ट कभी वह देख नहीं सकते थे।
दलितों की सेवा करने में कभी न वह थकते थे।।
5. कट्टर देशभक्त: सुभाष के जीवन का लक्ष्य मातृभूमि को आजाद कराना एवं देशसेवा करना था। देश की स्वतन्त्रता के लिए उन्होंने अपने प्राण दे दिए। विवाह को राष्ट्रसेवा में बाधक मानकर उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लिया- राष्ट्रीयता को सुभाष ने धर्म हृदय से माना।
आजीवन अविवाहित रहने का भी ध्रुवव्रत ठाना ।।
कांग्रेस के आन्दोलनों में शामिल होना, ओजस्वी भाषण देना,
अंग्रेजों की नजरबन्दी को धता बताकर देश से भागकर विदेश जा पहुँचना और वहाँ आजाद हिन्द फौज का गठन करना उनके कट्टर देशभक्त होने के परिचायक हैं।
6. वीर नायक: सुभाषचन्द्र बोस की वीरता, उनके उत्साह और साहस से सब लोग चकित थे। अंग्रेज उनसे भयभीत थे। उन्हें कई बार जेल में बन्द किया गया। जेल से मुक्त होने पर उन्हें घर में नजरबन्द कर दिया गया, परन्तु एक मौलवी का वेश धारणकर वे एक दिन अंग्रेजों को चकमा देकर निकल भागे। काबुल के रास्ते वे जर्मनी पहुँचे और वहाँ से जापान । वहाँ सुभाष ने आजाद हिन्द फौज को ठोस धरातल प्रदान किया। उन्होंने भारतीयों को सचेत किया और अपने भाषणों से उनमें नवीन उत्साह भर दिया। सुभाष की प्रेरणा से आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी सेना को परास्त करना आरम्भ कर दिया और अंग्रेजों के अनेक ठिकानों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार सुभाषचन्द्र बोस एक वीर नायक थे। स्वदेश सेवा और राष्ट्रीय स्वाभिमान ये ही उनके जीवन के लक्ष्य थे-
वह स्वदेश सेवा में अपना थे सब समय बिताते।
राष्ट्रीयता के ही पथ पर थे निज चरण बढ़ाते।।
सिंगापुर में आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा दिया- " तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।"
निष्कर्ष: नेताजी सुभाषचन्द्र बोस एक महामानव थे। साहस, धैर्य, दृढ़ता, वीरता, पीड़ित मानवता की सेवा, उत्कृष्ट देशभक्ति, अद्भुत संगठन क्षमता, विनम्रता जैसे गुणों ने सुभाष को एक ऐसा महापुरुष बना दिया था जिसके प्रति आज भी देशवासियों में अपार श्रद्धा है। वे सच्चे अर्थों में जन नायक थे तथा उनका चरित्र अत्यन्त प्रेरणादायी है। वे ही इस खण्डकाव्य के नायक पद के अधिकारी हैं।
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