पंचायती राज की त्रिस्तरीय संरचना से क्या तात्पर्य है: ग्रामीण स्थानीय स्वशासन के सम्बन्ध में प्रस्तुत मेहता समिति की यह योजना 'पंचायती राज की त्रिस्तर
पंचायती राज की त्रिस्तरीय संरचना से क्या तात्पर्य है।
पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था: ग्रामीण स्थानीय स्वशासन के सम्बन्ध में प्रस्तुत मेहता समिति की यह योजना 'पंचायती राज की त्रिस्तरीय योजना' के रूप में जानी जाती है। पंचायती राज के तीन स्तर निम्न प्रकार हैं-
- ग्राम पंचायत ( ग्राम स्तर पर)
- पंचायत समिति (खण्ड स्तर पर)
- जिला परिषद् (जिला स्तर पर)
1959 में बलवन्त राय मेहता कमेटी रिपोर्ट के सुझावानुसार ऐसा पंचायतीराज स्थापित हुआ जिसमें सबसे नीचे ग्राम पंचायतें थीं, बीच में पंचायत समितियाँ तथा शिखर पर जिला परिषदें थीं, लेकिन राज्यों को छूट थी कि वे इस व्यवस्था में अनिवार्य संशोधन कर सकते थे। अब नयी व्यवस्था में इसी त्रिपटलीय (त्रिस्तरीय) नमूने को अपनाया गया है। यदि किसी राज्य की जनसंख्या 20 लाख से कम है तो वहाँ दो- पटलीय व्यवस्था होगी - नीचे ग्राम पंचायतें तथा ऊपर जिला परिषदें।
स्वतन्त्रता के बाद से ही भारत में इस दिशा में प्रयास किये जाते रहे हैं। अन्य प्रयासों के अतिरिक्त 'बलवन्त राय मेहता' समिति के अनुशंसाओं के बहुत ही सकारात्मक परिणाम सामने आये जबकि भारत में पंचायती राज व्यवस्था के प्रतिमान को लागू किया गया। 'पंचायती राज' के प्रतिमान को क्रियान्वित करने हेतु केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अपेक्षित स्वायत्तता प्रदान की। पंचायती राज्य की इस त्रिस्तरीय व्यवस्था को सर्वप्रथम अपनाने वाला राज्य राजस्थान था जबकि 2 अक्टूबर, 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में इसे लागू किया गया। तदुपरान्त आन्ध्र प्रदेश ने इसे क्रियान्वित किया।
इसके उपरान्त ग्रामीण स्थानीय स्वशासन की इस व्यवस्था को अन्य राज्यों ने भी स्वीकार किया। इस योजना को ग्रामीण स्थानीय स्वशासन में नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए तैयार किया गया।
- जिला परिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें।
- पंचायत समिति का गठन एवं कार्य बताइए।
- खंड विकास अधिकारी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- 73वें संविधान संशोधन में ग्राम पंचायत से संबंधित प्रावधान का वर्णन कीजिये।
- स्थानीय शासन और स्थानीय स्व-शासन में अन्तर बताइए।
- वार्ड समिति किस प्रकार गठित की जाती हैं?
- ग्राम सभा तथा इसके कार्य पर टिप्पणी लिखिए।
- ग्राम पंचायत के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- पंचायती राज के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- ग्राम पंचायत की आय के किन्हीं चार स्रोतों का वर्णन कीजिए।
COMMENTS