‘अग्रपूजा' के तृतीय सर्ग 'आयोजन' की कथावस्तु: पं. रामबहोरी शुक्ल कृत 'अग्रपूजा' के 'आयोजन' सर्ग की शुरूआत पाण्डवों के बीच हुए समझौते से होती है जिसमें
‘अग्रपूजा' के तृतीय सर्ग 'आयोजन' की कथावस्तु / सारांश
‘अग्रपूजा' के तृतीय सर्ग का सारांश: पं. रामबहोरी शुक्ल कृत 'अग्रपूजा' के 'आयोजन' सर्ग की शुरूआत पाण्डवों के बीच हुए समझौते से होती है जिसमें द्रौपदी से विवाह के पश्चात् पाँचों भाइयों के मध्य उत्पन्न होने वाले विवाद का हल मिला। द्रौपदी को एक वर्ष एक ही पति के साथ रहना होगा और इस अवधि के बीच कोई अन्य पति उनके निवास में नहीं जा सकता। यदि ऐसा हुआ तो वह पति बारह वर्षों का अज्ञातवास प्राप्त करेगा। अर्जुन द्वारा इस नियम का भंग हुआ जब वह शास्त्रागार में शस्त्र लेने गये क्योंकि एक ब्राह्मण की गाय चोरी हो गयी थी। वचनानुसार अर्जुन बारह वर्षों का अज्ञातवास झेलते हुए सुभद्रा तक पहुँचे और श्रीकृष्ण की इस अनुजा से विवाह कर इन्द्रप्रस्थ वापस आये। इसके बाद खाण्डव वन प्रदेश का अग्निदाह सम्पादित हुआ और वरुणदेव ने अर्जुन को गाण्डीव व दो अक्ष तरकश दिये। मयदानव ने अर्जुन द्वारा अभयदान पाकर युधिष्ठिर के लिए अलौकिक भवन बनाया और अर्जुन को शंख व भीम को गदा प्रदान की।
एक दिन प्रातःकाल देवर्षि नारद युधिष्ठिर समेत सभी पाण्डवों के समक्ष राजसूय यज्ञ की योजना लेकर आये और कहा कि ऐसी इच्छा उनके स्वर्गवासी पिता पाण्डु की है। कृष्ण के आने पर जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने सर्वप्रथम जरासंध वध का परामर्श दिया। जरासन्ध ने रूद्रयज्ञ में बलि देने के लिए दो हजार राजाओं को बन्दी बनाया था। ऐसा उद्देश्य लेकर जब भीम-अर्जुन के साथ कृष्ण मगध पहुंचे तो जरासंध ने भीम को मल्लयुद्ध के लिए चुना। तेरह दिन के युद्ध के पश्चात् अन्ततः भीम ने कृष्ण के इशारे को समझ मौका पाकर जरासंघ को बीच से चीरकर उसके शरीर को दो विपरीत दिशाओं में फेंका और सभी राजाओं को मुक्त कराया साथ ही जरासंध के पुत्र का राज्याभिषेक किया। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ का मार्ग प्रशस्त कर विदा ली और युधिष्ठिर ने नकुल व सहदेव को दिग्विजय के लिए भेजा। सम्पूर्ण भारतवर्ष ने युधिष्ठिर के आधिपत्य को स्वीकार किया। युधिष्ठिर ने समस्त भारतवर्ष के राजाओं को राजसूय यज्ञ के लिए आमंत्रि किया तथा अर्जुन स्वयं श्रीकृष्ण को आमंत्रित कर यज्ञशाला में लाने हेतु द्वारिकापुरी की ओर बढ़ चले। इसी प्रकरण के साथ 'आयोजन' सर्ग समाप्त होता है।
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