जलोढ़ मिट्टी एवं लेटराइट मिट्टी में अंतर: जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा गाद के जमाव से होता है जबकि लेटराइट मिट्टी का निर्माण शुष्क तथा आर्द्र
जलोढ़ मिट्टी एवं लेटराइट मिट्टी में अंतर लिखिए (Difference between Alluvial Soil and Laterite Soil in Hindi)
जलोढ़ मिट्टी: जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा गाद के जमाव से होता है। जलोढ़ मिट्टी दो प्रकार की होती है, खादर और बांगर। पुराने जलोढ़ को खादर कहते हैं जबकि नए जलोढ़ को खादर कहते हैं। भारत के उत्तरी मैदान तथा प्रायद्वीपीय भारत के तटीय मैदानों में जलोढ़ मिट्टी मिलती है। यह अत्यंत ऊपजाऊ है इसे जलोढ़ या कछारीय मिट्टी भी कहा जाता है
लैटेराइट मिट्टी: लैटेराइट मिट्टी लाल से पीले रंग की होती है। यह मिट्टी आयरन ऑक्साइड और पोटाश से भरपूर है। भारत में लैटेराइट मिट्टी मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, और ओडिशा राज्यों में पाई जाती है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में भी लैटेराइट मिट्टी पाई जाती है।
जलोढ़ मिट्टी एवं लेटराइट मिट्टी में अंतर
जलोढ़ मिट्टी | लैटेराइट मिट्टी |
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जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों द्वारा गाद के जमाव से होता है। | शुष्क तथा आर्द्र मौसम के बारी-बारी से आने के कारण लेटराइट मिट्टी का निर्माण होता है। यह मिट्टी 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पायी जाती है। |
जलोढ़ मिट्टी उत्तरी मैदान तथा तटीय मैदानों में पायी जाती है | लैटेराइट मिट्टी चौरस उच्च भूमियों में मिलती है। यह छोटा नागपुर के पठार, ओडिशा, मेघालय, आन्ध्र प्रदेश में विस्तृत है। |
जलोढ़ मिट्टी पीले तथा भूरे रंग की होती है। | लौह ऑक्साइड की अधिकता के लैटेराइट मिट्टी लाल रंग की होती है। |
जलोढ़ मिट्टी बहुत उपजाऊ होती हैं। इसमें चावल, गेहूं, गन्ना, तंबाकू, मक्का, कपास, सोयाबीन, जूट, तिलहन, फल, सब्जियां आदि जैसी कई फसलें उगाई जाती हैं। | लैटेराइट मिट्टी अनुर्वर होती है। परन्तु उर्वरकों की सहायता से इस मिट्टी में चावल, गन्ना, काजू, चाय, कहवा, रबड़ आदि की फसलें उगायी जाती हैं। |
जलोढ़ मिट्टी सूक्ष्म तथा मध्यम कणों से निर्मित होती है। इसमें जल देर तक ठहर सकता है। | लैटेराइट मिट्टी मोटे कणों वाली होती है। इसमें जल अधिक समय तक नहीं ठहरता। |
जलोढ़ मिट्टी वह मिट्टी है जो प्रकृति में क्षारीय होती है और इसमें लवणों की मात्रा अधिक होती है। | चूने के कमी के कारण यह मिट्टी अम्लीय होती है। इसी कारण यह चाय के खेती के लिए उपयुक्त होती है। |
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