नदी अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृति का वर्णन कीजिए।
नदी अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृति का वर्णन कीजिए।
नदी अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृतियाँ नदी का अपरदन नदी के ढाल तथा वेग एवं उसमें स्थित नदी के अवसाद भार पर निर्भर करती हैं। नदी द्वारा अपरदन मुख्यतः दो प्रकार रासायनिक एवं यांत्रिक अपरदन द्वारा होता है। नदियां अपरदन द्वारा प्राप्त चट्टान का चूर्ण या मलवा का एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरण करती है, नदी के इस कार्य को परिवहन कहते हैं।
नदी अपरदन द्वारा निर्मित स्थलाकृति
- V-आकार की घाटी
- गार्ज
- कैनियन
- जलप्रपात
- क्षिप्रिकाजल
- गर्तिका
- संरचनात्मक सोपाननदी
- वेदिका
V-आकार की घाटी:- इसमें नदी तली को काटकर उसे गहरा करती है, जिस कारण नदी घाटी की गहरायी सदैव बढ़ती जाती है तथा घाटी का आकार अंग्रेजी भाषा के V अक्षर के समान हो जाता है। इन घाटियों को आकार का विकास निरंतर होता है, जिससे गहरायी तथा आकार दोनों में वृद्धि होती है।
गार्ज:- गार्ज में किनारे की दीवार अत्यंत बड़े ढालवाली होती है जिसकी गहरायी अत्यधिक होती है। गार्ज में दीवारों का ढाल कभी इतना अधिक होता है कि दीवारें बिल्कुल लम्बवत हो जाती है।
कैनियन:- गार्ज के विस्तृत रूप को ही कैनियन कहते हैं। यह आकार में विशाल लेकिन अपेक्षाकृत अधिक सकरा होता है। घाटी के दोनों किनारों की दीवारें खड़ी ढाल वाली होती हैं तथा नदी तल से अधिक ऊँची होती हैं।
जलप्रपात:- जलप्रपात अथवा झरना तब बनते हैं जब नदी अपने प्रवाह मार्ग में ऊंचे स्थान से नीचे की ओर तीव्र गति से खड़ी ढाल के सहारे गिरती है.की घाटी में एक चट्टानी बाधा होती है।
क्षिप्रिका:- क्षिप्रिकाएँ नदियों में तेज बहाव वाले क्षेत्र होते हैं। यह जलप्रपात और सामान्य प्रवाह के बीच की स्थिति होती है। वे आमतौर पर चट्टानी चट्टानों या अन्य बाधाओं के पास पाए जाते हैं।
जल गर्तिका:- जल गर्तिका नदियों में छोटे, गोलाकार गड्ढे होते हैं। वे आमतौर पर चट्टानों के छोटे टुकड़ों द्वारा बनाए जाते हैं जो नदी के तल पर घूमते हैं।
संरचनात्मक सोपान:- संरचनात्मक सोपान तब बनते हैं जब नदी की घाटी में अलग-अलग कठोरता की चट्टानों की परतें होती हैं। नदी तेजी से नरम चट्टानों को काट देती है, लेकिन कठोर चट्टानों को नहीं। यह एक सीढ़ीदार आकार बनाता है।
नदी वेदिका:- नदी वेदिकाएँ नदियों द्वारा जमा किए गए अवसादों से बनी होती हैं। वे आमतौर पर नदी के किनारे पर पाए जाते हैं।
नदी के स्थलाकृति गार्ज व कैनियन सभी महाद्वीप में मिलते हैं। हिमालय पर्वत में सिंधु, सतजल तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के गार्ज दर्शनीय हैं।
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