साझेदारी और कंपनी में अंतर: साझेदारी में भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 लागू होता है जबकि कंपनी में भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 लागू होता है।
साझेदारी और कंपनी में अंतर - Difference between Partnership and Company in Hindi
साझेदारी और कंपनी में अंतर: साझेदारी से आशय दो या दो से ज़्यादा लोगों का मिलकर कारोबार करने और मुनाफ़ा बांटने से है जबकि कंपनी लाभ के लिए बनाई गई कुछ व्यक्तियों की ऐच्छिक संस्था है जिसकी पूँजी हस्तांतरणशील सीमित दायित्व वाले अंशों में विभाजित होती है तथा जिसका रजिस्ट्रेशन अर्थात् समामेलन (Incorporation) एक कत्रिम व्यक्ति के रूप में कंपनी अधिनियम 2013 के अधीन होता है।
साझेदारी और कंपनी में अंतर
अंतर का आधार | साझेदारी | कंपनी |
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अधिनियम | साझेदारी में भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 लागू होता है। | कंपनी में भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 लागू होता है। |
पंजीयन | भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 के तहत, साझेदारी फ़र्म को पंजीकृत करना अनिवार्य नहीं है, अर्थात ऐच्छिक है। | कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत कम्पनी का पंजीयन करना अनिवार्य होता है। |
अंकेक्षण | साझेदारी फ़र्म के लेखों का अंकक्षेण अनिवार्य नहीं होता है। | कंपनी के लेखों का अंकेक्षण अनिवार्य होता है। |
अस्तित्व | इसका अपने सदस्यों के साथ अस्तित्व होता है। | संयुक्त कंपनी का अपने सदस्यों से पृथक वैधानिक अस्तित्व होता है। |
दायित्व | इसमें साझेदारों कादायित्व संयुक्त एवं व्यक्तिगत रूप से असीमित होता है। | कंपनी में अंशधारियों का दायित्व उनके अंशों तक ही समिति होता है। |
पूंजी | इसमें साझेदार आपसी समझौते से अपनी पूंजी की मात्रा में बदलाव कर सकते हैं। | कंपनी की शेयर पूंजी को कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बढ़ाया या घटाया जा सकता है। |
सदस्य संख्या | इसमें कम से कम 2 तथा अधिक से अधिक 20 तथा बैंकिंग व्यवसाय में यह संख्या 10 से और साधारण व्यवसाय में 20 से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए | निजी कंपनी में कम-से-कम 2 तथा अधिकतम 50 सदस्य हो सकते हैं। सार्वजनिक कम्पनी में कम-से-कम - 7 तथा अधिकतम सदस्यों की संख्या कितनी भी हो सकती है। |
स्वामित्व | साझेदारी में, भागीदारों के बीच संयुक्त स्वामित्व होता है। | कंपनी में शेयरधारकों का स्वामित्व होता है। |
प्रबन्ध | साझेदारी फर्म का प्रत्येक साझेदार साझेदारी के प्रबन्ध में भाग सकता है। | कंपनी का प्रबन्ध प्रजातांत्रिक ढंग पर अंशधारियों द्वारा चुने हुऐ संचालकों के द्वारा किया जाता है। |
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