लैमार्कवाद और डार्विनवाद में अंतर बताइए: लैमार्कवाद उपार्जित लक्षणों की वंशागतिकी पर आधारित है जबकि डार्विनवाद वाद प्राकृतिक चयन पर आधारित है।
लैमार्कवाद और डार्विनवाद में अंतर बताइए (Laimarkvad aur Darvinvad mein Antar Bataiye)
लैमार्कवाद: लैमार्क ने साल 1809 में जैव विकास के बारे में उपार्जित लक्षणों की वंशागति का सिद्धांत दिया था। लैमार्कवाद को अर्जित लक्षणों की वंशागति के नाम से भी जाना जाता है। लैमार्क ने जिराफ़ के उदाहरण से इस लैमार्कवाद को समझाने की कोशिश की थी। उनका मानना था कि जिराफ़ के पूर्वजों की गर्दन छोटी थी।
डार्विनवाद: डार्विनवाद को 'थ्योरी ऑफ़ इवोल्यूशन' या 'सर्वाइवल ऑफ़ द फ़िटेस्ट' भी कहा जाता है। डार्विन ने विकासवाद का सिद्धांत दिया था। उनका मानना था कि प्राकृतिक चयन के कारण जीवों का विकास होता है।प्रजातियां अपने बदलते वातावरण के अनुकूलन से नए जीवों का निर्माण करती हैं।
लैमार्कवाद और डार्विनवाद में अंतर
लैमार्कवाद | डार्विनवाद |
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लैमार्कवाद उपार्जित लक्षणों की वंशागतिकी पर आधारित है। | डार्विनवाद वाद प्राकृतिक चयन पर आधारित है। |
लैमार्कवाद के अनुसार केवल उपयोगी विभिन्नताएं ही अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होती हैं | डार्विनवाद के अनुसार सभी अर्जित किये लक्षण अगली पीढ़ी में स्थानांतरित होते हैं |
लैमार्क के अनुसार जिराफ के पूर्वजो की गर्दन सामान्य लम्बाई की थी क्योंकि इन्हें तत्कालीन वातावरण में घास-फूस सहज ही उपलब्ध हो जाती थी | डार्विन के अनुसार तत्कालीन समय में जिराफ के पूर्वज दोनों प्रकार के थे अर्थात छोटी गर्दन वाले भी और लम्भी गर्दन वाले भी |
कालान्तर में वातावरण शुष्क हो जाने के कारण इन्हें ऊँचे वृक्षों की पत्तियां खाने के लिए गर्दन को खींचकर प्रयोग करना पड़ा | इनमें गर्दन की अलग-अलग लम्बाई वंशागति थी। |
निरंतर गर्दन को उंचाई की ओर खींचकर प्रयोग करने के कारण गर्दन की लम्बाई धीरे-धीरे बढती गयी | वातावरणीय परिवर्तन के कारण दोनों प्रकार के जिराफों को जीवन संघर्ष का सामना करना पड़ा जिसमें लम्बी गर्दन वाले गिराफ विजयी हुए |
गर्दन की बढती हुई लम्बाई एक उपार्जित लक्षण बन गयी जो पीढ़ी डर पीढ़ी वंशागत होती रही तथा परिणामस्वरुप लम्बी गर्दन वाले जिराफों की वर्तमान जाति विकसित हुई। | प्राकृतिक वरण के फलस्वरूप लम्बी गर्दन वाले जिराफों की संतति में वृद्धि हुई तथा छोटी गर्दन वाले जिराफ धीरे-धीरे लुप्त हो गए इस प्रकार लम्बी गर्दन वाले जिराफों की वर्तमान जाति विकसित हुई |
यह वाद अंगों के उपयोग तथा अनुप्रयोग पर आधारित है। | यह गुणों की वंशागतिकी पर आधारित है। |
इसने योग्यतम की उत्तरजीविता को नकार दिया । | यह योग्यतम की उत्तरजीविता पर आधारित था। |
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