पंचायत समिति का गठन एवं कार्य बताइए: पंचायत समिति का गठन क्षेत्र व जनसंख्या को आधार बनाकर किया जाता है। सामान्यतया 20 या अधिक राज्यों को मिलाकर एक ‘पं
पंचायत समिति का गठन एवं कार्य बताइए (Panchayat Samiti ka Gathan evam Karya Bataiye)
पंचायती राज की त्रिस्तरीय व्यवस्था का मध्यवर्ती स्तर पंचायत समिति है। यह ग्राम पंचायत व जिला परिषद के मध्य कड़ी का कार्य करती है। विभिन्न राज्यों में इस संस्था के लिए भिन्न-भिन्न नाम प्रयुक्त किये जाते हैं जैसे कि गुजरात में 'तालुका पंचायत', कर्नाटक में 'मण्डल पंचायत', आन्ध्र प्रदेश में 'मण्डल प्रजा परिषद् तथा झारखण्ड में पंचायत समिति'।
पंचायत समिति का गठन (Organisation of Panchayat Samiti)
पंचायत समिति का गठन क्षेत्र व जनसंख्या को आधार बनाकर किया जाता है। सामान्यतया 20 या अधिक राज्यों को मिलाकर एक ‘पंचायत समिति' गठित की जाती है। समिति के अधीन जनसंख्या 35 हजार से एक लाख तक हो सकती है। झारखण्ड में भी पंचायत समिति के संगठन की प्रक्रिया अन्य राज्यों के समान है। कई ग्राम पंचायतों को मिलाकर प्रखण्ड (Block) स्तर पर पंचायत समिति का संगठन किया जाता है। पंचायत समिति के निम्नलिखित प्रमुख अधिकारी होते हैं-
- एक प्रमुख (अध्यक्ष) व एक उप-प्रमुख उपाध्यक्ष,
- प्रखण्ड विकास पदाधिकारी (Block Development Officer : B.D.O.) अथवा सचिव।
पंचायत समिति की संगठनात्मक संरचना को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है-
(1) निर्वाचित सदस्य– सामान्य वर्ग से जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के अतिरिक्त अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों के सदस्य एवं महिलाएँ जिन्हें आरक्षण प्रदान किया गया है। ( 73वें संविधान संशोधन के आधार पर यह आरक्षण दिया गया। संविधान में धारा 243 में 243 (O) में इस सम्बन्ध में प्रावधान जोड़े गये।) अनुसूचित जातियों / जनजातियों, पिछड़े वर्गों को आरक्षण जनसंख्या के आधार पर तथा महिलाओं के लिए 33% सुरक्षित किया गया था किन्तु वर्तमान में स्त्री-पुरुष विभेद की समानता हेतु अधिकांश राज्यों में महिलाओं के लिए 50% सीटें आरक्षित की गई हैं और झारखण्ड भी इन राज्यों में से एक है।
(2) उपाध्यक्ष व अध्यक्ष– पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्यों में से चयनित।
(3) खण्ड विकास अधिकारी (B. D. O) - राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित खण्ड विकास अधिकारी के अधीन ही अन्य अधिकारी व कर्मचारी जैसे कि प्रसार अधिकारी, लेखाकार, लिपिक एवं अन्य कर्मचारी। उपर्युक्त वर्णित सदस्यों के अतिरिक्त पंचायत समिति के अधीन कतिपय स्थायी समितियाँ भी गठित की जाती हैं जिन्हें पृथक्-पृथक् कार्य क्षेत्र आवंटित किये जाते हैं उन्हीं कार्य-क्षेत्रों के आधार पर इन समितियों के नाम रखे जाते हैं यथा- प्रशासनिक समिति, विकास समिति, समाज सेवा समिति, सामाजिक न्याय समिति, वित्तीय समिति अथवा कराधान समिति, शिक्षा समिति आदि।
इस प्रकार संगठित पंचायती राज का यह मध्यवर्ती स्तर स्थानीय स्तर पर लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से शासन करने वाला एक महत्वपूर्ण निकाय है।
पंचायत समिति के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के कार्य (Functions of Head/ Sub - Head of Panchayat Samiti)
पंचायत समिति के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष द्वारा निम्नलिखित कार्य सम्पादित किये जाते हैं-
- पंचायत समिति की बैठक आयोजित करना,
- पंचायत समिति की बैठकों की अध्यक्षता करना।
- प्रखण्ड विकास अधिकारी, अन्य अधिकारियों व सदस्यों पर नियन्त्रण स्थापित करना।
- समिति के अभिलेखों व पंजियों का रखरखाव करना।
- समिति की निधि पर उचित नियन्त्रण रखना।
- प्राकृतिक आपदाओं के समय सहायता राशि स्वीकृत करना।
उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष/उपाध्यक्ष को केवल अविश्वास प्रस्ताव के आधार पर ही पद से हटाया जा सकता है जो कि तीन चौथाई बहुमत से पास होना चाहिए।
अध्यक्ष के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पद प्रखण्ड विकास अधिकारी का होता है जो कि पंचायत समिति के सचिव के रूप में कार्य करता है।
पंचायत समिति के कार्य (Functions of Panchayat Samiti in Hindi)
पंचायत समिति द्वारा निम्नलिखित कार्य सम्पन्न किये जाते हैं-
- क्षेत्र की सभी ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजनाओं को समेकित कर उन्हें कार्यान्वित करना।
- जिला परिषद् व राज्य सरकार द्वारा सौंपे गये कार्यों का निष्पादन करना।
- अपने क्षेत्र में शुद्ध व स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था करना।
- कृषि व बागवानी के विकास, उत्तम किस्म के बीजों के वितरण, कृषि के उन्नत तरीकों आदि को प्रोत्साहित करना।
- कृषि विकास हेतु कृषकों के प्रशिक्षण एवं साख सुविधाओं आदि की व्यवस्था करना।
- भूमि सुधार योजनाओं व कार्यक्रमों में सरकार को सहायता देना।
- पशुपालन से सम्बन्धित सुविधाएँ उपलब्ध कराते हुए पशु पालन को प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीण कुटीर उद्योगों का विकास करना।
- निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों का आयोजन व कार्यान्वयन करना।
- अनुसूचित जातियों/ जनजातियों, पिछड़े वर्गों व महिलाओं के उत्थान हेतु योजनाओं का निर्माण व क्रियान्वयन।
- सामुदायिक योजनाओं को प्रोत्साहन।
- आवास योजनाओं का निर्माण व कार्यान्वयन ।
- स्वास्थ्य व परिवार कल्याण योजनाओं को लागू करना।
- यातायात व संचार के साधनों का विकास।
- प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना में अपेक्षित सहयोग देना।
- अनुसूचित जातियों / जनजातियों, पिछड़े वर्गों व महिलाओं की शिक्षा को विशेष प्रोत्साहन व सम्भव सहायता प्रदान करना।
- प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहन।
- सामुदायिक मनोरंजन केन्द्रों व पुस्तकालयों की स्थापना करना।
- विकलांगों, वृद्धों, असहायों से सम्बन्धित समाज कल्याण योजनाएँ लागू करना।
- महिला व बाल विकास सम्बन्धी योजनाओं का कार्यान्वयन।
- तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन।
- प्राकृतिक आपदाओं के समय खण्ड के आधीन क्षेत्रों को आवश्यक सहायता प्रदान करना।
- सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना।
- खण्ड क्षेत्र में स्थित सभी ग्राम पंचायतों के कार्यों का निरीक्षण करना।
उपर्युक्त सम्पूर्ण विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि पंचायत समिति पंचायती राज की धुरी है। यह ग्राम पंचायत व जिला परिषद् को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण कड़ी है। इस प्रकार पंचायत समिति पंचायती त्रिस्तरीय व्यवस्था को एक इकाई का रूप प्रदान करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाती है। किन्तु समय पर चुनाव न होना एक निराशाजनक पहलू है।
- जिला परिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें।
- खंड विकास अधिकारी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- 73वें संविधान संशोधन में ग्राम पंचायत से संबंधित प्रावधान का वर्णन कीजिये।
- स्थानीय शासन और स्थानीय स्व-शासन में अन्तर बताइए।
- वार्ड समिति किस प्रकार गठित की जाती हैं?
- पंचायती राज की त्रिस्तरीय संरचना से क्या तात्पर्य है।
- ग्राम सभा तथा इसके कार्य पर टिप्पणी लिखिए।
- ग्राम पंचायत के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- पंचायती राज के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- ग्राम पंचायत की आय के किन्हीं चार स्रोतों का वर्णन कीजिए।
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