वस्तु-विनिमय प्रणाली और क्रय-विक्रय प्रणाली में अंतर: वस्तु-विनिमय प्रणाली में, दो या दो से ज़्यादा पक्षों के बीच वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान होत
वस्तु-विनिमय प्रणाली और क्रय-विक्रय प्रणाली में अंतर
वस्तु-विनिमय प्रणाली और क्रय-विक्रय प्रणाली में अंतर: वस्तु-विनिमय प्रणाली में, दो या दो से ज़्यादा पक्षों के बीच वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान होता है जबकि क्रय-विक्रय प्रणाली में मुद्रा के माध्यम से वस्तुओं या सेवाओं का आदान-प्रदान होता है। तब इसे अप्रत्यक्ष विनिमय भी कहते हैं।
वस्तु-विनिमय प्रणाली और क्रय-विक्रय प्रणाली में अंतर
प्रत्यक्ष विनिमय या वस्तु-विनिमय प्रणाली | अप्रत्यक्ष विनिमय या क्रय-विक्रय प्रणाली |
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जब कोई व्यक्ति अपनी किसी वस्तु या सेवा के बदले किसी अन्य व्यक्ति से अपनी आवश्यकता की कोई वस्तु या सेवा प्राप्त करता है तो उसे प्रत्यक्ष विनिमय कहते हैं। | जब वस्तुओं एवं सेवाओं का मुद्रा (द्रव्य) के माध्यम से विनिमय होता है तब इसे अप्रत्यक्ष विनिमय कहते हैं। |
प्रत्यक्ष विनिमय, विनिमय की एक पूर्ण प्रक्रिया है। इस प्रणाली में एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को वस्तुएँ या सेवाएँ देता है तथा बदले में उसी समय वस्तुएँ या सेवाएँ प्राप्त करता है। | अप्रत्यक्ष विनिमय में विनिमय प्रक्रिया दो उपविभागों-क्रय तथा विक्रय में विभक्त की जा सकती है। विक्रय तथा क्रय के पश्चात् ही विनिमय प्रक्रिया पूर्ण होती है। |
प्रत्यक्ष विनिमय में द्रव्य का प्रयोग नहीं होता। | अप्रत्यक्ष विनिमय में द्रव्य का प्रयोग होता है। |
प्रत्यक्ष विनिमय में आवश्यकता से अतिरिक्त वस्तुओं एवं सेवाओं के बदले आवश्यकता की वस्तुएँ तथा सेवाएँ प्राप्त की जाती हैं। | अप्रत्यक्ष विनिमय में वस्तु या सेवा के बदले पहले द्रव्य प्राप्त किया जाता है तथा फिर द्रव्य के बदले आवश्यकता की वस्तुएँ या सेवाएँ। |
वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग केवल सीमित क्षेत्र में ही सम्भव होता है। | अप्रत्यक्ष विनिमय का उपयोग विस्तृत क्षेत्र में किया जा सकता है। |
वस्तु विनिमय का प्रचलन प्रायः उस अवस्था में होता है, जब कि मनुष्य की आवश्यकताएँ बहुत कम, सरल तथा सीमित होती हैं। | मनुष्यों की आवश्यकताओं की वृद्धि के कारण ही अप्रत्यक्ष विनिमय कां जन्म हुआ है; अतः अप्रत्यक्ष विनिमय के द्वारा अधिकाधिक आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सकती है। |
वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तु की अदल-बदल एक व्यक्ति के साथ अर्थात् जिसे आप अपनी वस्तु देते हैं बदले में आप उसकी वस्तु को प्राप्त करते हैं, की जाती है। | अप्रत्यक्ष विनिमय में वस्तुओं का क्रय-विक्रय एक ही व्यक्ति के साथ नहीं करना पड़ता है। वस्तु का क्रय एक व्यक्ति से तथा विक्रय अन्य व्यक्ति को किया जाता है। |
वस्तु विनिमय का प्रचलन केवल ऐसे समाज में होता है जो आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा होता है अथवा जिसमें द्रव्य का चलन नहीं होता। | अप्रत्यक्ष विनिमय सभ्य व विकसित समाज में प्रचलित होता है। |
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